पादरी बजिंदर सिंह को रेप केस में उम्रकैद: क्या यह फैसला पर्याप्त है?

पंजाब के मोहाली की अदालत ने खुद को धर्मगुरु बताने वाले पादरी बजिंदर सिंह को 2018 के रेप केस में उम्रकैद की सजा सुनाई है। 42 वर्षीय यह कथित उपदेशक “येशु येशु प्रॉफेट” के रूप में मशहूर था, लेकिन उसके अपराधों ने उसकी असली सच्चाई सबके सामने ला दी। भारतीय दंड संहिता की धारा 376 (बलात्कार), 323 (जानबूझकर चोट पहुंचाने की सजा) और 506 (आपराधिक धमकी) के तहत दोषी ठहराए जाने के बाद उसे पटियाला जेल में रखा गया है।

यह मामला एक चेतावनी भी है कि धर्म के नाम पर किसी को भी अंधविश्वास में फंसकर आंख मूंदकर नहीं अपनाना चाहिए। लेकिन सवाल यह है कि क्या यह सजा पर्याप्त है, या ऐसे मामलों में और सख्त कार्रवाई की जरूरत है?

बजिंदर सिंह कौन है?

बजिंदर सिंह एक स्वयंभू धर्मगुरु था, जो खुद को चमत्कारी शक्तियों वाला बताता था। वह सोशल मीडिया और यूट्यूब पर “येशु येशु प्रॉफेट” नाम से मशहूर हुआ और धीरे-धीरे उसकी लोकप्रियता बढ़ती चली गई।

  • वह धार्मिक सभाओं और प्रवचनों के जरिए लोगों को आकर्षित करता था।
  • उसने हजारों अनुयायी बनाए और खुद को दिव्य पुरुष के रूप में प्रचारित किया।
  • लोग उसकी कथित चमत्कारी शक्तियों पर विश्वास करने लगे और उसकी प्रार्थनाओं में भीड़ उमड़ने लगी।

लेकिन 2018 में उसके खिलाफ एक महिला ने बलात्कार का आरोप लगाया, जिसके बाद उसकी सच्चाई सामने आई।

क्या है पूरा मामला?

  • 2018 में एक महिला ने पादरी बजिंदर सिंह पर रेप का आरोप लगाया और पुलिस में शिकायत दर्ज कराई।
  • मामला मोहाली की अदालत में गया, जहां जांच के बाद उसे बलात्कार, धमकी और शारीरिक उत्पीड़न का दोषी पाया गया।
  • अदालत ने गवाहों और सबूतों के आधार पर बजिंदर सिंह को उम्रकैद की सजा सुनाई।

इस फैसले ने यह साबित कर दिया कि धार्मिक चोला पहनकर लोगों को धोखा देने वाले अपराधियों को कानून से बचने नहीं दिया जाएगा।

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क्या यह सजा पर्याप्त है?

अब सवाल उठता है कि क्या बजिंदर सिंह को मिली यह सजा पर्याप्त है?

  1. ऐसे अपराधियों के खिलाफ और सख्त कानून की जरूरत – सिर्फ उम्रकैद ही काफी नहीं, बल्कि इस तरह के फर्जी धर्मगुरुओं को आजीवन समाज से अलग रखना चाहिए।
  2. धार्मिक ढोंगियों पर कड़ी निगरानी – सरकार और समाज को मिलकर ऐसे फर्जी धर्मगुरुओं की जांच और निगरानी बढ़ानी होगी।
  3. पीड़ितों के लिए न्याय – केवल आरोपी को सजा देना ही काफी नहीं, बल्कि पीड़ितों को न्याय दिलाने और मानसिक-आर्थिक सहायता देने की भी जरूरत है।

धार्मिक अंधविश्वास और धोखा

भारत में धर्म को लेकर लोगों की गहरी आस्था है, लेकिन इसी का फायदा कुछ लोग उठाते हैं।

  • कई स्वयंभू धर्मगुरु लोगों की धार्मिक भावनाओं के साथ खेलते हैं।
  • अंधविश्वास के जरिए जनता को गुमराह किया जाता है और फिर उनका शोषण किया जाता है।
  • बजिंदर सिंह जैसे अपराधी धर्म की आड़ में अपराध करते हैं, और जब तक उनकी असलियत सामने आती है, तब तक कई मासूम लोग उनके जाल में फंस चुके होते हैं।

इसलिए यह जरूरी है कि लोग आंख बंद करके किसी भी व्यक्ति को धर्मगुरु न मानें, बल्कि सतर्क रहें।

क्या इससे समाज में बदलाव आएगा?

इस फैसले के बाद यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि क्या समाज इस तरह के ढोंगियों से सबक लेगा?

  • सरकार को चाहिए कि ऐसे मामलों में तेजी से कार्रवाई करे।
  • लोगों को भी शिक्षित करना जरूरी है कि वे आंख मूंदकर किसी को भी पूज्य न मानें।
  • महिलाओं को न्याय दिलाने के लिए त्वरित न्याय प्रणाली लागू की जानी चाहिए।

अगर इस तरह के अपराधियों को समय रहते कड़ी सजा नहीं दी गई, तो आगे भी इस तरह के फर्जी धार्मिक नेता समाज को गुमराह करते रहेंगे।

बजिंदर सिंह को मिली उम्रकैद की सजा समाज के लिए एक कड़ा संदेश है कि कानून किसी को नहीं छोड़ता, चाहे वह कितना भी प्रभावशाली क्यों न हो। लेकिन सवाल यह है कि क्या यह सजा ही काफी है, या ऐसे मामलों में और सख्त कदम उठाए जाने चाहिए?

धार्मिक आस्था के नाम पर लोगों को धोखा देने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई जरूरी है, ताकि भविष्य में कोई और इस तरह के अपराध करने से पहले सौ बार सोचे।

अब यह जनता की जिम्मेदारी भी है कि वह ऐसे ढोंगी लोगों से सावधान रहे और किसी भी धार्मिक व्यक्ति को बिना जांचे-परखे न माने।

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