नेशनल हेराल्ड मनी लॉन्ड्रिंग केस एक बार फिर से राजनीतिक बहस के केंद्र में आ गया है। प्रवर्तन निदेशालय (ED) द्वारा कांग्रेस नेता राहुल गांधी, सोनिया गांधी, सैम पित्रोदा और अन्य के खिलाफ चार्जशीट दायर करने के बाद विपक्षी नेताओं की तीखी प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं। पूर्व केंद्रीय मंत्री और वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने इस कार्रवाई को “नफरत की राजनीति” करार दिया है।
क्या है मामला?
नेशनल हेराल्ड केस कांग्रेस पार्टी द्वारा संचालित अखबार से जुड़ा है, जिसे पंडित जवाहरलाल नेहरू ने 1938 में शुरू किया था। इसे एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (AJL) प्रकाशित करता था। मामला तब उठा जब AJL की संपत्तियों को यंग इंडियन (Young Indian) नाम की एक कंपनी को ट्रांसफर किया गया, जिसमें राहुल गांधी और सोनिया गांधी की बड़ी हिस्सेदारी है।
ED का आरोप है कि इस प्रक्रिया में मनी लॉन्ड्रिंग कानूनों का उल्लंघन हुआ और हजारों करोड़ की संपत्तियों का “अनुचित” तरीके से अधिग्रहण किया गया।
ED की चार्जशीट में कौन-कौन?
मंगलवार को प्रवर्तन निदेशालय ने दिल्ली के राउज एवेन्यू कोर्ट में राहुल गांधी, सोनिया गांधी, सैम पित्रोदा, सुमन दुबे और अन्य लोगों के खिलाफ प्रॉसिक्यूशन कंप्लेंट (चार्जशीट) दाखिल की। जांच एजेंसी का कहना है कि इन लोगों ने मिलकर कानून का उल्लंघन किया और संपत्तियों का गलत तरीके से अधिग्रहण किया।
कपिल सिब्बल का तीखा हमला
इस कार्रवाई पर प्रतिक्रिया देते हुए कपिल सिब्बल ने कहा,
“यह नफरत की राजनीति है। जब आपके पास जनता को देने के लिए कुछ नहीं होता, तो आप विरोधियों को निशाना बनाकर ध्यान भटकाने की कोशिश करते हैं। नेशनल हेराल्ड केस एक पुराना मामला है, जिसमें कुछ भी नया नहीं है। यह केवल राजनीतिक बदले की भावना से प्रेरित है।”
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सिब्बल ने यह भी आरोप लगाया कि केंद्र सरकार की मंशा विपक्ष को डराने और चुप कराने की है।
“लोकतंत्र की आवाज़ को दबाया जा रहा है। गांधी परिवार को टारगेट किया जा रहा है क्योंकि वे सत्ता में बैठे लोगों से सवाल करते हैं,” उन्होंने कहा।
कांग्रेस का समर्थन
कांग्रेस ने भी सिब्बल के बयान का समर्थन किया है और कहा है कि केंद्र सरकार ईडी और अन्य एजेंसियों का इस्तेमाल विपक्षी नेताओं के खिलाफ कर रही है। पार्टी प्रवक्ता पवन खेड़ा ने कहा,
“यह कार्रवाई बीजेपी की उस नीति का हिस्सा है, जिसके तहत वे ‘एक राष्ट्र, एक नेता’ की सोच को थोपना चाहते हैं। लोकतंत्र में असहमति की कोई जगह नहीं बची है।”
बीजेपी का पलटवार
भारतीय जनता पार्टी ने इन आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि कानून अपना काम कर रहा है। बीजेपी प्रवक्ता नलिन कोहली ने कहा,
“अगर किसी ने कानून का उल्लंघन नहीं किया है तो उन्हें डरने की जरूरत नहीं है। अदालतों के सामने सब कुछ साफ हो जाएगा। लेकिन हर बार कानून की प्रक्रिया को राजनीतिक रंग देना कांग्रेस की पुरानी आदत रही है।”
कानूनी पहलू क्या कहते हैं?
वरिष्ठ वकील और संवैधानिक मामलों के जानकार प्रशांत तिवारी का कहना है,
“यह मामला पूरी तरह दस्तावेज़ों पर आधारित है। चार्जशीट का मतलब यह नहीं है कि कोई दोषी है। यह अदालत पर निर्भर करता है कि वह किन तथ्यों को स्वीकार्य मानती है। लेकिन जब बात राजनीतिक हाई-प्रोफाइल मामलों की होती है, तो उसका असर सियासत पर ज़रूर पड़ता है।”
उत्तर भारत में राजनीतिक असर
उत्तर भारत, खासकर उत्तर प्रदेश, दिल्ली, पंजाब और राजस्थान में कांग्रेस की पकड़ कमजोर हो रही है। ऐसे में राहुल गांधी और सोनिया गांधी के खिलाफ कानूनी कार्रवाई कांग्रेस को और नुकसान पहुंचा सकती है, लेकिन साथ ही यह पार्टी को सहानुभूति भी दिला सकती है।
कपिल सिब्बल का बयान उत्तर भारत के उस वर्ग के लिए खासतौर पर महत्वपूर्ण है, जो गांधी परिवार को भारतीय राजनीति में एक ‘आदर्श विरासत’ के रूप में देखता है।
नेशनल हेराल्ड केस अब सिर्फ कानूनी मसला नहीं रहा, बल्कि यह देश की सियासत का बड़ा मोर्चा बन चुका है। जहां एक ओर सरकार इसे “कानून का पालन” बता रही है, वहीं विपक्ष इसे “राजनीतिक प्रतिशोध” करार दे रहा है। कपिल सिब्बल जैसे वरिष्ठ नेता की प्रतिक्रिया यह संकेत देती है कि यह मामला आने वाले चुनावी माहौल को और अधिक गरमा सकता है।
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