देश में एक बार फिर ‘बुलडोजर मॉडल’ चर्चा में है। महाराष्ट्र के नासिक और दिल्ली के ओखला में अवैध अतिक्रमण के खिलाफ प्रशासन की बड़ी कार्रवाई देखने को मिली। नासिक में जहां एक कथित अवैध दरगाह को गिराए जाने के दौरान हिंसा और पथराव हुआ, वहीं दिल्ली में ओखला मंडी के पास मस्जिद के निकट निर्माण पर बुलडोजर चला। इन दोनों घटनाओं ने न सिर्फ कानून व्यवस्था पर सवाल उठाए हैं, बल्कि इसके राजनीतिक और सामाजिक आयामों पर भी बहस छेड़ दी है।
नासिक में अवैध दरगाह पर एक्शन, पथराव में पुलिसकर्मी घायल
महाराष्ट्र के नासिक शहर में प्रशासन ने एक अवैध दरगाह को गिराने की कार्रवाई की। नगर निगम और पुलिस की संयुक्त टीम जब मौके पर पहुंची तो कुछ लोगों ने इसका विरोध किया, जो जल्द ही हिंसक रूप ले बैठा। पथराव में कई पुलिसकर्मी घायल हो गए और स्थिति को काबू में लाने के लिए भारी पुलिस बल बुलाया गया।
पुलिस ने 15 लोगों को हिरासत में लिया है और 57 संदिग्धों की मोटरसाइकिलें जब्त की हैं। प्रशासन का कहना है कि यह दरगाह सरकारी ज़मीन पर अवैध रूप से बनाई गई थी, और कई बार नोटिस देने के बावजूद इसे नहीं हटाया गया।
नासिक के पुलिस कमिश्नर ने बयान देते हुए कहा:
“हमने कानून के अनुसार कार्रवाई की है। किसी भी धार्मिक स्थल को निशाना नहीं बनाया गया है, बल्कि अवैध निर्माण को हटाया गया है। पथराव करने वालों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।”
दिल्ली में ओखला मंडी के पास कार्रवाई
दिल्ली के ओखला इलाके में भी पीडब्ल्यूडी (PWD) और नगर निगम ने एक बड़ी कार्रवाई की। ओखला मंडी के पास स्थित एक मस्जिद के निकट अतिक्रमण हटाने के लिए बुलडोजर चलाया गया। प्रशासन के अनुसार, यह अतिक्रमण सड़क किनारे था और यातायात में बाधा उत्पन्न कर रहा था।
इस कार्रवाई से पहले इलाके में भारी पुलिस बल की तैनाती की गई थी ताकि किसी भी प्रकार की अप्रिय घटना से निपटा जा सके। कुछ स्थानीय लोगों ने विरोध किया, लेकिन स्थिति नियंत्रण में रही।
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दिल्ली सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा:
“यह कार्रवाई पूरी तरह से नियमों के अनुसार की गई है। हम किसी धार्मिक स्थल को नहीं, बल्कि उसके आसपास बने अवैध ढांचों को हटा रहे हैं।”
बुलडोजर मॉडल: उत्तर प्रदेश से लेकर महाराष्ट्र और दिल्ली तक
बुलडोजर एक्शन की शुरुआत उत्तर प्रदेश से मानी जाती है, जब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अवैध निर्माण, अपराधियों की संपत्ति और अतिक्रमण के खिलाफ बुलडोजर मॉडल अपनाया। अब यह मॉडल अन्य भाजपा शासित राज्यों जैसे मध्य प्रदेश, उत्तराखंड और अब महाराष्ट्र में भी अपनाया जा रहा है।
इस मॉडल को लेकर समर्थन और विरोध दोनों हैं। समर्थकों का कहना है कि इससे अपराधियों और अतिक्रमणकारियों पर लगाम लगती है, वहीं विरोधी दल इसे संप्रदाय विशेष को निशाना बनाए जाने की राजनीति बताते हैं।
क्या कहते हैं स्थानीय लोग?
नासिक और दिल्ली दोनों ही स्थानों पर स्थानीय लोगों की प्रतिक्रियाएं मिली-जुली रही हैं। कुछ लोग प्रशासन की कार्रवाई को उचित ठहराते हैं, जबकि कईयों ने इसे धार्मिक भावना को ठेस पहुंचाने वाला क़दम कहा है।
दिल्ली के ओखला निवासी मोहम्मद साहिल का कहना है,
“हम विरोध नहीं कर रहे हैं, लेकिन मस्जिद के आसपास की संरचनाओं को हटाने से पहले बातचीत होनी चाहिए थी। प्रशासन को समुदाय से संवाद करना चाहिए।”
वहीं, एक स्थानीय दुकानदार ने कहा,
“यह अवैध अतिक्रमण था, जो सालों से ट्रैफिक में रुकावट बना हुआ था। कार्रवाई सही है, लेकिन प्रशासन को संवेदनशीलता के साथ काम करना चाहिए।”
राजनीतिक बयानबाजी शुरू
इन कार्रवाइयों के बाद राजनीतिक बयानबाजी तेज हो गई है। कांग्रेस और आम आदमी पार्टी ने सवाल उठाए हैं कि क्या बुलडोजर का इस्तेमाल केवल एक समुदाय को निशाना बनाने के लिए हो रहा है?
कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा,
“क्या सिर्फ मुस्लिम इलाकों में ही अतिक्रमण है? या सरकार selectively कार्रवाई कर रही है? यह सोचने की बात है।”
बीजेपी नेताओं ने इसका जवाब देते हुए कहा,
“अवैध निर्माण को किसी भी धर्म के आधार पर नहीं देखा जाता। यह कानून के पालन की बात है। जो भी नियमों का उल्लंघन करेगा, उस पर कार्रवाई होगी।”
नासिक और दिल्ली में हुई बुलडोजर कार्रवाई ने एक बार फिर यह स्पष्ट कर दिया है कि प्रशासन अवैध अतिक्रमण के खिलाफ सख्त रुख अपना रहा है। हालांकि, इन कार्रवाइयों का धार्मिक और राजनीतिक रंग लेना चिंताजनक है। अगर यह कार्रवाई कानून के तहत और बिना किसी भेदभाव के की जा रही है, तो इसे समर्थन मिलना चाहिए। लेकिन यदि यह किसी विशेष वर्ग को लक्षित करने का प्रयास है, तो समाज में असंतोष और विभाजन को बढ़ावा मिलेगा।
देश की राजधानी से लेकर महाराष्ट्र जैसे बड़े राज्य में उठाए गए इन कदमों ने आने वाले समय में ‘बुलडोजर बनाम संविधान’ की बहस को और गहरा कर दिया है।
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