प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से गुरुवार को दाऊदी बोहरा मुस्लिम समाज के एक प्रतिनिधिमंडल ने भेंट की। यह मुलाकात न सिर्फ एक औपचारिक शिष्टाचार भेंट थी बल्कि इसके माध्यम से समाज के प्रतिनिधियों ने हाल ही में वक्फ कानून में किए गए संशोधनों के लिए प्रधानमंत्री का आभार जताया।
वक्फ कानून में बदलावों को बताया ‘ऐतिहासिक कदम’
दाऊदी बोहरा समाज के नेताओं का कहना है कि वक्फ अधिनियम में किए गए संशोधन लंबे समय से समाज की मांगों में शामिल थे। यह बदलाव उनकी धार्मिक और सामाजिक संस्थाओं के बेहतर संचालन में सहायक सिद्ध होंगे। प्रतिनिधिमंडल ने प्रधानमंत्री को बताया कि इन संशोधनों से न केवल पारदर्शिता बढ़ेगी, बल्कि वक्फ संपत्तियों के संरक्षण और सदुपयोग में भी मदद मिलेगी।
प्रधानमंत्री मोदी को बताया ‘सबका साथ, सबका विकास‘ के प्रतीक
प्रतिनिधियों ने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास’ के मंत्र को व्यवहारिक धरातल पर साकार किया है। उन्होंने विश्वास जताया कि अल्पसंख्यक समुदायों की भागीदारी को बढ़ावा देने और उनके अधिकारों की रक्षा करने की दिशा में केंद्र सरकार लगातार सकारात्मक कदम उठा रही है।
सांस्कृतिक जुड़ाव और राष्ट्रीय एकता पर जोर
बैठक के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने दाऊदी बोहरा समुदाय के योगदान की सराहना की। उन्होंने कहा कि समाज की पहचान उसकी सांस्कृतिक विरासत, उदार सोच और राष्ट्र सेवा के भाव से होती है। उन्होंने यह भी कहा कि भारत की ताकत उसकी विविधता में है और यही विविधता इसे एकजुट करती है। प्रधानमंत्री ने समाज के युवाओं को शिक्षा, उद्यमिता और सामाजिक सेवा में अग्रसर होने के लिए प्रोत्साहित किया।
क्या है वक्फ कानून और क्या हुए हैं बदलाव?
वक्फ कानून मुस्लिम समुदाय की धार्मिक, शैक्षणिक और सामाजिक संस्थाओं से जुड़ी संपत्तियों के प्रबंधन से जुड़ा है। पहले इस कानून में कई प्रावधान ऐसे थे जिन्हें लेकर समाज के कई वर्गों ने आपत्ति जताई थी।
हालिया संशोधनों में प्रबंधन प्रक्रिया को सरल और पारदर्शी बनाया गया है। कुछ मामलों में अनावश्यक प्रशासनिक हस्तक्षेप को कम किया गया है, जिससे संस्थाओं की स्वायत्तता को बल मिलेगा।
दाऊदी बोहरा समाज: भारत की धार्मिक-सांस्कृतिक विविधता का अहम हिस्सा
दाऊदी बोहरा समाज, इस्लाम के इस्माइली शिया संप्रदाय का हिस्सा है, जिसकी जड़ें भारत में गहरी हैं। विशेष रूप से महाराष्ट्र, गुजरात और मध्य प्रदेश में इस समुदाय की बड़ी संख्या में उपस्थिति है। समाज ने व्यापार, शिक्षा और सामाजिक कल्याण के क्षेत्रों में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
राजनीतिक संदेश भी स्पष्ट
इस मुलाकात को राजनीतिक दृष्टि से भी अहम माना जा रहा है। एक ओर यह प्रधानमंत्री की अल्पसंख्यकों के प्रति समावेशी नीति को दर्शाता है, वहीं दूसरी ओर यह संकेत भी देता है कि केंद्र सरकार मुस्लिम समुदायों की पारंपरिक चिंताओं को समझने और उन्हें हल करने के प्रयास कर रही है।
दाऊदी बोहरा समाज और प्रधानमंत्री मोदी की यह मुलाकात केवल एक शिष्टाचार भेंट नहीं थी, बल्कि यह भारत की सामाजिक समरसता, धार्मिक सह-अस्तित्व और लोकतांत्रिक सहभागिता की एक सशक्त मिसाल भी है। वक्फ कानून में हुए संशोधन और उस पर मिले सकारात्मक फीडबैक से यह स्पष्ट है कि सरकार अल्पसंख्यकों की समस्याओं को गंभीरता से ले रही है और उनकी उम्मीदों पर खरा उतरने का प्रयास कर रही है।
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