भारत की दो टूक: ‘जगुलर वेन’ नहीं, कश्मीर पाकिस्तान के कब्जे से आज़ाद होगा

“पाकिस्तान का कश्मीर से एक ही संबंध है – कि उसे अवैध कब्जे वाले इलाक़े खाली करने हैं।” भारत ने पाकिस्तान को एक बार फिर उसी की ज़ुबान में जवाब दिया है। ताज़ा विवाद की शुरुआत हुई पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल आसिम मुनीर के उस बयान से, जिसमें उन्होंने कश्मीर को पाकिस्तान की “जगुलर वेन” (जीवनरेखा) बताया और दो-राष्ट्र सिद्धांत की दुहाई दी।

लेकिन भारत ने इस बयान को पूरी तरह खारिज करते हुए कड़ी चेतावनी दी है।

विदेश मंत्रालय का तीखा पलटवार

भारत के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में साफ शब्दों में कहा:

“पाकिस्तान का कश्मीर से केवल एक ही रिश्ता है — वह अवैध रूप से कब्जे वाले जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के हिस्सों को खाली करे।”

उन्होंने पाकिस्तान के सेना प्रमुख के बयानों को “भड़काऊ और तथ्यहीन” करार दिया और कहा कि भारत ऐसी किसी भी बयानबाज़ी को गंभीरता से लेता है जो देश की संप्रभुता और अखंडता को चुनौती देती हो।

कश्मीर को ‘जगुलर वेन’ बताना कितना खतरनाक है?

जनरल आसिम मुनीर ने अपने बयान में कहा कि “कश्मीर पाकिस्तान की जीवनरेखा है और पाकिस्तान इसे किसी भी सूरत में नहीं छोड़ सकता।” यह वही पुराना बयान है जिसे पाकिस्तान की मिलिट्री और राजनीतिक नेतृत्व दशकों से दोहराता रहा है — लेकिन हर बार अंतरराष्ट्रीय मंचों पर असफल रहा है।

“जगुलर वेन” का मतलब होता है – ऐसा हिस्सा जिसकी चोट से पूरा सिस्टम ध्वस्त हो जाए। यानी पाकिस्तान ने यह कहकर एक बार फिर स्पष्ट कर दिया कि उसके लिए कश्मीर कोई राजनीतिक मसला नहीं, रणनीतिक युद्ध का कारण है।

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दो-राष्ट्र सिद्धांत: एक विफल सोच की वापसी

जनरल मुनीर ने भारत के खिलाफ दो-राष्ट्र सिद्धांत का हवाला देते हुए दावा किया कि भारत में मुस्लिमों को बराबरी का दर्जा नहीं मिला। यह वही सिद्धांत है जिसके आधार पर 1947 में पाकिस्तान का निर्माण हुआ था — और जिसकी विफलता आज खुद पाकिस्तान की हालत में साफ दिखती है।

भारत के राजनीतिक विश्लेषक कहते हैं कि दो-राष्ट्र सिद्धांत अब इतिहास की कब्र में दफन हो चुका है, और पाकिस्तान उसे दोबारा जिंदा कर केवल धार्मिक उन्माद फैलाना चाहता है।

पाकिस्तान की फिक्र – अपने घर की करो

विदेश मंत्रालय ने साफ कहा कि पाकिस्तान को कश्मीर की चिंता छोड़कर पहले अपने देश की हालत सुधारने पर ध्यान देना चाहिए, जहां:

  • अल्पसंख्यक समुदायों पर अत्याचार हो रहा है,
  • आतंकवाद पनप रहा है,
  • अर्थव्यवस्था रसातल में जा रही है,
  • और सेना खुद राजनीति पर काबिज़ है।

भारत ने पाकिस्तान को यह भी याद दिलाया कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय पहले ही पाक अधिकृत कश्मीर (PoK) को लेकर भारत के रुख को मान्यता दे चुका है, और अब दुनिया पाकिस्तान की बातें सुनने को तैयार नहीं है।

भारत की नीति – स्पष्ट, ठोस और संप्रभुता आधारित

भारत ने बार-बार स्पष्ट किया है कि:

  1. कश्मीर भारत का अभिन्न हिस्सा है — यह संवैधानिक रूप से, ऐतिहासिक रूप से और सांस्कृतिक रूप से भारत में ही रहेगा।
  2. पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर और गिलगित-बाल्टिस्तान भारत के वैध हिस्से हैं, जिन पर पाकिस्तान ने अवैध कब्ज़ा कर रखा है।
  3. 1972 के शिमला समझौते और 1999 के लाहौर घोषणापत्र में पाकिस्तान ने खुद स्वीकार किया है कि भारत-पाक मुद्दे द्विपक्षीय तरीके से सुलझाए जाएंगे – लेकिन अब पाकिस्तान अपने ही वादों से मुकर रहा है।

पाकिस्तान को यह समझना होगा कि आज का भारत सशक्त, आत्मनिर्भर और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्य नेतृत्व वाला राष्ट्र है। भारत अब सिर्फ जवाब नहीं देता, करारा जवाब देता है।

कश्मीर को “जगुलर वेन” बताने की मानसिकता से पाकिस्तान न सिर्फ भारत की संप्रभुता को चुनौती देता है, बल्कि अपने असली मर्ज़ को भी छिपाने की कोशिश करता है।

अब वक्त आ गया है कि पाकिस्तान को यह स्पष्ट रूप से बता दिया जाए:
कश्मीर न कभी पाकिस्तान का हिस्सा था, न होगा। और जो हिस्सा पाकिस्तान के कब्जे में है – वह भी जल्द भारत के पास वापस आएगा।

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