देश के चार राज्यों – गुजरात, पंजाब, केरल और पश्चिम बंगाल – की पांच विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव को केंद्र की भाजपा नीत एनडीए और विपक्षी भारत गठबंधन के लिए एक अहम जनमत संग्रह माना जा रहा है। इन सीटों पर 19 जून को मतदान हुआ और 23 जून को मतगणना शुरू होते ही राजनीतिक समीकरणों की असल तस्वीर सामने आने लगी।
गुजरात: आप की वापसी, भाजपा का मिश्रित प्रदर्शन
गुजरात की विसावदर सीट पर उपचुनाव इसलिए हुआ क्योंकि यहां से आम आदमी पार्टी (आप) के विधायक भूपेंद्र भयानी ने इस्तीफा देकर भाजपा जॉइन कर ली थी। इस सीट पर भाजपा ने किरीट पटेल को उम्मीदवार बनाया, जबकि आप ने पूर्व प्रदेश अध्यक्ष गोपाल इटालिया को मैदान में उतारा। कांग्रेस ने नितिन रणपरिया को मौका दिया। मुकाबला कड़ा रहा और आप ने भाजपा को कड़ी टक्कर दी।
वहीं, कादी सीट पर भाजपा विधायक करसन सोलंकी के निधन के चलते उपचुनाव हुआ। भाजपा ने राजेंद्र चावड़ा को टिकट दिया, जबकि कांग्रेस और आप ने क्रमशः रमेश चावड़ा और जगदीश चावड़ा को उतारा। अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित इस सीट पर त्रिकोणीय संघर्ष ने मुकाबले को रोचक बना दिया।
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पंजाब: लुधियाना पश्चिम में आप की प्रतिष्ठा दांव पर
लुधियाना पश्चिम की सीट पर आप विधायक गुरप्रीत बस्सी गोगी के निधन के कारण उपचुनाव हुआ। यहां से आप ने संजीव अरोड़ा को टिकट दिया, जबकि कांग्रेस ने अपने वरिष्ठ नेता भारत भूषण आशु को मैदान में उतारा। भाजपा ने जीवन गुप्ता को उम्मीदवार बनाया और शिरोमणि अकाली दल ने परुपकर सिंह घुमन को। यह सीट चार-तरफा मुकाबले के चलते हाई-प्रोफाइल बन गई।
केरल: वायनाड के असर वाली नीलांबुर सीट
नीलांबुर उपचुनाव खासतौर पर इसलिए अहम रहा क्योंकि यह प्रियंका गांधी वाड्रा के संसदीय क्षेत्र वायनाड के अंतर्गत आता है। यहां LDF ने एम स्वराज को, जबकि कांग्रेस समर्थित UDF ने आर्यदान शौकत को उतारा। भाजपा ने एडवोकेट मोहन जॉर्ज को उम्मीदवार बनाया। पूर्व विधायक ओवी अनवर इस बार निर्दलीय के रूप में मैदान में थे, जिससे मुकाबला और दिलचस्प हो गया।
पश्चिम बंगाल: पिता की विरासत संभालती अलीफा
नादिया जिले की कालीगंज सीट TMC विधायक नसीरुद्दीन अहमद के निधन के बाद खाली हुई थी। अब उनकी बेटी अलीफा अहमद TMC उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ रही हैं। भाजपा ने आशीष घोष को और कांग्रेस-माकपा गठबंधन ने काबिल उद्दीन शेख को मैदान में उतारा। इस सीट पर भी तिकोना मुकाबला बना रहा।
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