तेलंगाना में बाल यौन शोषण सामग्री (CSEAM) मामले में 15 गिरफ्तार: डिजिटल अपराध पर सख्त कार्रवाई

तेलंगाना से एक चौंकाने वाली और गंभीर खबर सामने आई है, जिसमें बाल यौन शोषण सामग्री (Child Sexual Exploitation and Abuse Material – CSEAM) को इंटरनेट पर प्रसारित करने, देखने और डाउनलोड करने के आरोप में 15 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। यह कार्रवाई तेलंगाना साइबर सुरक्षा ब्यूरो (Telangana Cyber Security Bureau – TGCSB) की चाइल्ड प्रोटेक्शन यूनिट ने की। सभी आरोपियों को न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है।

हाई-प्रोफाइल आरोपी भी शामिल

गिरफ्तार किए गए लोगों में एक 30 वर्षीय सॉफ्टवेयर इंजीनियर भी शामिल है, जिसने IIT खड़गपुर से पढ़ाई की है और हैदराबाद की एक नामी कंपनी में काम करता है। उसकी सालाना सैलरी ₹35 लाख है और वह अपनी पत्नी व बच्ची के साथ रहता है। इसके अलावा एक बेरोजगार इंजीनियरिंग स्नातक भी शामिल है, जो पहले भी इसी अपराध में पकड़ा जा चुका है।

गिरफ्तार आरोपियों की पृष्ठभूमि

इन 15 आरोपियों की उम्र 19 से 50 वर्ष के बीच है और वे अलग-अलग पेशों से जुड़े हुए हैं। कुछ सॉफ्टवेयर इंजीनियर हैं, तो कुछ ऑटो मिस्त्री, सेल्समैन, निर्माण कार्य करने वाले या बेरोजगार युवा हैं। अधिकतर आरोपी मध्यमवर्गीय परिवारों से आते हैं।

57 इंटरपोल अलर्ट्स से मिली थी जानकारी

TGCSB को यह सूचना इंटरपोल से आए 57 अलर्ट्स के आधार पर मिली, जिन्हें भारत के गृह मंत्रालय ने राज्य एजेंसी को भेजा। इसी आधार पर ब्यूरो ने इनकी डिजिटल गतिविधियों की निगरानी शुरू की और फिर इन्हें रंगे हाथों पकड़ लिया।

आरोपी कौन हैं?

गिरफ्तार आरोपियों की उम्र 19 से 50 साल के बीच है और इनमें से कई 20-30 की उम्र के युवा हैं। सभी मध्यमवर्गीय परिवारों से आते हैं और विभिन्न क्षेत्रों में कार्यरत हैं, जैसे:

  • एक IIT इंजीनियर जो हैदराबाद की प्रतिष्ठित कंपनी में काम करता था और ₹35 लाख सालाना कमाता था
  • एक बेरोजगार इंजीनियर
  • ऑटो मिस्त्री, निर्माण मज़दूर, सेल्स एक्जीक्यूटिव आदि

34 पुराने मामलों से कनेक्शन

ब्यूरो के अनुसार, ये आरोपी पहले से दर्ज 34 मामलों से जुड़े हुए थे। इनमें से 17 मामलों की जांच TGCSB ने खुद की थी, बाकी अन्य एजेंसियों द्वारा की गई थी। यह दर्शाता है कि बाल शोषण से जुड़ा डिजिटल अपराध एक संगठित, नेटवर्क आधारित अपराध बन चुका है।

कानूनी प्रावधान और सख्त सजा

बाल यौन शोषण सामग्री का उत्पादन, प्रसारण या भंडारण सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम (IT Act), भारतीय दंड संहिता (IPC), और पॉक्सो एक्ट के तहत गंभीर अपराध है। इसमें लंबी जेल की सजा और भारी जुर्माने का प्रावधान है। इस तरह की सामग्री को सिर्फ देखना या डिलीट करना भी अपराध माना जाता है।

सोशल चेतावनी: समाज की ज़िम्मेदारी

यह मामला केवल कानूनी चेतावनी नहीं है, बल्कि समाज के लिए भी एक बड़ा संदेश है। इंटरनेट और डिजिटल प्लेटफॉर्म्स के दुरुपयोग से बच्चों की सुरक्षा को गंभीर खतरा है। बच्चों से जुड़ी अश्लील सामग्री का शेयर करना या देखना न केवल अनैतिक है बल्कि कानूनी रूप से भी अपराध है।

कहां करें शिकायत?

अगर आपको किसी के द्वारा बाल शोषण से जुड़ी डिजिटल गतिविधि का संदेह हो या कोई संदिग्ध सामग्री दिखाई दे, तो तुरंत इसकी शिकायत www.cybercrime.gov.in पर करें या नजदीकी साइबर पुलिस स्टेशन में संपर्क करें।

Share