कांग्रेस ने एक बार फिर केंद्र सरकार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर तीखा हमला बोला है। यह हमला अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के भारत-पाकिस्तान के बीच कथित संघर्ष विराम के दावों के बाद सामने आया है। कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने ट्रंप के बयानों को लेकर केंद्र सरकार की चुप्पी पर सवाल उठाए और पीएम मोदी की नीतियों पर निशाना साधा। खेड़ा ने ट्रंप की तुलना एक ऐसे सांप से की, जो पीएम मोदी के चारों ओर लिपटा हुआ है और कड़वी सच्चाई फुसफुसा रहा है।
पवन खेड़ा ने कहा कि राहुल गांधी ने पीएम मोदी को इस विवाद से बाहर निकलने का एक सुनहरा अवसर दिया था। उन्होंने सुझाव दिया था कि मोदी को ट्रंप के दावों को स्पष्ट रूप से झूठा बताना चाहिए। लेकिन, खेड़ा के अनुसार, पीएम मोदी ने जानबूझकर इस सलाह को नजरअंदाज किया, जिसके कारण ट्रंप के बयानों को और बल मिला। खेड़ा ने तंज कसते हुए कहा, “मोदी को राहुल गांधी की सलाह मानने से एलर्जी है। और अब सांप फिर लौट आया है, पहले से कहीं ज्यादा लिपटकर।”
ट्रंप का टैरिफ का दावा
पवन खेड़ा का यह बयान ट्रंप के उस हालिया बयान के जवाब में आया है, जिसमें उन्होंने भारत पर 20 से 25 प्रतिशत टैरिफ लगाने की बात कही। ट्रंप ने दावा किया कि भारत-अमेरिका व्यापार सौदा अच्छा चल रहा है, लेकिन भारत ने अमेरिका पर अन्य देशों की तुलना में ज्यादा टैरिफ लगाए हैं। ट्रंप ने कहा, “भारत एक अच्छा दोस्त है, लेकिन अब मैं राष्ट्रपति हूं, और आप ऐसा नहीं कर सकते।” इस बयान ने भारत-अमेरिका संबंधों पर नई बहस छेड़ दी है।
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राहुल गांधी की लोकसभा में मांग
कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने लोकसभा में ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा के दौरान इस मुद्दे को उठाया। उन्होंने पीएम मोदी से ट्रंप के दावों को सार्वजनिक रूप से खारिज करने की मांग की। राहुल ने कहा, “ट्रंप ने 29 बार भारत-पाकिस्तान के बीच संघर्ष विराम का दावा किया है। पीएम मोदी को स्पष्ट करना चाहिए कि क्या ट्रंप के ये बयान सही हैं या गलत।” राहुल गांधी का यह बयान केंद्र सरकार को कठघरे में खड़ा करने की कोशिश थी।
भारत सरकार का स्पष्टीकरण
भारत सरकार ने पहले ही स्पष्ट कर दिया है कि भारत-पाकिस्तान के बीच संघर्ष विराम में किसी तीसरे देश की कोई भूमिका नहीं थी। सरकार के मुताबिक, यह अपील सीधे पाकिस्तान की ओर से की गई थी। इसके बावजूद, ट्रंप बार-बार यह दावा करते रहे हैं कि उन्होंने इस संघर्ष विराम में मध्यस्थता की। कांग्रेस ने इस मुद्दे को भुनाने की कोशिश की है और सरकार की चुप्पी को कमजोरी के रूप में पेश किया है।
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