ऐपल का अमेरिका में निवेश और मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा
हाल ही में ऐपल ने अमेरिका में 100 अरब डॉलर के निवेश की घोषणा की है। यह निवेश कंपनी के पहले के 500 अरब डॉलर के निवेश के अतिरिक्त है, जिससे ऐपल का कुल निवेश अब 600 अरब डॉलर तक पहुंच गया है। इस निवेश का उद्देश्य अमेरिका में मैन्युफैक्चरिंग को मजबूत करना है। ऐपल ने इसके लिए अमेरिकन मैन्युफैक्चरिंग प्रोग्राम (AMP) शुरू किया है, जिसके तहत कंपनी अपनी कुछ मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स को अमेरिका में स्थानांतरित करेगी। इस प्रोग्राम में कॉर्निंग, सैमसंग और टेक्सास इंस्ट्रूमेंट्स जैसी कंपनियां ऐपल के साथ मिलकर काम करेंगी। इस कदम से न केवल अमेरिका में रोजगार के अवसर बढ़ेंगे, बल्कि ऐपल के प्रमुख उत्पाद जैसे आईफोन, आईपैड और मैकबुक को भारत पर लगने वाले टैरिफ से भी बचाया जा सकेगा।
अमेरिका में ऐपल की नई फैक्ट्रियां
ऐपल ने अमेरिका में अपनी मैन्युफैक्चरिंग क्षमता बढ़ाने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। रिपोर्ट के अनुसार, ऐपल केंटकी में एक बड़ी फैक्ट्री स्थापित करने जा रहा है, जहां आईफोन और ऐपल वॉच के लिए ग्लास का उत्पादन होगा। इसके अलावा, कैलिफोर्निया में रेयर अर्थ धातुओं के रिसाइक्लिंग के लिए एक सेंटर भी खोला जाएगा। ये कदम दर्शाते हैं कि ऐपल अपनी आपूर्ति श्रृंखला को अमेरिका में मजबूत करने की दिशा में तेजी से काम कर रहा है। हालांकि, यह भारत के लिए चिंता का विषय हो सकता है, क्योंकि भारत वर्तमान में ऐपल के लिए एक प्रमुख आईफोन असेंबलिंग केंद्र है।
यह भी पढ़ें : हरियाणा सरकार का सख्त कदम: धर्म छिपाकर शादी पर अमान्यता और सजा
भारत में ऐपल की मैन्युफैक्चरिंग और टैरिफ की चुनौती
भारत में ऐपल के लिए आईफोन असेंबलिंग एक महत्वपूर्ण गतिविधि है। यहां निर्मित आईफोन न केवल अमेरिका, बल्कि अन्य देशों में भी निर्यात किए जाते हैं। ऐपल के सीईओ टिम कुक ने स्वयं कहा है कि अमेरिका में बिकने वाले अधिकांश आईफोन भारत में निर्मित होंगे। 2025 के पहले पांच महीनों में अमेरिका में बिकने वाले 36% आईफोन भारत से आए थे, जो 2024 में केवल 11% था। हालांकि, अमेरिका में मैन्युफैक्चरिंग बढ़ने से भारत को नुकसान हो सकता है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर 50% टैरिफ की घोषणा की है और 25% टैरिफ की चेतावनी भी दी है। भले ही ऐपल के उत्पादों को अभी टैरिफ से छूट मिली हो, लेकिन भविष्य में भारत को इस चुनौती से निपटने के लिए रणनीति बनानी होगी।
भारत के लिए भविष्य की चुनौतियां और अवसर
ऐपल का अमेरिका में निवेश भारत के लिए दोहरी मार हो सकता है। एक ओर, भारत में आईफोन मैन्युफैक्चरिंग का महत्व कम हो सकता है, वहीं दूसरी ओर, टैरिफ का दबाव भारत के निर्यात को प्रभावित कर सकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि भारत को अपनी मैन्युफैक्चरिंग नीतियों को और मजबूत करना होगा ताकि वह वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में अपनी स्थिति बनाए रख सके। इसके लिए भारत को ऐपल जैसी कंपनियों के साथ मिलकर नई रणनीतियां विकसित करने और टैरिफ के प्रभाव को कम करने के उपाय खोजने होंगे। साथ ही, भारत में मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने के लिए प्रोत्साहन और नवाचार पर ध्यान देना होगा।
संबंधित पोस्ट
पंजाब में पराली जलाने पर प्रशासन ने कसा शिकंजा, 90 मामले दर्ज
भारत-चीन व्यापार फिर से शुरू: शिपकी-ला के रास्ते नई शुरुआत
छिंदवाड़ा को मिलेगी फोरलेन हाईवे की सौगात: विकास को लगेंगे पंख