August 28, 2025

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2027: भाजपा की रणनीति और मेरठ में टिकट की जंग

शुरुआती तैयारियां: भाजपा का मिशन 2027

उत्तर प्रदेश में 2027 के विधानसभा चुनाव अभी भले ही दूर हों, लेकिन भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने अपनी तैयारियां शुरू कर दी हैं। खासकर मेरठ और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में पार्टी ने टिकट वितरण के लिए कड़े मापदंड तय किए हैं। इस बार टिकट केवल वही नेता हासिल कर पाएंगे, जो जनता के बीच लोकप्रियता और बेहतर प्रदर्शन का रिकॉर्ड रखते हों। इसके लिए पार्टी ने अपने मौजूदा विधायकों का गोपनीय ऑडिट शुरू किया है, जिसमें उनके कार्यकाल के प्रदर्शन, जनता में स्वीकार्यता और विकास कार्यों का मूल्यांकन किया जा रहा है।

मेरठ में सियासी सरगर्मी

मेरठ की सात विधानसभा सीटों पर टिकट को लेकर सियासी हलचल तेज हो गई है। मौजूदा विधायक और टिकट के दावेदार दोनों ही सक्रियता दिखाने में जुटे हैं। दावेदार गांव-गांव दौरे, जनता से संवाद और त्योहारों पर सम्मान समारोह आयोजित कर अपनी मौजूदगी का एहसास करा रहे हैं। यह सब दिल्ली और लखनऊ में बैठे पार्टी हाईकमान को प्रभावित करने की रणनीति का हिस्सा है। कुछ विधायकों की निष्क्रियता ने उनकी सियासी जमीन कमजोर की है, जिसका फायदा नए दावेदार उठाने की कोशिश में हैं।

यह भी पढ़ें : क्या शिक्षा और इलाज अब सिर्फ अमीरों के लिए रह गए हैं? मोहन भागवत के बयान से उठे बड़े सवाल

हैट्रिक का लक्ष्य

लगातार दो बार सत्ता हासिल करने के बाद भाजपा 2027 में तीसरी बार सरकार बनाने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती। सूत्रों के मुताबिक, टिकट वितरण में भावनाओं या पुराने रिश्तों को दरकिनार कर प्रदर्शन को प्राथमिकता दी जाएगी। इसके लिए पार्टी ने पेशेवर एजेंसियों को जिम्मेदारी सौंपी है, जो गुप्त सर्वे के जरिए विधायकों की छवि, विकास कार्यों, जातीय समीकरणों और विपक्ष की ताकत का आकलन कर रही हैं।

ऑडिट की प्रक्रिया

हर विधानसभा क्षेत्र के लिए अलग-अलग सर्वे रिपोर्ट तैयार की जा रही है। इस ऑडिट में विधायकों को तीन श्रेणियों में बांटा जाएगा:

  • ए श्रेणी: जनता में लोकप्रिय, मजबूत पकड़ और बेहतर प्रदर्शन वाले।
  • बी श्रेणी: औसत प्रदर्शन, लेकिन सुधार की गुंजाइश वाले।
  • सी श्रेणी: कमजोर पकड़, नकारात्मक छवि और जीत की कम संभावना वाले।

‘ए’ श्रेणी के नेताओं का टिकट लगभग पक्का माना जा रहा है, जबकि ‘सी’ श्रेणी वालों की कुर्सी खतरे में है।

ऑडिट के प्रमुख मापदंड

भाजपा का यह ऑडिट निम्नलिखित मापदंडों पर आधारित है:

  • पिछले कार्यकालों में विधायकों का प्रदर्शन।
  • क्षेत्र में विकास निधि का उपयोग और परिणाम।
  • जनता की समस्याओं के समाधान में सक्रियता।
  • पिछले चुनाव में जीत का अंतर और उसकी वजह।
  • जनता की नजर में व्यक्तिगत और राजनीतिक छवि।
  • 2027 में जीत की संभावना।

विपक्ष पर नजर

यह सर्वे केवल भाजपा तक सीमित नहीं है। इसमें विपक्षी दलों की ताकत और कमजोरियों का भी विश्लेषण किया जा रहा है। सर्वे में यह दर्ज किया जाएगा कि किस जातीय समूह में किस पार्टी की पकड़ है, कौन-से मुद्दे जनता को प्रभावित कर रहे हैं, और विपक्ष के कौन-से नेता भाजपा के लिए चुनौती बन सकते हैं।

जनता ही निर्णायक

भाजपा का संदेश स्पष्ट है: जनता के बीच काम नहीं किया, तो टिकट की उम्मीद छोड़ दें। पुराना चेहरा या पार्टी में पद कोई गारंटी नहीं है। टिकट केवल उन नेताओं को मिलेगा, जो अपनी विधानसभा में जनता की नब्ज पकड़ सकें और विकास कार्यों में बेहतर प्रदर्शन करें।

टिकट की जंग

मेरठ और आसपास के क्षेत्रों में टिकट को लेकर पार्टी के भीतर टकराव सतह पर आ चुका है। दावेदार सोशल मीडिया और जनसंपर्क के जरिए अपनी सक्रियता दिखा रहे हैं, जबकि कुछ विधायकों का निष्क्रिय रवैया उनकी मुश्किलें बढ़ा रहा है। यह अंदरूनी खींचतान 2027 के चुनाव को और रोमांचक बना रही है।

Share