नागपुर में शताब्दी समारोह की तैयारियां
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) अपने शताब्दी वर्ष के उपलक्ष्य में भव्य आयोजन की तैयारियों में जुट गया है। महाराष्ट्र के नागपुर स्थित मुख्यालय में विजयादशमी के अवसर पर होने वाले इस विशेष कार्यक्रम की रूपरेखा तैयार की जा रही है। इस मौके पर पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित किया गया है। दलित समुदाय से आने वाले कोविंद को चीफ गेस्ट बनाकर आरएसएस ने समावेशिता और सामाजिक एकता का एक बड़ा संदेश दिया है। यह आयोजन न केवल आरएसएस के 100 वर्षों की गौरवशाली यात्रा को दर्शाएगा, बल्कि संगठन के मूल्यों और भारत के विकास में इसके योगदान को भी रेखांकित करेगा।
बीजेपी और आरएसएस का मजबूत गठजोड़
इस बीच, भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने उपराष्ट्रपति पद के लिए आरएसएस से जुड़े सीपी राधाकृष्णन को अपना उम्मीदवार घोषित किया है। यह कदम बीजेपी और आरएसएस के बीच गहरे रिश्ते को और मजबूत करता है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने हाल ही में केरल के कोच्चि में आयोजित एक कार्यक्रम में खुद को आरएसएस का स्वयंसेवक बताते हुए गर्व व्यक्त किया। उन्होंने कहा, “मैं बीजेपी से आता हूं और आरएसएस का स्वयंसेवक हूं। जब तक भारत महान नहीं बन जाता, तब तक हमें आराम करने का अधिकार नहीं है।” शाह ने अपने संबोधन में भारत को विश्व में सम्मानित और समृद्ध राष्ट्र बनाने का सपना दोहराया, जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 2047 तक भारत को विकसित राष्ट्र बनाने के संकल्प के अनुरूप है।
केरल की एलडीएफ सरकार पर अमित शाह का निशाना
मनोरमा न्यूज के कॉन्क्लेव में अमित शाह ने केरल की वामपंथी एलडीएफ सरकार पर तीखा हमला बोला। उन्होंने आरोप लगाया कि राज्य सरकार अपने कैडर के लिए फंड खर्च कर रही है, जबकि केरल की जनता ऐसी सरकार चाहती है जो उनके लिए काम करे। शाह ने कहा कि केरल में अपार संभावनाएं हैं, लेकिन कम्युनिस्ट विचारधारा के कारण विकास अवरुद्ध हो रहा है। उन्होंने विश्वास जताया कि आगामी विधानसभा चुनावों में केरल की जनता बदलाव और विकास के लिए मतदान करेगी। गौरतलब है कि केरल में अगले साल चुनाव होने हैं, और बीजेपी ने राज्य में संगठन को मजबूत करने के लिए राजीव चंद्रशेखर को जिम्मेदारी सौंपी है। साथ ही, कांग्रेस सांसद शशि थरूर के बीजेपी के करीब होने की चर्चाएं भी जोरों पर हैं।
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भारत के विकास में आरएसएस की भूमिका
अमित शाह ने अपने संबोधन में यह भी कहा कि जब कभी भारत के विकास का इतिहास लिखा जाएगा, तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 11 वर्षों के कार्यकाल का विशेष उल्लेख होगा। उन्होंने आरएसएस के स्वयंसेवकों और देशवासियों से अपील की कि वे भारत को विश्व में अग्रणी बनाने के लिए निरंतर प्रयास करें। आरएसएस का शताब्दी समारोह न केवल संगठन की उपलब्धियों का उत्सव है, बल्कि यह भारत के सांस्कृतिक और सामाजिक मूल्यों को मजबूत करने का अवसर भी है। इस आयोजन के जरिए आरएसएस समाज के हर वर्ग को जोड़ने और राष्ट्र निर्माण में अपनी भूमिका को और सशक्त करने की दिशा में कदम बढ़ा रहा है।
आगे की राह
केरल के बाद अमित शाह तमिलनाडु का दौरा करने वाले हैं, जहां बीजेपी दक्षिण भारत में अपनी पैठ मजबूत करने की कोशिश में है। आरएसएस के शताब्दी समारोह और बीजेपी की रणनीति से यह स्पष्ट है कि दोनों संगठन मिलकर भारत को एक समृद्ध और शक्तिशाली राष्ट्र बनाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। यह आयोजन और नेताओं के बयान देश में एक नए उत्साह और एकजुटता का संदेश दे रहे हैं।
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