सोमवार को गाजा के नासिर अस्पताल पर इजरायली सेना द्वारा किए गए दोहरे हमले ने पूरी दुनिया को झकझोर दिया है। इस हमले, जिसे ‘डबल टैप’ हमला कहा जाता है, में कुल 21 लोग मारे गए, जिनमें पांच अंतरराष्ट्रीय पत्रकार शामिल थे। पहला हमला होने के बाद जब बचावकर्मी और पत्रकार घायलों की मदद के लिए पहुंचे, तभी दूसरा हमला हुआ, जिसने कई लोगों की जान ले ली। इस घटना का एक वीडियो भी सामने आया है, जिसमें बचावकर्मी और पत्रकार हमले की चपेट में आते दिख रहे हैं। इस हमले ने युद्ध क्षेत्रों में पत्रकारों और मानवीय कार्यकर्ताओं की सुरक्षा पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं।
भारत की प्रतिक्रिया
भारत ने इस हमले पर गहरा दुख व्यक्त किया है। भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा, “पत्रकारों की हत्या चौंकाने वाली और अत्यंत दुखद है। भारत ने हमेशा युद्ध में नागरिकों की जान जाने की निंदा की है।” उन्होंने यह भी बताया कि इजरायली अधिकारियों ने इस मामले की जांच शुरू कर दी है। जायसवाल ने दोहराया कि भारत युद्ध में नागरिकों की मौत को अस्वीकार्य मानता है और इस तरह की घटनाएं मानवता के लिए गंभीर चिंता का विषय हैं। भारत ने हमेशा शांति और मानवीय मूल्यों का समर्थन किया है।
मारे गए पत्रकार और स्वास्थ्यकर्मी
मारे गए पांच पत्रकार रॉयटर्स, एसोसिएटेड प्रेस, अल जजीरा और मिडिल ईस्ट आई जैसे प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय मीडिया संगठनों के लिए काम करते थे। इसके अलावा, खान यूनिस में एक अलग घटना में एक अन्य पत्रकार की भी मौत हुई, जो एक स्थानीय अखबार के लिए कार्यरत थे। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के प्रमुख ने बताया कि इस हमले में चार स्वास्थ्यकर्मी भी मारे गए। ये मौतें युद्ध क्षेत्रों में पत्रकारों और स्वास्थ्यकर्मियों की जोखिम भरी स्थिति को उजागर करती हैं।
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इजरायल का रुख और जांच
इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने इस घटना को एक “दुखद दुर्घटना” करार दिया और कहा कि इजरायली सेना इस मामले की गहन जांच कर रही है। हालांकि, इस तरह की घटनाएं गाजा में चल रहे संघर्ष के दौरान बार-बार सामने आ रही हैं, जिससे अंतरराष्ट्रीय समुदाय में चिंता बढ़ रही है। गाजा में अक्टूबर 2023 से शुरू हुए युद्ध में अब तक लगभग 200 पत्रकारों की मौत हो चुकी है, जो युद्ध क्षेत्रों में प्रेस की स्वतंत्रता पर एक बड़ा सवाल उठाता है।
पत्रकारों पर प्रतिबंध
इजरायल ने अक्टूबर 2023 से गाजा में अंतरराष्ट्रीय पत्रकारों के स्वतंत्र रूप से प्रवेश पर रोक लगा दी है। इस प्रतिबंध ने युद्ध की वास्तविक स्थिति को दुनिया तक पहुंचाने में बाधा उत्पन्न की है। पत्रकारों की मौत और उनके काम पर लगाए गए प्रतिबंध प्रेस की स्वतंत्रता और युद्ध क्षेत्रों में उनकी सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा हैं।
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