November 18, 2025

भारत के 15वें उपराष्ट्रपति बने सीपी राधाकृष्णन अनुभवी नेता और लोकतंत्र के संरक्षक

सीपी राधाकृष्णन बने भारत के 15वें उपराष्ट्रपति

भारत को मिल चुका है अपना नया उपराष्ट्रपति सीपी राधाकृष्णन। मंगलवार को हुए चुनाव में उन्होंने विपक्ष के उम्मीदवार, सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज बी. सुदर्शन रेड्डी को हराकर जीत हासिल की। राधाकृष्णन को मिले 452 वोट, जबकि रेड्डी को सिर्फ 300। मतदान में 98.2% सांसदों ने हिस्सा लिया, जो उच्चतम टर्नआउट का संकेत है।

राष्ट्रपति भवन में शपथ ग्रहण


शुक्रवार को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने उन्हें राष्ट्रपति भवन में शपथ दिलाई। अब वे राज्यसभा के सभापति के रूप में भी कार्य करेंगे। इस पद पर आसीन होने के बाद वे भारतीय लोकतंत्र के संरक्षक और संसद के संचालन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।

राजनीतिक अनुभव और सेवा


सीपी राधाकृष्णन का नाम राजनीति में नया नहीं है। वे कोयंबटूर से दो बार लोकसभा सांसद रह चुके हैं और तमिलनाडु बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष भी रह चुके हैं। इसके अलावा, उन्होंने महाराष्ट्र, झारखंड, तेलंगाना और पुडुचेरी में राज्यपाल के रूप में सेवा दी। हर जगह उन्हें विश्वसनीय प्रशासक माना गया। उनका अनुभव और नेतृत्व क्षमता इस नए संवैधानिक पद पर उन्हें और मजबूत बनाती है।

प्रधानमंत्री मोदी का बधाई संदेश


नतीजों के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें बधाई दी। उन्होंने कहा कि राधाकृष्णन जी भारत के संवैधानिक मूल्यों को और मजबूत करेंगे और संसदीय संवाद में सकारात्मक योगदान देंगे। उनके नेतृत्व से संसद की गरिमा और लोकतंत्र की आत्मा और सशक्त होगी।

महाराष्ट्र राज्यपाल का पद खाली


राधाकृष्णन की उपराष्ट्रपति बनने से महाराष्ट्र के राज्यपाल का पद खाली हो गया है। फिलहाल गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत को अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया है, जब तक नए राज्यपाल की नियुक्ति नहीं हो जाती।

संविधान और लोकतंत्र की गरिमा


सीपी राधाकृष्णन अब सिर्फ एक नेता नहीं, बल्कि भारतीय लोकतंत्र के संरक्षक पद पर हैं। उनके अनुभव और नेतृत्व से उम्मीद की जा रही है कि वे संसद की गरिमा को ऊँचाई देंगे और संविधान के मूल्यों को सशक्त बनाएंगे।

अंतिम विचार


सीपी राधाकृष्णन का उपराष्ट्रपति बनना भारतीय राजनीति और लोकतंत्र के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। उनका अनुभव, प्रशासनिक दक्षता और नेतृत्व क्षमता संसद और संविधान के सम्मान को बढ़ाने में मदद करेगी। अब देश की नजरें इस नए उपराष्ट्रपति के कामकाज और उनके नेतृत्व पर टिकी हैं।

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