अनोखी पहल: शूर्पणखा दहन से जागरूकता का संदेश
मध्य प्रदेश के इंदौर शहर में इस वर्ष विजयादशमी का पर्व एक अनोखे रूप में मनाया जाएगा। महालक्ष्मी नगर के मेला मैदान में पारंपरिक रावण दहन की जगह 11 मुखी शूर्पणखा का प्रतीकात्मक पुतला जलाया जाएगा। इस पुतले पर उन महिलाओं की तस्वीरें चस्पां की जाएंगी, जिन पर पति या बच्चों की हत्या जैसे जघन्य अपराधों के आरोप हैं। यह पहल पत्नी पीड़ित पुरुषों की संस्था ‘पौरुष’ ने की है, जिसका उद्देश्य समाज में महिलाओं द्वारा किए जा रहे अपराधों के प्रति जागरूकता फैलाना है। संस्था के अध्यक्ष अशोक दशोरा ने बताया कि कई युगों से महिलाओं के अपराधों का बोझ पुरुषों को ही भुगतना पड़ता है, और यह आयोजन उस अन्याय के खिलाफ आवाज उठाने का माध्यम बनेगा। सोशल मीडिया पर ‘मॉडर्न कलयुगी शूर्पणखाएं’ नामक पोस्टर वायरल हो चुके हैं, जो इस आयोजन की चर्चा को राष्ट्रीय स्तर पर ले जा चुके हैं। यह दशहरा न केवल बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक होगा, बल्कि लिंग-आधारित अपराधों पर एक नई बहस भी छेड़ेगा।
विवादास्पद चेहरे: सोनम रघुवंशी से मुस्कान तक की कहानियां
पुतले पर लगने वाली तस्वीरें उन चर्चित मामलों से जुड़ी महिलाओं की होंगी, जो समाज में स्त्री-पुरुष समानता के नाम पर उभरी कड़वी सच्चाइयों को उजागर करती हैं। सबसे प्रमुख नाम इंदौर की सोनम रघुवंशी का है, जिस पर अपने पति राजा रघुवंशी की हनीमून के दौरान हत्या का आरोप है। 11 मई 2024 को हुई शादी के महज कुछ दिनों बाद मेघालय के शिलांग में सोनम ने कथित तौर पर प्रेमी राज कुशवाहा और साथियों के साथ मिलकर राजा की हत्या करवाई। पुलिस ने सोनम को हिरासत में ले लिया, और मामला अभी अदालत में विचाराधीन है। इसी तरह, मेरठ की मुस्कान रस्तोगी पर भी पति की हत्या का आरोप है, जो एक पारिवारिक विवाद से उपजा था। अन्य नामों में राजस्थान की हर्षा, जौनपुर की निकिता सिंघानिया, दिल्ली की सुष्मिता, मेरठ की रविता, फिरोजाबाद की शशि, बेंगलुरु की सूचना सेठ, मुंबई की चमन उर्फ गुड़िया, औरैया की प्रियंका और देवास की हंसा शामिल हैं। ये सभी मामले पति या बच्चों की हत्या से जुड़े हैं, जहां महिलाओं को मुख्य आरोपी बनाया गया। आयोजकों का कहना है कि ये चेहरे ‘रावण के सिरों’ की तरह प्रतीकात्मक होंगे, जो आधुनिक समाज में छिपे ‘कलयुग’ के अपराधों को दर्शाएंगे। लेकिन यह चयन विवादास्पद है, क्योंकि कई मामलों में महिलाओं ने दावा किया है कि वे खुद पीड़ित हैं।
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पौरुष संस्था का उद्देश्य: पुरुषों के खिलाफ अपराधों पर फोकस
‘पौरुष’ संस्था, जो पत्नी पीड़ित पुरुषों के अधिकारों के लिए काम करती है, ने इस आयोजन को एक सामाजिक आंदोलन का रूप दिया है। संस्था का तर्क है कि समाज और कानून में महिलाओं के अपराधों को अक्सर नजरअंदाज किया जाता है, जबकि पुरुषों को सामाजिक कलंक झेलना पड़ता है। अशोक दशोरा ने कहा, “शूर्पणखा का चरित्र रामायण में अपराध का प्रतीक है, और आज के समय में ऐसे अपराधों को उजागर करना जरूरी है।” यह पहल पुरुषों के मानसिक स्वास्थ्य, पारिवारिक हिंसा और न्यायिक पूर्वाग्रहों पर चर्चा को बढ़ावा देगी। संस्था ने पहले भी सोशल मीडिया कैंपेन चलाए हैं, जहां हजारों पुरुषों ने अपनी कहानियां साझा कीं। लेकिन आलोचक इसे ‘लिंगवादी’ बता रहे हैं, जो महिलाओं के खिलाफ पूर्वाग्रह फैला सकता है। फिर भी, आयोजन जागरूकता का एक सशक्त माध्यम बनेगा, जहां दशहरा की थीम ‘असत्य पर सत्य की विजय’ को नया आयाम मिलेगा।
आयोजन की रूपरेखा: 2 अक्टूबर को मेला मैदान में धूम
यह अनोखा कार्यक्रम 2 अक्टूबर 2025 को महालक्ष्मी नगर के मेला मैदान में आयोजित होगा। शाम को होने वाले दहन से पहले सांस्कृतिक कार्यक्रम, भाषण और जागरूकता सत्र होंगे। पुतला 11 मुखी होगा, प्रत्येक मुख पर एक महिला अपराधी की तस्वीर। आयोजक उम्मीद कर रहे हैं कि हजारों लोग शामिल होंगे, और यह इवेंट लाइव स्ट्रीमिंग के जरिए पूरे देश तक पहुंचेगा। स्थानीय प्रशासन ने अनुमति दे दी है, लेकिन सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए जाएंगे। यह आयोजन इंदौर की सांस्कृतिक विविधता को दर्शाता है, जहां परंपरा और आधुनिक मुद्दे साथ-साथ चलते हैं।
सामाजिक बहस: जागरूकता या विवाद का बीज?
यह आयोजन समाज में लिंग-आधारित अपराधों पर एक नई बहस छेड़ चुका है। एक ओर जहां समर्थक इसे पुरुषों के दर्द को आवाज देने का माध्यम मानते हैं, वहीं महिलावादी संगठन इसे ‘मिसोजिनिस्टिक’ करार दे रहे हैं। सोशल मीडिया पर #ShurpanakhaDahan ट्रेंड कर रहा है, जहां लोग अपराध के खिलाफ एकजुट हो रहे हैं, लेकिन कुछ इसे अपराधियों को स्टिग्मेटाइज करने का तरीका बता रहे। विशेषज्ञों का कहना है कि जागरूकता फैलाने के लिए सकारात्मक अभियान बेहतर होते हैं, लेकिन यह घटना अपराधों की निंदा करने का एक साहसिक कदम है। दशहरा का संदेश ‘बुराई का नाश’ यहां वास्तविक अपराधों पर लागू हो रहा है, जो समाज को सोचने पर मजबूर करेगा।
दशहरा का नया संदेश
इंदौर का यह दशहरा केवल उत्सव नहीं, बल्कि सामाजिक परिवर्तन का प्रतीक बनेगा। ‘पौरुष’ की पहल से अपराधों के खिलाफ जागरूकता बढ़ेगी, और शायद भविष्य में ऐसे आयोजन अन्य शहरों में भी हों। लेकिन असली जीत तब होगी जब समाज लिंग से परे न्याय सुनिश्चित करे। 2 अक्टूबर को सभी की नजरें इंदौर पर होंगी—क्या यह बुराई पर अच्छाई की नई विजय साबित होगा? यह आयोजन दर्शाता है कि परंपराएं बदल सकती हैं, यदि वे समाज की सच्ची समस्याओं को छू लें।

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