November 16, 2025

नवरात्रि 2025 मां शैलपुत्री की पूजा से पाएं शक्ति, साहस, ऊर्जा और सुख-समृद्धि

भारत में मां दुर्गा का महापर्व नवरात्रि पूरे श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाया जाता है। यह पर्व नवदुर्गा की आराधना का समय है। नवरात्रि के पहले दिन की पूजा मां शैलपुत्री की होती है। उन्हें पर्वतराज हिमालय की पुत्री के रूप में जाना जाता है। माता शैलपुत्री का जन्म पर्वतराज हिमालय के घर हुआ था, इसलिए उनका नाम शैलपुत्री पड़ा।

पौराणिक कथा और महत्व

पौराणिक कथाओं के अनुसार, मां शैलपुत्री का पिछला जन्म मां सती के रूप में हुआ था। मां सती ने अपने पति भगवान शिव के अपमान को सहन नहीं किया और स्वयं को अग्निकुंड में समर्पित कर दिया। इसके बाद उनका पुनर्जन्म हुआ और वे पर्वतराज हिमालय की पुत्री के रूप में आईं। यही जन्म उन्हें शैलपुत्री के रूप में प्रसिद्ध करता है।

मां शैलपुत्री का स्वरूप

मां शैलपुत्री का रूप अत्यंत शांत और तेजस्वी है। उनके एक हाथ में त्रिशूल है और दूसरे हाथ में कमल का फूल। उनका वाहन नंदी बैल है। यह रूप उनके भक्तों को धैर्य, साहस और मानसिक स्थिरता प्रदान करता है। माना जाता है कि पहले दिन उनकी पूजा करने से जीवन में शक्ति, स्थिरता और ऊर्जा आती है।

पूजा विधि और मंत्र

पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा में विशेष महत्व है। भक्त अपने घर में या मंदिर में उनकी मूर्ति या चित्र के सामने दीपक जलाते हैं, कमल और फल चढ़ाते हैं और उनका ध्यान करते हैं। इस दिन शैलपुत्री की आराधना से सभी बाधाएं दूर होती हैं और सुख-समृद्धि का मार्ग खुलता है।पूजा के दौरान निम्नलिखित मंत्र का जाप करने से लाभ होता है ॐ देवी शैलपुत्र्यै नम इस मंत्र का उच्चारण श्रद्धा और भक्ति के साथ करने से मां की कृपा और शक्ति प्राप्त होती है।

शैलपुत्री से आशीर्वाद

भक्तों का विश्वास है कि पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा करने से जीवन में साहस, ऊर्जा, आत्मविश्वास और स्थिरता आती है। उनका आशीर्वाद पाने से व्यक्ति अपने कार्यों में सफलता, मन की शांति और परिवार में खुशहाली अनुभव करता है।

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