October 13, 2025

यूपी सियासत गरमाई: अखिलेश का PDA दांव, क्या 2027 में बदलेगा समीकरण?

यूपी की राजनीति एक बार फिर उफान पर है। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने लखनऊ में कई बड़े नेताओं को पार्टी में शामिल कर 2027 विधानसभा चुनाव की तैयारी का ऐलान कर दिया है। PDA—यानी पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक—की सरकार लाने का नारा बुलंद करते हुए उन्होंने बीजेपी पर जमकर निशाना साधा। नोएडा से आए किसान नेता सुधीर चौहान और बसपा छोड़कर आए पूर्व विधायक चौधरी अमर सिंह, विद्या सागर व लालजी भारती का जोरदार स्वागत किया। अखिलेश ने कहा, “सामाजिक न्याय की लड़ाई अब तेज होगी। PDA एक भावनात्मक गठबंधन है, जो बीजेपी की अन्यायपूर्ण नीतियों के खिलाफ एकजुट हो रहा है।” यह घटना 25 सितंबर 2025 को हुई, जब अखिलेश ने पार्टी मुख्यालय पर नेताओं का स्वागत किया। लेकिन क्या यह रणनीति 2027 में सत्ता पलट देगी? आइए, इसकी गहराई में उतरें।

PDA की मजबूती: पिछड़े वर्गों का भावनात्मक कनेक्ट

अखिलेश ने जाति आधारित आरक्षण को भारत का “पहला इमोशनल कनेक्ट” बताया। उनका कहना है कि डॉ. अंबेडकर ने भी इसी आधार पर इसे मजबूत किया था। PDA रणनीति अब पार्टी का मुख्य हथियार बन चुकी है, जो 2024 लोकसभा चुनावों में कामयाब रही। उन्होंने कहा, “जाति पिछड़े वर्गों के लिए भावनात्मक जुड़ाव है। बीजेपी PDA की एकता से डर रही है।” हाल ही में पार्टी ने “PDA चर्चा” कार्यक्रम शुरू किया, जिसमें हर विधानसभा क्षेत्र में दलितों को अंबेडकर और संविधान के सम्मान का संदेश दिया जा रहा है। बसपा से आए नेताओं का शामिल होना PDA को और मजबूत कर रहा है, क्योंकि बसपा का दलित वोट बैंक अब बिखर रहा है। अखिलेश ने पासमांदा मुसलमानों को भी PDA में शामिल करने का भरोसा दिलाया, कहा कि सत्ता में आने पर उन्हें पूर्ण राजनीतिक सम्मान मिलेगा। यह रणनीति न सिर्फ वोटों को एकजुट करेगी, बल्कि सामाजिक न्याय के नाम पर भावनात्मक अपील भी पैदा करेगी। लेकिन सवाल है, क्या गैर-यादव ओबीसी और दलित पूरी तरह से सपा की ओर मुड़ेंगे?

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बीजेपी पर तीखा प्रहार: किसान, रोजगार और विकास का मुद्दा

अखिलेश ने योगी सरकार पर सीधा हमला बोला। कहा, “जमीन सिकुड़ रही है, किसान कुचला जा रहा है। विकास के नाम पर किसानों का हक छीना जा रहा।” नोएडा से लखनऊ आने में 5 घंटे से ज्यादा न लगे, इसके लिए बुनियादी ढांचे का वादा किया। उन्होंने ‘दाम बांधो नीति’ को 2027 में फिर लागू करने का एलान किया, जो किसानों की फसल की न्यूनतम कीमत सुनिश्चित करती है। बॉडी लोशन के दाम कम करने पर तंज कसते हुए पूछा, “इससे क्या रोजगार मिलेगा?” यूपी ट्रेड शो और अमेरिका के टैरिफ पर सरकार की चुप्पी पर सवाल उठाए, कहा कि व्यापारी परेशान हैं जबकि सरकार मुनाफा बढ़ाने में लगी है। इसके अलावा, उन्होंने 1.93 लाख नौकरियों के दावे को खारिज किया और कहा कि बेरोजगारी, महंगाई और PDA पर अत्याचार से जनता जाग चुकी है। बीजेपी की नीतियां विनाशकारी हैं, माफिया और भ्रष्टाचार का बोलबाला है। ये मुद्दे ग्रामीण और शहरी दोनों वोटरों को छू सकते हैं, खासकर जब 2024 में सपा ने 37 लोकसभा सीटें जीतीं।

पोस्टर विवाद और सामाजिक सद्भाव: अखिलेश की अपील

‘I Love Muhammad’ और ‘I Love Mahadev’ पोस्टर विवाद पर अखिलेश ने कहा, “धर्म में प्रेम है तो विवाद क्यों? लेकिन अगर पुलिस फिरौती मांग रही है, तो सरकार किस दिशा में जा रही?” यह बयान धार्मिक सद्भाव की पैरवी करता है, जो PDA की व्यापक अपील को मजबूत बनाता है। उन्होंने बीजेपी पर PDA एकता से घबराने का आरोप लगाया, कहा कि विभागों में PDA प्रतिनिधित्व के आंकड़े जारी करने से वे अपमानित करने लगे। यह रुख अल्पसंख्यकों को आकर्षित करेगा, लेकिन हिंदुत्व की राजनीति करने वाली बीजेपी इसे कमजोरी के रूप में पेश कर सकती है, जैसा कि योगी ने PDA को “दंगाइयों का प्रोडक्शन हाउस” कहा।

2027 की राह: PDA सरकार का सपना या हकीकत?

अखिलेश ने स्पष्ट कहा कि इंडिया गठबंधन बरकरार रहेगा, लेकिन 2024 का फॉर्मूला 2027 में काम नहीं करेगा। पार्टी ने महिलाओं के लिए “स्त्री सम्मान समृद्धि योजना” का वादा किया, जिसमें डीबीटी, मोबाइल, लैपटॉप और PDA पाठशालाएं शामिल हैं। पुरानी पेंशन बहाली, आउटसोर्सिंग खत्म और पान की फसल को कृषि दर्जा देने जैसे वादे भी किए। सपा संगठन को बूथ स्तर पर मजबूत करने का निर्देश दिया। PDA की ताकत से 90% उत्पीड़ित वोटर जाग चुके हैं, जो 2027 में बड़ा बदलाव लाएंगे। लेकिन बीजेपी की सवर्ण-ओबीसी गठजोड़ और विकास के दावे चुनौती हैं। क्या सिर्फ नारे और वादे काफी होंगे, या समाज बदलाव के लिए तैयार है? जवाब आने वाले महीनों में मिलेगा, लेकिन अखिलेश की यह रणनीति यूपी की सियासत को नया रंग दे रही है।

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