उत्तर प्रदेश के जंगली जिलों से एक बड़ी और पैसेंजर वाली खबर सामने आई है। 2 अक्टूबर की दोपहर 3 बजे से लेकर 4 अक्टूबर की दोपहर 3 बजे तक पूरे बाजार में डिजिटल लॉकडाउन लागू हो गया है। इस दौरान इंटरनेट सेवाएं और एसएमएस सेवाएं पूरी तरह से बंद हो गईं। इसका प्रभाव मोबाइल इंटरनेट, ब्रॉडबैंड और मैसेजिंग ऐप पर रहेगा।
सरकार का सख्त फैसला क्यों?
गृह विभाग के सचिव गौरव दयाल ने बताया कि यह कदम अफवाहों और भड़काऊ पोस्ट पर लगाम लगाने के लिए उठाया गया है। हाल के दिनों में फेसबुक, व्हाट्सएप और यूट्यूब जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर गलत सूचनाओं का चलन बढ़ा है, जिससे कानून-व्यवस्था की स्थिति बिगड़ सकती है।
डिजिटल ब्लैकआउट से क्या होगा असर?
इस 48 घंटे के इंटरनेट सस्पेंशन से न केवल सोशल मीडिया बल्कि आम नागरिकों का प्रभाव भी प्रभावित होगा।
- छात्रों को ऑनलाइन कक्षाओं में परेशानी होगी।
- व्यापारिक लेन-देन और ऑनलाइन भुगतान के बारे में जानें।
- लोगों को आधिकारिक संचार और डिजिटल बैंकिंग जैसी सेवाओं में बढ़त मिलेगी।
सोशल मीडिया की ताकत और खतरे
आज का समय डिजिटल युग का है, जहां हर खबर सोशल मीडिया पर तेजी से फैलती है। लेकिन यही फ़्लोरिडा फ़्लोरिडा और हिंसा भड़काने का माध्यम भी बन जाता है। सरकार का कहना है कि इस अस्थायी कदम से गलत खबरों पर प्रतिबंध और सार्वजनिक सुरक्षा सुनिश्चित होगी।
लोगों से अपील
गृह विभाग ने अपील की है कि लोग धैर्य बनाए रखें और सोशल मीडिया जिम्मेदारी को स्वीकार करें। यह कदम केवल सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए उठाया गया है। जैसे ही स्थिति सामान्य होगी, इंटरनेट बहाली कर दी जाएगी।
बरेली डिजिटल लॉकडाउन का संदेश
यह घटना एक बार फिर याद दिलाती है कि तकनीक जितनी बड़ी ताकत है, उतनी ही बड़ी जिम्मेदारी भी है। अगर सोशल मीडिया का इस्तेमाल सही तरीके से किया जाए तो यह समाज को जोड़ता है। लेकिन अगर गलत तरीके से उपयोग हो तो यह समाज में विभाजन और हिंसा का कारण बन सकता है।
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