विस्फोट की भयावहता और देशव्यापी चिंता
10 नवंबर 2025 की शाम करीब 6:52 बजे दिल्ली के ऐतिहासिक लाल किले (रेड फोर्ट) के निकट लाल किला मेट्रो स्टेशन के गेट नंबर 1 पर एक हुंडई i-20 कार में भयानक विस्फोट हुआ। यह कायरतापूर्ण हमला इतना विनाशकारी था कि कम से कम 13 निर्दोष लोगों की मौत हो गई, जबकि 20 से अधिक घायल हुए। धमाके की तीव्रता से आसपास की कई गाड़ियां जलकर राख हो गईं और मलबा चारों ओर बिखर गया। फॉरेंसिक जांच में कार में अमोनियम नाइट्रेट फ्यूल ऑयल (ANFO) और अन्य उच्च-शक्ति विस्फोटक पाए गए, जो इसे आतंकी साजिश का स्पष्ट प्रमाण बनाते हैं। दिल्ली पुलिस ने मामले में यूएपीए, एक्सप्लोसिव एक्ट और भारतीय न्याय संहिता के तहत एफआईआर दर्ज की है। केंद्र सरकार ने इसे ‘आतंकी घटना’ घोषित कर राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) को सौंप दिया। पूरे देश में हाई अलर्ट जारी है—हवाई अड्डे, रेलवे स्टेशन, बाजार और धार्मिक स्थलों पर सुरक्षा कड़ी कर दी गई। लाल किला मेट्रो स्टेशन को 13 नवंबर तक बंद रखा गया, जबकि दिल्ली-एनसीआर में ट्रैफिक प्रतिबंध लगाए गए। यह घटना न केवल राजधानी की सुरक्षा पर सवाल खड़ी करती है, बल्कि राष्ट्रीय एकता की परीक्षा भी ले रही है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अमेरिका, ब्रिटेन और चीन जैसे देशों ने संवेदना व्यक्त की और यात्रा सलाह जारी की।
उमर अब्दुल्ला की कड़ी निंदा और सामाजिक संदेश
जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने इस हमले की कड़ी निंदा की और कहा कि यह बेहद निंदनीय है। जम्मू में पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने स्पष्ट किया, “यह क्रूर हत्या अस्वीकार्य है। कोई भी धर्म निर्दोषों की ऐसी बर्बर हत्या को जायज नहीं ठहरा सकता।” अब्दुल्ला ने जोर देकर कहा कि जम्मू-कश्मीर का हर निवासी आतंकी नहीं है। “कुछ ही लोग शांति और भाईचारे को नष्ट करने पर तुले हैं, लेकिन पूरे कश्मीरी समाज को एक ही नजर से देखना गलत है। जब हर कश्मीरी को एक ही विचारधारा से जोड़ा जाता है, तो समाज को सही दिशा में ले जाना मुश्किल हो जाता है।” उन्होंने दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा देने की मांग की, लेकिन निर्दोषों को इससे दूर रखने पर बल दिया। “दोषी लोगों को सख्त सजा मिलनी चाहिए, लेकिन निर्दोषों को इसमें फंसने न दिया जाए।” यह बयान न केवल हमले की भर्त्सना करता है, बल्कि सामाजिक सद्भाव को मजबूत करने का आह्वान भी है। अब्दुल्ला ने अनुच्छेद 370 हटाने के बाद भी आतंकवाद की मौजूदगी पर केंद्र सरकार पर प्रहार किया, “हमें कहा गया था कि विशेष दर्जा हटाने से कट्टरवाद खत्म हो जाएगा, लेकिन इस साल पाहलगाम हमला और दिल्ली ब्लास्ट साबित करते हैं कि यह लक्ष्य विफल रहा।”
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जांच में तेजी: डॉक्टरों का ‘व्हाइट-कॉलर टेरर’ मॉड्यूल
जांच एजेंसियां देशभर में सक्रिय हैं। एनआईए की 10 सदस्यीय टीम फरीदाबाद मॉड्यूल से जुड़े तार जोड़ रही है, जहां 9 नवंबर को 350 किलो विस्फोटक, AK-47 राइफल, पिस्टल और टाइमिंग डिवाइस बरामद हुए। आरोपी डॉक्टरों में पुलवामा के डॉ. उमर मोहम्मद (कार चालक), डॉ. मुजम्मिल शकील (अल-फलाह यूनिवर्सिटी लेक्चरर), डॉ. शाहीना सईद (लखनऊ), डॉ. आदिल अहमद राथर (सहरानपुर) और डॉ. निसारुल हसन (श्रीनगर, 2023 में नौकरी से बर्खास्त) शामिल हैं। डीएनए टेस्ट से कार चालक की पहचान डॉ. उमर के रूप में हुई। जैश-ए-मोहम्मद (JeM) और अंसार गजवात-उल-हिंद के पाकिस्तान-आधारित हैंडलर्स से लिंक उजागर हुए। लखनऊ, कानपुर, मेरठ और हरियाणा में छापे मारे गए; 12 से अधिक गिरफ्तारियां हुईं। अल-फलाह यूनिवर्सिटी की सदस्यता निलंबित कर दी गई। अब्दुल्ला ने उच्च शिक्षित आरोपियों पर सवाल उठाए, “यह पहली बार नहीं जब डॉक्टर जैसे प्रोफेशनल्स इसमें लिप्त पाए गए। श्रीनगर के डॉ. अरिफ निसार दार को 2024 में नौकरी से निकाला गया, लेकिन उसके खिलाफ मुकदमा क्यों नहीं चला? सुरक्षा चूक क्यों हुई?” उन्होंने केंद्रीय एजेंसियों से समन्वय की कमी पर चिंता जताई।
आगे की राह: न्याय और एकता का संकल्प
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भूटान से फोन पर गृह मंत्री अमित शाह से चर्चा की और कहा, “साजिशकर्ताओं को बख्शा नहीं जाएगा।” शाह ने घटनास्थल का दौरा कर समीक्षा बैठकें कीं। केबिनेट कमिटी ऑन सिक्योरिटी की बैठक बुलाई गई। अब्दुल्ला का संदेश साफ है—आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में निर्दोषों को निशाना न बनाएं। यह घटना ‘व्हाइट-कॉलर टेरर’ की नई चुनौती पेश करती है, जहां शिक्षित युवा रेडिकलाइज हो रहे हैं। सरकार उन्नत खुफिया तंत्र, डिजिटल ट्रेलिंग और अंतरराष्ट्रीय सहयोग पर जोर दे रही है। मृतकों के परिवारों के प्रति संवेदना व्यक्त करते हुए, राष्ट्र एकजुट होकर इस खतरे का सामना करेगा। सतर्कता और न्याय ही असली जवाब हैं।

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