November 16, 2025

कर्नाटक कैबिनेट रिफॉर्म: राहुल-सिद्धारमैया बैठक से सियासी हलचल!

दिल्ली में अचानक बैठक: क्या है छिपा राज?

कांग्रेस की राजनीति में 15 नवंबर 2025 को एक बड़ा तूफान उठा, जब कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज सिद्धारमैया ने दिल्ली में लोकसभा विपक्ष के नेता राहुल गांधी से मुलाकात की। यह बैठक बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के हार के बाद हुई, जहां कांग्रेस को महज 6 सीटें मिलीं। सिद्धारमैया ने मीडिया को बताया कि चर्चा केवल बिहार परिणाम पर हुई, और उन्होंने राहुल को हौसला दिया। लेकिन सूत्रों का दावा है कि कैबिनेट रिफॉर्म और आंतरिक कलह पर भी बात हुई। यह मुलाकात कर्नाटक की सत्ता संतुलन को लेकर अटकलों का केंद्र बनी हुई है।

बिहार हार का असर: कर्नाटक पर छाया संकट

बिहार में NDA की शानदार जीत (202 सीटें) ने कांग्रेस को झकझोर दिया। RJD 25 सीटों पर सिमट गई, जबकि कांग्रेस का प्रदर्शन निराशाजनक रहा। राहुल गांधी ने इसे ‘अनुचित चुनाव’ बताया। इसी संदर्भ में सिद्धारमैया और तेलंगाना के सीएम रेवंत रेड्डी ने राहुल से मुलाकात की, जहां पार्टी की रणनीति पर चर्चा हुई। कर्नाटक में यह हार नेतृत्व परिवर्तन की अफवाहों को हवा दे रही है। डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार भी दिल्ली पहुंचे हैं, जो मध्यावधि में सीएम पद की दौड़ में हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि बिहार की हार ने कर्नाटक में स्थिरता पर सवाल खड़े कर दिए हैं।

कैबिनेट रिफॉर्म की तैयारी: हरी झंडी का इशारा?

कर्नाटक कैबिनेट में लंबे समय से 5-6 पद खाली पड़े हैं, जिससे कई वरिष्ठ नेताओं में असंतोष है। सिद्धारमैया ने राहुल से कथित तौर पर रिफॉर्म प्रस्ताव पर चर्चा की, जिसमें मंत्रालयों का पुनर्वितरण शामिल है। हालांकि, सीएम ने साफ किया कि ‘कैबिनेट रिफॉर्म पर कोई बात नहीं हुई’। फिर भी, इंडिया टुडे जैसे स्रोतों के अनुसार, यह बैठक लंबित विस्तार की दिशा में कदम है। मल्लिकार्जुन खड़गे का अंतिम फैसला बाकी है। यदि मंजूरी मिली, तो शिवकुमार समर्थकों को फायदा हो सकता है, जो सत्ता संतुलन बनाए रखेगा। यह कदम पार्टी एकता को मजबूत करने का प्रयास माना जा रहा है।

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सिद्धारमैया vs शिवकुमार: सत्ता संघर्ष का अंत?

कर्नाटक कांग्रेस में सिद्धारमैया और डीके शिवकुमार के बीच तनाव जगजाहिर है। शिवकुमार के समर्थक ‘नवंबर रेवोल्यूशन’ की बात कर रहे हैं, जिसमें नेतृत्व परिवर्तन संभव। राहुल की यह पहल दोनों धड़ों के बीच संतुलन बनाने की कोशिश लगती है। पूर्व मंत्री केएन राजन्ना ने इसे ‘बड़ा बदलाव’ बताया। लेकिन बिहार हार के बाद हाईकमान सतर्क है, जो किसी बड़े फेरबदल को टाल सकता है। सोशल मीडिया पर NDTV जैसे हैंडल्स ने इसे ‘बड़ा बज़’ करार दिया, जहां वीडियो में स्पेकुलेशन दिखाए गए। राजनीतिक विश्लेषक कहते हैं कि यह बैठक कर्नाटक सरकार की स्थिरता के लिए टर्निंग पॉइंट हो सकती है।

भविष्य की रणनीति: क्या होगा अगला कदम?

यह बैठक कांग्रेस के लिए एक सबक है—आंतरिक एकता ही जीत की कुंजी। यदि रिफॉर्म हुआ, तो कई मंत्रालय बदल सकते हैं, जो 2028 के चुनावों की तैयारी को मजबूत करेगा। सिद्धारमैया सोमवार को पीएम मोदी से मिलने की योजना बना रहे हैं। कर्नाटक की सियासत पर सभी निगाहें टिकी हैं। क्या जल्द ही बड़ा फेरबदल होगा? हम हर अपडेट लाएंगे। यह घटना दिखाती है कि राष्ट्रीय हार राज्य स्तर पर रणनीति बदल सकती है।

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