पटना: बिहार की राजनीति में इन दिनों हलचल तेज है। लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के नेता और केंद्रीय मंत्री पशुपति कुमार पारस से जब राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के साथ जाने को लेकर सवाल किया गया, तो उन्होंने स्पष्ट रूप से अपनी प्रतिक्रिया दी। इस बयान ने राज्य की राजनीतिक चर्चा को और गरमा दिया है।
क्या कहा पशुपति कुमार पारस ने?
जब पशुपति कुमार पारस से पूछा गया कि क्या उनकी पार्टी आरजेडी के साथ गठबंधन कर सकती है, तो उन्होंने कहा, “हमारी पार्टी अपने सिद्धांतों पर चलती है। बिहार की जनता के हित में जो भी सही होगा, वही निर्णय लिया जाएगा, लेकिन अभी तक ऐसी कोई बातचीत नहीं हुई है।”
उन्होंने यह भी कहा कि वे हमेशा अपने दिवंगत नेता रामविलास पासवान की विचारधारा को आगे बढ़ाने के पक्ष में हैं और कोई भी निर्णय जनता की भलाई को ध्यान में रखकर लिया जाएगा। पारस ने दो टूक कहा कि उनकी प्राथमिकता बिहार के विकास और जनता की सेवा है, न कि राजनीतिक जोड़तोड़।
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बिहार की राजनीतिक परिस्थितियां और संभावित गठबंधन
बिहार में इस समय गठबंधन की राजनीति उफान पर है। जेडीयू और बीजेपी की सरकार बनने के बाद विपक्षी दल अपनी स्थिति मजबूत करने में जुटे हुए हैं। इस बीच, कई क्षेत्रीय दलों के समीकरण बदल सकते हैं।
आरजेडी, जो राज्य में मुख्य विपक्षी दल है, संभावित गठबंधनों को लेकर नए समीकरण बनाने की कोशिश में लगा हुआ है। लेकिन पशुपति कुमार पारस ने आरजेडी के साथ किसी भी तरह के गठबंधन की संभावना से इनकार किया, जिससे यह साफ हो गया कि उनकी पार्टी फिलहाल अपने स्वतंत्र राजनीतिक रास्ते पर ही आगे बढ़ेगी।
पारस-चिराग पासवान विवाद और राजनीतिक समीकरण
यह बयान ऐसे समय में आया है जब पशुपति कुमार पारस और चिराग पासवान के बीच मतभेद जगजाहिर हैं। लोक जनशक्ति पार्टी (LJP) में विभाजन के बाद से दोनों नेताओं के रास्ते अलग हो चुके हैं। चिराग पासवान, जो खुद को रामविलास पासवान की राजनीतिक विरासत का असली उत्तराधिकारी मानते हैं, बीजेपी के साथ गठबंधन में शामिल हैं, जबकि पशुपति पारस ने अपनी अलग राह चुनी है।
ऐसे में, यह देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले दिनों में बिहार की राजनीति में क्या नए समीकरण बनते हैं और क्या पशुपति पारस अपनी पार्टी की रणनीति में कोई बदलाव करते हैं।
बीजेपी और जेडीयू का रुख
बिहार में बीजेपी और जेडीयू गठबंधन की सरकार चल रही है, और बीजेपी पशुपति कुमार पारस को अपने महत्वपूर्ण सहयोगी के रूप में देखती है। अगर पारस किसी अन्य दल के साथ गठबंधन करने की सोचते भी हैं, तो यह बिहार की मौजूदा सरकार के लिए एक नई चुनौती खड़ी कर सकता है।
बीजेपी के कई वरिष्ठ नेताओं ने पहले भी कहा है कि पशुपति पारस NDA के मजबूत घटक हैं और उनके साथ गठबंधन बना रहेगा। वहीं, जेडीयू भी अपने पुराने सहयोगियों को साथ लेकर चलने की नीति पर काम कर रही है।
आरजेडी का क्या कहना है?
आरजेडी के नेताओं ने इस मुद्दे पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि उनकी पार्टी का उद्देश्य बिहार में एक मजबूत विपक्ष बनाना और जनहित के मुद्दों पर सरकार को घेरना है। हालांकि, उन्होंने पशुपति पारस के बयान पर सीधा कोई जवाब नहीं दिया, लेकिन यह जरूर कहा कि सभी राजनीतिक दलों से बातचीत के रास्ते खुले हैं।
आगे की संभावनाएं
बिहार की राजनीति में आगामी चुनावों से पहले बड़े बदलाव देखने को मिल सकते हैं। पशुपति कुमार पारस की पार्टी की भविष्य की रणनीति क्या होगी, यह आने वाले महीनों में स्पष्ट होगा।
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