2008 में मुंबई पर हुए भीषण आतंकवादी हमले के एक प्रमुख आरोपी तहव्वुर हुसैन राणा को अब भारत में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) की हिरासत में पूछताछ के लिए दिल्ली लाया गया है। दिल्ली की NIA अदालत ने उसकी हिरासत को 12 दिनों के लिए बढ़ा दिया, जिसके बाद उसे सीधे NIA मुख्यालय ले जाया गया, जहां उससे गहन पूछताछ की जा रही है।
यह मामला न केवल भारत की आतंकी विरोधी कार्रवाई में एक बड़ा मोड़ माना जा रहा है, बल्कि इससे पाकिस्तान में बैठे आतंक के नेटवर्क की नई परतें भी खुलने की उम्मीद है।
कौन है तहव्वुर राणा?
तहव्वुर राणा एक पाकिस्तानी मूल का कनाडाई नागरिक है, जो पेशे से एक चिकित्सक है। लेकिन उसकी असली पहचान एक आतंकी साजिशकर्ता के रूप में तब सामने आई जब अमेरिका में डेविड हेडली के साथ उसकी भूमिका उजागर हुई।
हेडली और राणा ने मिलकर भारत में रैकी की थी और 26/11 के हमलों से पहले लश्कर-ए-तैयबा को भारत की लोकेशन और रणनीतिक जानकारियां मुहैया कराई थीं।
अमेरिका से प्रत्यर्पण के बाद भारत लाया गया
तहव्वुर राणा को अमेरिका की जेल में सजा काटने के दौरान भारत ने उसके प्रत्यर्पण (Extradition) की मांग की थी। लंबी कानूनी प्रक्रिया के बाद अमेरिका ने हाल ही में उसे भारत को सौंपा। 13 वर्षों की कानूनी लड़ाई के बाद राणा को दिल्ली लाया गया, जहां NIA ने उसे अपनी कस्टडी में लिया।
दिल्ली में पूछताछ – नए खुलासों की उम्मीद
NIA सूत्रों के अनुसार, तहव्वुर राणा से लश्कर-ए-तैयबा की भारत में मौजूदगी, डेविड हेडली के संपर्क, और 26/11 की साजिश से जुड़ी बारीक जानकारियों को लेकर पूछताछ की जा रही है।
एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार,
“हम सिर्फ 26/11 की साजिश नहीं, बल्कि राणा की भारत में और किन लोगों से संपर्क था, कौन-कौन उसकी मदद कर रहा था – इस पूरे नेटवर्क को खंगाल रहे हैं।”
क्या खुल सकते हैं नए नेटवर्क?
विशेषज्ञों का मानना है कि राणा की गिरफ़्तारी के बाद भारत में स्लीपर सेल्स, खुफिया जानकारी जुटाने वाले एजेंट्स, और धन की आपूर्ति जैसे पहलुओं पर रोशनी पड़ सकती है।
यह भी जांच का विषय है कि राणा का कश्मीर या पंजाब के अलगाववादी संगठनों से कोई संपर्क था या नहीं। अगर ऐसा पाया गया, तो यह भारत की आतंकी विरोधी रणनीति को और भी सुदृढ़ करने में मददगार साबित हो सकता है।
NIA की कार्रवाई को लेकर सतर्कता
दिल्ली स्थित NIA मुख्यालय के चारों ओर सुरक्षा के कड़े इंतज़ाम किए गए हैं। तहव्वुर राणा को एक विशेष बैरक में रखा गया है और पूछताछ की प्रक्रिया वीडियो रिकॉर्डिंग के तहत चल रही है। हर उत्तर को दस्तावेज़ के रूप में दर्ज किया जा रहा है।
सूत्रों के मुताबिक, राणा सहयोग कर रहा है, लेकिन कुछ बिंदुओं पर वह चुप्पी साधे हुए है। जांच एजेंसियां उसे मानसिक और रणनीतिक दबाव में लेकर जानकारी निकालने का प्रयास कर रही हैं।
राजनीतिक और कूटनीतिक महत्त्व
राणा की भारत में गिरफ्तारी से यह भी साबित होता है कि भारत की कूटनीतिक पकड़ अब वैश्विक स्तर पर मजबूत हुई है। अमेरिका से आतंक के एक आरोपी को सौंपना यह दिखाता है कि भारत की मांगों को अब गंभीरता से लिया जा रहा है।
इसके अलावा यह संदेश भी गया है कि भारत आतंक के आरोपियों को बख्शेगा नहीं, चाहे वे दुनिया के किसी भी कोने में छिपे हों।
पीड़ित परिवारों को उम्मीद
26/11 हमले में जिन परिवारों ने अपने अपनों को खोया था, उनके लिए यह एक भावनात्मक मोड़ है। कई परिजनों ने कहा कि “इतने साल बाद अगर हमले के दोषियों को सज़ा मिलती है, तो यह न्याय की दिशा में एक कदम होगा।”
तहव्वुर राणा का दिल्ली स्थित NIA मुख्यालय में पहुंचना एक बड़ा घटनाक्रम है। इससे न सिर्फ 26/11 की साजिश के और गहरे राज खुल सकते हैं, बल्कि पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद के वैश्विक नेटवर्क को उजागर करने में भी मदद मिल सकती है।
अब देश की निगाहें NIA की जांच पर टिकी हैं – क्या तहव्वुर राणा वह सब बताएगा जो इतने सालों से छिपा है? क्या भारत उसे उसके गुनाहों की सज़ा दिला पाएगा?
आने वाले दिन इस पूरे मामले में कई नए मोड़ ला सकते हैं।
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