चारधाम यात्रा, उत्तराखंड का एक प्रमुख तीर्थ स्थल, हर साल मई में शुरू होती है और लाखों श्रद्धालुओं के लिए आस्था का प्रतीक है। बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री जैसे पवित्र मंदिर समुद्र तल से 3,000 से 3,500 मीटर की ऊंचाई पर स्थित हैं। इस साल 2025 में, यात्रा शुरू होने के बाद से अब तक 80 श्रद्धालुओं की मौत की खबरें सामने आई हैं, जो चिंता का विषय बन गई हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, इन मौतों का प्रमुख कारण ऊंचाई पर ऑक्सीजन की कमी (हाइपोक्सिया), हार्ट अटैक और सांस लेने में तकलीफ हैं। यह स्थिति न केवल श्रद्धालुओं के लिए खतरनाक है, बल्कि प्रशासन की तैयारियों पर भी सवाल उठाती है।
ऊंचाई और हाइपोक्सिया का खतरा
चारधाम के मंदिरों की ऊंचाई के कारण हवा में ऑक्सीजन का स्तर तेजी से कम होता है। समुद्र तल पर ऑक्सीजन की मात्रा 21% होती है, लेकिन 3,000 मीटर की ऊंचाई पर यह स्तर काफी घट जाता है। इस स्थिति को मेडिकल भाषा में ‘हाइपोक्सिया’ कहा जाता है। मैदानी इलाकों से अचानक पहाड़ों पर चढ़ने वाले श्रद्धालुओं के लिए यह जानलेवा हो सकता है। डॉक्टरों के अनुसार, बिना तैयारी के ऊंचाई पर चढ़ने से ‘एक्यूट माउंटेन सिकनेस’ (AMS) का खतरा बढ़ जाता है। इसके लक्षणों में सिरदर्द, चक्कर आना, उल्टी, थकान और सांस फूलना शामिल हैं। सबसे ज्यादा जोखिम बुजुर्गों और पहले से हार्ट रोग, हाई ब्लड प्रेशर, डायबिटीज या सांस की बीमारियों से पीड़ित लोगों को है।
यह भी पढ़ें :आरसीबी सम्मान समारोह भगदड़: सहायता राशि की घोषणा
मौतों के आंकड़े और जोखिम समूह
आंकड़ों पर नजर डालें तो बुजुर्ग और पहले से बीमार लोग सबसे ज्यादा प्रभावित हैं। कई श्रद्धालु बिना मेडिकल जांच या शारीरिक तैयारी के यात्रा पर निकल पड़ते हैं, जो जोखिम को और बढ़ा देता है। हार्ट अटैक और सांस की समस्याएं इन मौतों के प्रमुख कारण बने हैं। ऊंचाई पर ऑक्सीजन की कमी शरीर पर भारी पड़ती है, खासकर उन लोगों पर जो शारीरिक रूप से इसके लिए तैयार नहीं होते। ऐसे में, यात्रा से पहले स्वास्थ्य जांच और डॉक्टरी सलाह लेना अत्यंत जरूरी है।
प्रशासन की तैयारी और चुनौतियां
उत्तराखंड सरकार ने यात्रा मार्गों पर मेडिकल कैंप, ऑक्सीजन सिलेंडर और आपातकालीन सेवाओं की व्यवस्था की है। हालांकि, श्रद्धालुओं की भारी भीड़ के सामने ये सुविधाएं नाकाफी साबित हो रही हैं। मौसम भी एक बड़ी चुनौती है। अचानक बारिश, भूस्खलन और ठंड यात्रा को और जोखिम भरा बना देते हैं। प्रशासन को और बेहतर योजना, अधिक मेडिकल सुविधाएं, और जागरूकता अभियान चलाने की जरूरत है ताकि श्रद्धालु सुरक्षित रहें।
सावधानियां और सुझाव
श्रद्धालुओं को यात्रा से पहले डॉक्टरी जांच करानी चाहिए। ऊंचाई के अनुकूल ढलने के लिए धीरे-धीरे चढ़ाई करें, खूब पानी पिएं, और हल्का भोजन लें। ऑक्सीजन सिलेंडर और जरूरी दवाएं साथ रखें। मौसम की जानकारी लेना भी जरूरी है। इन सावधानियों से चारधाम यात्रा को सुरक्षित और आध्यात्मिक अनुभव बनाया जा सकता है। आइए, आस्था के इस सफर को सुरक्षित और यादगार बनाएं।
संबंधित पोस्ट
पुरी रथयात्रा में भगदड़, 3 श्रद्धालुओं की मौत, कई घायल; प्रशासन पर उठे सवाल
कोलकाता लॉ छात्रा से गैंगरेप मामला: मेडिकल रिपोर्ट में क्रूरता के मिले संकेत
हरियाणा कैडर की IPS अधिकारी स्मिति चौधरी का निधन, पुलिस परिवार में शोक