सिंधु नदी बेसिन परियोजनाओं को गति: भारत की रणनीतिक पहल

पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले के बाद भारत सरकार ने सिंधु जल संधि को फिलहाल रोक दिया है। अब सरकार की नजर सिंधु नदी बेसिन की परियोजनाओं को तेजी से पूरा करने पर है। इसका उद्देश्य जम्मू-कश्मीर में सिंधु नदी के पानी का अधिकतम उपयोग सुनिश्चित करना है। केंद्र सरकार इन परियोजनाओं को जल्द से जल्द पूरा करने के लिए सभी जरूरी मंजूरी प्रदान करने की तैयारी में है। इसका लक्ष्य न केवल बिजली उत्पादन और सिंचाई को बढ़ावा देना है, बल्कि क्षेत्र में पानी की कमी को भी दूर करना है।

पर्यावरण के साथ संतुलन बनाए रखने की प्रतिबद्धता

केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने स्पष्ट किया है कि सरकार इन रणनीतिक परियोजनाओं के लिए सभी आवश्यक ग्रीन क्लीयरेंस और नियामक अनुमोदन जल्द से जल्द प्रदान करेगी। उन्होंने कहा, “मंत्रालय यह सुनिश्चित करेगा कि इन परियोजनाओं को तेजी से मंजूरी मिले, लेकिन वैज्ञानिक मानकों और पर्यावरण संरक्षण का पूरा ध्यान रखा जाएगा।” इसका मतलब है कि सरकार पर्यावरणीय संतुलन बनाए रखते हुए इन परियोजनाओं को गति देना चाहती है। इसके लिए मंत्रालय ने एक सिंगल-विंडो पोर्टल भी शुरू किया है, जिससे मंजूरी प्रक्रिया को और सरल बनाया जा सके।

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पनबिजली और जलाशय परियोजनाओं पर विशेष जोर

सरकार का ध्यान न केवल पनबिजली परियोजनाओं पर है, बल्कि सिंचाई और जल संग्रहण योजनाओं को भी प्राथमिकता दी जा रही है। उरी स्टेज-II (240 MW), किरथई-II (930 MW) और सावलकोट (1856 MW) जैसी परियोजनाएं मंजूरी के इंतजार में हैं। ये परियोजनाएं न केवल बिजली उत्पादन में योगदान देंगी, बल्कि बड़े जलाशयों के निर्माण से पानी की उपलब्धता भी बढ़ाएंगी। इससे जम्मू-कश्मीर में पानी की कमी से जूझ रहे क्षेत्रों को राहत मिलेगी और कृषि क्षेत्र को भी बल मिलेगा।

रणनीतिक महत्व और क्षेत्रीय प्रभाव

इन परियोजनाओं का रणनीतिक महत्व भी है। जैसे-जैसे भारत सिंधु नदी के पानी पर अपना नियंत्रण बढ़ाएगा, पाकिस्तान की ओर जाने वाला जल प्रवाह कम हो सकता है। यह भारत के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है, क्योंकि इससे न केवल ऊर्जा और जल संसाधनों का बेहतर उपयोग होगा, बल्कि क्षेत्रीय जल प्रबंधन में भी भारत की स्थिति मजबूत होगी। सरकार का लक्ष्य इन परियोजनाओं को समयबद्ध तरीके से पूरा करना है, ताकि देश को बिजली, सिंचाई और पानी की उपलब्धता के मामले में आत्मनिर्भर बनाया जा सके।

कुल मिलाकर, भारत सरकार की यह पहल न केवल जम्मू-कश्मीर के लिए बल्कि पूरे देश के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। यह परियोजनाएं न केवल आर्थिक विकास को गति देंगी, बल्कि पर्यावरणीय स्थिरता और रणनीतिक मजबूती को भी सुनिश्चित करेंगी।

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