समाजवादी पार्टी (सपा) के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने करणी सेना के विरोध प्रदर्शन के बीच बीजेपी पर कड़ा निशाना साधा। उन्होंने कहा कि “यह सेना वेना सब नकली है” और आरोप लगाया कि यह सब बीजेपी के लोग हैं जो समाज में विभाजन और अशांति फैलाने का काम कर रहे हैं। उनका यह बयान तब आया जब आगरा में राणा सांगा की जयंती के अवसर पर करणी सेना ने कार्यक्रम आयोजित किया था, और सपा के सांसद रामजी लाल सुमन के घर की सुरक्षा बढ़ा दी गई थी।
आगरा में करणी सेना का विरोध प्रदर्शन
आगरा में करणी सेना ने राणा सांगा की जयंती के मौके पर एक कार्यक्रम आयोजित किया था। राणा सांगा को याद करने के इस आयोजन को लेकर करणी सेना और समाजवादी पार्टी के बीच तनातनी बढ़ गई। करणी सेना का आरोप था कि समाजवादी पार्टी के नेता राणा सांगा की जयंती के कार्यक्रम को राजनीति का हिस्सा बना रहे हैं। वहीं, सपा नेता इस कार्यक्रम को सांस्कृतिक और ऐतिहासिक महत्व का मानते हुए इसे एक आदर्श स्थापित करने का प्रयास कर रहे थे।
आगरा में बढ़ते तनाव को देखते हुए, रामजी लाल सुमन के घर की सुरक्षा बढ़ा दी गई है। रामजी लाल सुमन समाजवादी पार्टी के सांसद हैं और उनका संबंध करणी सेना से विवादित हो गया था। सुरक्षा के कड़े इंतजामों के बावजूद, करणी सेना और समाजवादी पार्टी के समर्थक लगातार एक-दूसरे से टकराते नजर आए, जिससे माहौल तनावपूर्ण हो गया।
अखिलेश यादव का कड़ा बयान
इसी बीच, समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव ने इटावा में अपने एक कार्यक्रम के दौरान करणी सेना और बीजेपी को लेकर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की। उन्होंने कहा, “अगर कोई हमारे रामजी लाल सुमन या हमारे कार्यकर्ताओं का अपमान करेगा, तो हम समाजवादी लोग भी उनके साथ खड़े दिखाई देंगे। हम उनके सम्मान की लड़ाई लड़ेंगे। यह सेना वेना सब नकली है, यह सब बीजेपी वाले हैं।”
अखिलेश यादव ने इस बयान में यह भी आरोप लगाया कि बीजेपी और उनकी समर्थक सेनाएँ समाज में साम्प्रदायिक तनाव पैदा करने के लिए ऐसी गतिविधियों को बढ़ावा देती हैं। उनके अनुसार, करणी सेना का काम सिर्फ राजनीतिक लाभ उठाने का है और उनका मुख्य उद्देश्य समाज में भ्रम और विवाद पैदा करना है। समाजवादी पार्टी का यह मानना है कि बीजेपी द्वारा करणी सेना का समर्थन किया जा रहा है ताकि वे अपनी राजनीतिक जमीन मजबूत कर सकें।
सपा और करणी सेना के बीच टकराव
अखिलेश यादव का यह बयान समाजवादी पार्टी और करणी सेना के बीच बढ़ते विवाद को दर्शाता है। सपा का यह आरोप है कि करणी सेना के विरोध प्रदर्शनों का मुख्य उद्देश्य केवल समाज में तनाव पैदा करना और बीजेपी के पक्ष में माहौल बनाना है। समाजवादी पार्टी ने करणी सेना को “नकली” करार दिया और कहा कि यह कोई असली सेना नहीं है, बल्कि बीजेपी द्वारा चलाया गया एक राजनीतिक मोहरा है।
सपा नेता लगातार यह आरोप भी लगा रहे हैं कि बीजेपी और करणी सेना की मिलीभगत से समाजवादी पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं के खिलाफ प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से हमले हो रहे हैं। रामजी लाल सुमन, जो खुद एक सपा सांसद हैं, उनके खिलाफ भी इसी तरह के हमलों को लेकर सपा और करणी सेना के बीच मतभेद बढ़ गए हैं।
बीजेपी पर आरोप
अखिलेश यादव ने बीजेपी पर आरोप लगाते हुए कहा कि पार्टी समाज में सांप्रदायिक तनाव को बढ़ावा दे रही है और इसके पीछे उनका केवल एक उद्देश्य है – वोट बैंक की राजनीति। उन्होंने कहा कि बीजेपी समाज की धार्मिक भावनाओं का शोषण कर सत्ता में बने रहने की कोशिश कर रही है और इस प्रक्रिया में वह विभिन्न समाजों के बीच संघर्ष को बढ़ावा दे रही है।
अखिलेश यादव ने आगे कहा कि अगर बीजेपी और उनकी समर्थक सेनाएँ समाज के किसी भी वर्ग को नुकसान पहुंचाने का प्रयास करेंगी, तो समाजवादी पार्टी हमेशा उनके खिलाफ खड़ी रहेगी और उनकी रक्षा करेगी।
राजनीतिक हलचलें और भविष्य की संभावनाएँ
बीजेपी और समाजवादी पार्टी के बीच बढ़ते राजनीतिक विवाद के बीच, इस प्रकार के बयान राजनीतिक रूप से संवेदनशील होते हैं। अखिलेश यादव का बयान साफ तौर पर बीजेपी को निशाने पर लेते हुए उनकी रणनीतियों का विरोध करता है। यह स्थिति आने वाले चुनावों में और अधिक सियासी गर्मी पैदा कर सकती है, क्योंकि दोनों दल अपनी-अपनी स्थिति को मजबूत करने के लिए ऐसे बयान दे रहे हैं।
हालांकि, यह कहना मुश्किल है कि यह विवाद भविष्य में किस दिशा में जाएगा, लेकिन राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि इस प्रकार के मुद्दे समाज के विभिन्न वर्गों के बीच विभाजन पैदा करने का कारण बन सकते हैं। चुनावी मौसम के चलते इस प्रकार की बयानबाजी से राजनीतिक माहौल और भी ज्यादा तात्कालिक हो सकता है।
अखिलेश यादव का बयान बीजेपी और करणी सेना के खिलाफ एक सख्त राजनीतिक कदम माना जा रहा है। इस बयान से यह भी स्पष्ट है कि समाजवादी पार्टी आने वाले समय में अपनी राजनीतिक लड़ाई को और तेज़ कर सकती है। वहीं, करणी सेना और बीजेपी के पक्ष में भी प्रतिक्रियाएँ आनी निश्चित हैं। ऐसे में, उत्तर प्रदेश की राजनीति में आने वाले दिनों में और अधिक उथल-पुथल की संभावना है।
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