कोविड-19 की उत्पत्ति को लेकर अब भी सभी संभावनाएं खुली

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने 26 जून 2025 को एक महत्वपूर्ण बयान में कहा है कि कोविड-19 महामारी की उत्पत्ति को लेकर अब भी सभी परिकल्पनाएं खुली हैं। महामारी की शुरुआत वर्ष 2019 के अंत में चीन के वुहान शहर से हुई थी, लेकिन अब तक इसके स्रोत को लेकर कोई निर्णायक प्रमाण सामने नहीं आया है। WHO की यह टिप्पणी उस समय आई है जब पूरी दुनिया कोविड-19 की विभीषिका से धीरे-धीरे उबर रही है, लेकिन इसके स्रोत को लेकर जारी संदेह और जांच अब भी अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों और वैज्ञानिक समुदाय के बीच बहस का विषय बना हुआ है।

SAGO की जांच नहीं पहुंची निष्कर्ष तक

WHO द्वारा गठित Scientific Advisory Group for the Origins of Novel Pathogens (SAGO) की जांच अब तक किसी ठोस निष्कर्ष तक नहीं पहुंच पाई है। इस वैज्ञानिक समूह को 2021 में स्थापित किया गया था ताकि यह कोरोना वायरस की उत्पत्ति की वैज्ञानिक जांच कर सके।SAGO ने विभिन्न स्रोतों से मिले डेटा और रिपोर्टों का विश्लेषण किया, लेकिन रिपोर्ट में कहा गया है कि डेटा की पारदर्शिता की कमी और अंतरराष्ट्रीय सहयोग की सीमाएं इस जांच में बड़ी बाधा बनीं।WHO ने स्पष्ट किया कि जब तक पर्याप्त वैज्ञानिक प्रमाण नहीं मिलते, तब तक यह मानना जल्दबाज़ी होगी कि वायरस प्राकृतिक रूप से फैला या किसी लैब से निकला।

वायरस की उत्पत्ति को समझना क्यों है ज़रूरी?

WHO ने जोर देकर कहा है कि वायरस की उत्पत्ति को समझना केवल अतीत का हिसाब-किताब नहीं है, बल्कि इसका सीधा संबंध भविष्य की महामारियों की रोकथाम से है। यदि हमें यह पता चल जाए कि वायरस कैसे फैला, तो हम बेहतर सार्वजनिक स्वास्थ्य रणनीतियां बना सकते हैं और भविष्य में ऐसी त्रासदियों से बच सकते हैं।WHO की रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि कोविड-19 महामारी से अब तक वैश्विक स्तर पर लगभग 2 करोड़ लोगों की जान जा चुकी है और इसका गहरा प्रभाव वैश्विक अर्थव्यवस्था पर पड़ा है।

अंतरराष्ट्रीय राजनीति और जांच में रुकावट

कोरोना वायरस की उत्पत्ति को लेकर चीन और पश्चिमी देशों के बीच राजनीतिक तनाव भी लगातार बढ़ता रहा है। कई देशों ने चीन पर जानकारी छिपाने का आरोप लगाया, वहीं चीन ने इन आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि वायरस की उत्पत्ति के लिए उसे दोषी ठहराना राजनीतिक रूप से प्रेरित है।WHO ने रिपोर्ट में यह भी कहा कि महामारी की उत्पत्ति को लेकर आगे की जांच के लिए वैश्विक सहयोग और डेटा साझा करने की आवश्यकता है। संगठन ने सभी देशों से आग्रह किया है कि वे पारदर्शिता के साथ वैज्ञानिकों को अनसुलझे सवालों के जवाब खोजने में सहयोग दें।

आगे क्या?

WHO ने संकेत दिए हैं कि भविष्य में इस दिशा में और अधिक वैज्ञानिक अध्ययन और वैश्विक शोध सहयोग की आवश्यकता होगी। SAGO की टीम को नई सूचनाएं और डेटा मिलने पर वे अपनी जांच को आगे बढ़ाएंगे। इसके साथ ही WHO ने यह भी चेताया कि वायरस की उत्पत्ति को लेकर अफवाहों और साजिश-थ्योरी से बचना बेहद जरूरी है, ताकि शोध को राजनीतिक विवाद से ऊपर रखा जा सके।WHO की कोविड-19 रिपोर्ट 2025 एक बार फिर हमें यह याद दिलाती है कि महामारी का स्रोत आज भी एक रहस्य बना हुआ है। जब तक इसके पीछे की सच्चाई उजागर नहीं होती, तब तक पूरी दुनिया को सतर्क रहना होगा।वायरस की उत्पत्ति को लेकर सभी परिकल्पनाएं खुली हैं – चाहे वह प्राकृतिक स्रोत हो या लैब लीक थ्योरी। लेकिन निष्कर्ष तक पहुंचने के लिए वैज्ञानिकों, सरकारों और अंतरराष्ट्रीय संगठनों के बीच सहयोग ही एकमात्र रास्ता है।

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