2025 में वक्फ कानून में किए गए संशोधन ने वक्फ संपत्तियों की व्यवस्थापन प्रक्रिया को लेकर कई महत्वपूर्ण बदलाव किए हैं। इन बदलावों के पीछे सरकार का कहना है कि यह कदम वक्फ संपत्तियों का बेहतर उपयोग सुनिश्चित करेगा। लेकिन मुस्लिम समुदाय के कई संगठनों का मानना है कि यह संशोधन उनकी धार्मिक स्वतंत्रताओं और वक्फ संपत्तियों के अधिकारों पर आक्रमण है।
ओवैसी का विरोध
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के अध्यक्ष और हैदराबाद के सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने वक्फ (संशोधन) कानून 2025 के खिलाफ जोरदार विरोध जताया है। ओवैसी ने रविवार को एक बयान में कहा, “वक्फ (संशोधन) कानून 2025 का उद्देश्य वक्फ संपत्तियों को कमजोर करना और मुस्लिम समुदाय की धार्मिक आज़ादी को प्रतिबंधित करना है।
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19 अप्रैल को हैदराबाद में विरोध जनसभा
इस कानून के खिलाफ ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड द्वारा 19 अप्रैल को हैदराबाद दारुस्सलाम में एक विशाल विरोध जनसभा आयोजित की जा रही है। इस जनसभा में तेलंगाना और आंध्र प्रदेश के कई प्रमुख मुस्लिम संगठनों के सदस्य शामिल होंगे। यह जनसभा वक्फ (संशोधन) कानून के खिलाफ एक बड़ा मंच बनेगी, जहाँ मुस्लिम समुदाय के नेता और बुद्धिजीवी अपने विचार साझा करेंगे।
क्या है AIMPLB का कहना?
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने अपने बयान में कहा है कि वक्फ (संशोधन) कानून मुस्लिम समुदाय के धार्मिक अधिकारों का उल्लंघन करता है। बोर्ड ने यह भी चेतावनी दी है कि अगर यह कानून लागू होता है, तो वक्फ संपत्तियों का नियंत्रण राज्य सरकारों के हाथों में चला जाएगा, जिससे इसका धर्मनिरपेक्षता पर असर पड़ेगा।
क्या कहता है समुदाय?
इस कानून पर मुस्लिम समाज में गहरा असंतोष है। तेलंगाना और आंध्र प्रदेश के मुस्लिम समुदाय के लोग इसे वक्फ संपत्तियों की स्वतंत्रता पर खतरा मानते हैं और इसे धार्मिक स्वतंत्रता पर हमला समझते हैं। इस कानून का विरोध करते हुए वे इसे समाज के कमजोर वर्गों को नुकसान पहुंचाने वाला मानते हैं।
अंतिम विचार
19 अप्रैल को होने वाली जनसभा मुस्लिम समुदाय के लिए एक निर्णायक पल हो सकती है। इस जनसभा में जितने भी बड़े नेता और संगठन हिस्सा लेंगे, उनके विचार इस मुद्दे पर एकजुट होकर विरोध को और अधिक प्रभावी बना सकते हैं। अब यह देखना होगा कि क्या सरकार इस विरोध को सुनने और समझने की कोशिश करेगी या अपनी योजनाओं को लागू करने में सख्त रहेगी।
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