सीएम योगी के बयान पर असदुद्दीन ओवैसी का पलटवार

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा सड़कों पर नमाज अदा करने को लेकर दिए गए बयान पर AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने सीएम योगी के बयान को एकतरफा और संविधान विरोधी करार दिया और सवाल उठाया कि जब कांवड़ यात्रा, आरएसएस की परेड और हेलीकॉप्टर से फूल बरसाने जैसे कार्यक्रम सड़कों पर हो सकते हैं, तो फिर नमाज पढ़ने पर आपत्ति क्यों जताई जा रही है?

ओवैसी का बयान

असदुद्दीन ओवैसी ने सीएम योगी के बयान की निंदा करते हुए कहा कि “भारत का संविधान सभी धर्मों को समान अधिकार देता है। जब अन्य धार्मिक आयोजनों को सड़कों पर आयोजित करने की अनुमति दी जाती है, तो केवल नमाज को लेकर आपत्ति करना भेदभावपूर्ण रवैया दर्शाता है।”

उन्होंने आगे कहा कि, “कांवड़ यात्रा के दौरान सड़कों पर भव्य आयोजन होते हैं, आरएसएस की परेड निकाली जाती हैं, और कई अन्य धार्मिक गतिविधियाँ खुले में की जाती हैं। फिर नमाज अदा करने को लेकर प्रशासनिक दिक्कतों का हवाला देना किस हद तक तर्कसंगत है?”

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सीएम योगी आदित्यनाथ का बयान

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हाल ही में कहा था कि सड़कों पर नमाज अदा करने की अनुमति नहीं दी जाएगी, क्योंकि यह सार्वजनिक स्थानों पर अवरोध उत्पन्न करता है। उन्होंने सार्वजनिक स्थानों को धार्मिक गतिविधियों के लिए इस्तेमाल करने पर रोक लगाने की बात कही। उनका कहना था कि, “सड़कें जनता की सुविधा के लिए बनी हैं, इन्हें किसी भी धार्मिक आयोजन के लिए बाधित नहीं किया जाना चाहिए।”

ओवैसी ने क्या कहा?

ओवैसी ने सवाल उठाया कि जब सरकार कांवड़ियों पर हेलीकॉप्टर से फूल बरसा सकती है, तो फिर नमाज को लेकर आपत्ति क्यों की जा रही है? उन्होंने कहा कि, “सरकार अगर सभी धर्मों को समान रूप से देखती है, तो फिर यह नियम केवल नमाज के लिए ही क्यों बनाया जा रहा है? अगर सड़कों पर धार्मिक गतिविधियों पर रोक लगानी है, तो सभी धर्मों के कार्यक्रमों पर लगाई जाए।”

संविधान और धार्मिक स्वतंत्रता

ओवैसी ने संविधान का हवाला देते हुए कहा कि भारत एक धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र है, और यहाँ सभी को अपने धर्म का पालन करने का अधिकार है। उन्होंने कहा, “संविधान का अनुच्छेद 25 प्रत्येक नागरिक को अपने धर्म को मानने, उसका पालन करने और प्रचार करने का अधिकार देता है। फिर यह दोहरा मापदंड क्यों अपनाया जा रहा है?”

बीजेपी और विपक्ष की प्रतिक्रिया

ओवैसी के इस बयान के बाद बीजेपी नेताओं ने भी प्रतिक्रिया दी। भाजपा प्रवक्ताओं का कहना है कि सरकार सभी धर्मों के लिए समान नियम लागू कर रही है, और सड़कों पर किसी भी धार्मिक गतिविधि को अनुमति नहीं दी जानी चाहिए।

भाजपा प्रवक्ता ने कहा: “योगी सरकार का निर्णय किसी विशेष समुदाय के खिलाफ नहीं, बल्कि सार्वजनिक व्यवस्था बनाए रखने के लिए लिया गया है। सरकार चाहती है कि सभी धार्मिक गतिविधियाँ निर्धारित स्थलों पर ही हों, ताकि आम जनता को किसी भी प्रकार की परेशानी न हो।”

जनता की राय क्या है?

इस मुद्दे को लेकर सोशल मीडिया पर भी जमकर बहस छिड़ी हुई है। कुछ लोग सीएम योगी के बयान का समर्थन कर रहे हैं, तो कुछ ओवैसी की बातों को तर्कसंगत मान रहे हैं।

  • समर्थकों का कहना है कि सार्वजनिक स्थानों को किसी भी धार्मिक आयोजन के लिए अवरुद्ध नहीं किया जाना चाहिए, चाहे वह किसी भी धर्म से जुड़ा हो।
  • कुछ लोगों का मानना है कि सरकार को सभी धर्मों के लिए समान नियम लागू करने चाहिए, न कि किसी एक धर्म को निशाना बनाना चाहिए।
  • विपक्ष का आरोप है कि यह मुद्दा धार्मिक ध्रुवीकरण के लिए उठाया गया है, ताकि राजनीतिक लाभ लिया जा सके।

क्या हो सकता है समाधान?

इस विवाद को समाप्त करने के लिए सभी धार्मिक समूहों और प्रशासन को मिलकर एक संतुलित समाधान निकालना होगा।

  1. सरकार को स्पष्ट नीति बनानी होगी, जिसमें सभी धार्मिक आयोजनों के लिए एकसमान नियम लागू किए जाएँ।
  2. प्रशासन को धार्मिक स्थलों की संख्या बढ़ानी होगी, ताकि सड़कों पर धार्मिक गतिविधियों की जरूरत ही न पड़े।
  3. धार्मिक नेताओं और सरकार के बीच संवाद होना चाहिए, ताकि सभी समुदायों को उचित स्थान मिल सके।
  4. लोगों को जागरूक करना होगा कि सार्वजनिक स्थानों का प्रयोग सीमित और सुव्यवस्थित तरीके से किया जाए।

सीएम योगी आदित्यनाथ के सड़कों पर नमाज अदा करने के बयान ने विवाद को जन्म दे दिया है। असदुद्दीन ओवैसी ने इस पर कड़ी प्रतिक्रिया दी और इसे संविधान विरोधी करार दिया। वहीं, भाजपा सरकार का कहना है कि यह निर्णय सार्वजनिक व्यवस्था को बनाए रखने के लिए लिया गया है। इस बहस के बीच, सवाल यह उठता है कि क्या सरकार सभी धर्मों के आयोजनों पर समान रूप से प्रतिबंध लगाएगी या फिर यह केवल एक विशेष समुदाय को निशाना बनाने की नीति है?

आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि इस विवाद का हल कैसे निकाला जाता है, और क्या सरकार सभी धार्मिक गतिविधियों के लिए समान नियम लागू करती है या नहीं।

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