समाजवादी पार्टी में बड़ा एक्शन,बागी विधायकों पर अखिलेश यादव का कड़ा फैसला

उत्तर प्रदेश की राजनीति में एक बार फिर हलचल तेज हो गई है। समाजवादी पार्टी (सपा) में चल रही सियासी उठापटक ने अब एक नया और निर्णायक मोड़ ले लिया है। पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव ने उन विधायकों के खिलाफ सख्त रुख अपनाया है, जिन्होंने पार्टी लाइन से हटकर काम किया था।

तीन विधायक पार्टी से बाहर

समाजवादी पार्टी ने तीन बागी विधायकों को पार्टी से निष्कासित कर दिया है। इनमें शामिल हैं:

  • अभय सिंह (विधायक, गोशाईगंज)
  • राकेश प्रताप सिंह (विधायक, गौरीगंज)
  • मनोज कुमार पांडे (विधायक, ऊंचाहार)

इन तीनों पर आरोप है कि इन्होंने पिछले साल हुए राज्यसभा चुनाव में क्रॉस वोटिंग की थी और NDA उम्मीदवारों का समर्थन किया था, जो समाजवादी पार्टी की नीति और विचारधारा के स्पष्ट रूप से खिलाफ है।

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क्या है क्रॉस वोटिंग और क्यों है यह गंभीर मामला?

क्रॉस वोटिंग का मतलब होता है कि कोई विधायक या सांसद, पार्टी के तय उम्मीदवार की बजाय किसी विरोधी दल के उम्मीदवार को वोट दे।राज्यसभा जैसे महत्वपूर्ण चुनाव में क्रॉस वोटिंग को गंभीर पार्टी विरोधी गतिविधि माना जाता है क्योंकि यह न सिर्फ पार्टी की रणनीति को नुकसान पहुंचाता है, बल्कि पार्टी की साख और अनुशासन पर भी सवाल खड़े करता है।


📢 पार्टी का आधिकारिक बयान

समाजवादी पार्टी के आधिकारिक X (पूर्व में ट्विटर) हैंडल से बयान जारी किया गया जिसमें लिखा गया समाजवादी पार्टी की सौहार्दपूर्ण, सकारात्मक विचारधारा के विपरीत विभाजनकारी और नकारात्मक राजनीति करने वालों को पार्टी से निष्कासित किया जाता है।बयान में आगे कहा गया कि इन विधायकों को ‘हृदय परिवर्तन’ का अवसर भी दिया गया था, लेकिन जब तय समय सीमा पूरी हो गई और कोई सकारात्मक जवाब नहीं मिला, तब ये कठोर कदम उठाया गया।


🔍 और कौन-कौन हैं शक के घेरे में?

गौरतलब है कि पिछले साल राज्यसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी के कुल 7 विधायकों ने क्रॉस वोटिंग की थी। अब तक 3 निष्कासित हो चुके हैं, लेकिन बाकी चार नाम भी चर्चा में हैं:

  • पूजा पाल
  • आशुतोष मौर्य
  • विनोद चतुर्वेदी
  • राकेश पांडे

इन चारों को अभी तक निष्कासित नहीं किया गया है, लेकिन पार्टी की ओर से संकेत मिल रहे हैं कि अगर इनका रुख नहीं बदला, तो इनके खिलाफ भी कार्रवाई तय है।


सपा का सख्त संदेश अनुशासन ही पहचान

पार्टी हाईकमान ने यह निर्णय सिर्फ तीन विधायकों के खिलाफ ही नहीं, बल्कि एक बड़ा सियासी संदेश देने के लिए भी लिया है।अखिलेश यादव ने साफ कर दिया है जो पार्टी लाइन से हटेगा, वह पार्टी से हटेगा।यह बयान बताता है कि अब समाजवादी पार्टी किसी तरह की भीतरघात या दोहरी राजनीति को बर्दाश्त करने के मूड में नहीं है।


पार्टी वर्करों को चेतावनी

बयान में आगे यह भी कहा गया पार्टी के सभी विधायकों और कार्यकर्ताओं को यह चेतावनी दी जाती है कि यदि कोई भी व्यक्ति समाजवादी पार्टी की मूल विचारधारा से भटकता है, तो उसके लिए माफी की कोई जगह नहीं है। जहां रहें, विश्वसनीय रहें।”


राजनीतिक विश्लेषण: सही फैसला या सियासी मजबूरी?

यह फैसला एक तरफ पार्टी अनुशासन की दृढ़ता को दर्शाता है, तो दूसरी ओर यह भी सवाल उठाता है कि क्या यह कदम अंदरूनी मतभेदों को और बढ़ा सकता है?कुछ विश्लेषक मानते हैं कि पार्टी को संवाद और बातचीत के ज़रिए अंदरूनी समस्याओं का हल निकालना चाहिए था, जबकि कई अन्य इस निर्णय को राजनीतिक अनुशासन की बहाली के रूप में देख रहे हैं।

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