बिहार में आगामी विधानसभा चुनावों से पहले वक्फ अधिनियम को लेकर सियासत तेज हो गई है। राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के नेता तेजस्वी यादव द्वारा वक्फ कानून को “कूड़ेदान में फेंकने” की घोषणा पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने कड़ा हमला बोला है। भाजपा ने इस बयान को न सिर्फ असंवैधानिक बताया बल्कि इसे ‘नमाजवाद’ की राजनीति करार दिया है।
भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता डॉ. सुधांशु त्रिवेदी ने पटना में पत्रकारों से बातचीत के दौरान विपक्षी ‘इंडिया’ गठबंधन पर आरोप लगाया कि वह ‘समाजवाद’ की आड़ में ‘नमाजवाद’ को बढ़ावा देने की कोशिश कर रहा है। उन्होंने कहा कि संविधान को ‘शरिया की स्क्रिप्ट’ में बदलने का प्रयास हो रहा है, जो खतरनाक और विभाजनकारी राजनीति की ओर इशारा करता है।
‘वक्फ बचाओ, संविधान बचाओ’ या ‘शरिया लाओ’?
गौरतलब है कि तेजस्वी यादव ने हाल ही में पटना के गांधी मैदान में ‘वक्फ बचाओ, संविधान बचाओ’ रैली को संबोधित करते हुए वादा किया था कि अगर विपक्षी गठबंधन सत्ता में आता है तो वह केंद्र सरकार द्वारा संशोधित वक्फ अधिनियम को रद्द कर देगा। इसी बयान को लेकर भाजपा ने उन्हें घेरा और आरोप लगाया कि विपक्ष संविधान की नहीं, बल्कि शरीया कानून की पैरवी कर रहा है।
भाजपा प्रवक्ता त्रिवेदी ने आरोप लगाया कि यह रैली संविधान के नाम पर शरिया कानून को बढ़ावा देने की कोशिश थी। उन्होंने कहा कि वक्फ की संपत्तियों का वास्तविक लाभ मुस्लिम समुदाय तक नहीं पहुंच रहा, बल्कि यह कुछ स्वयंभू धार्मिक नेताओं के हाथों में केंद्रित हो गई हैं। यह समाजवाद नहीं बल्कि ‘नमाजवाद’ है, जिसका उद्देश्य वोट बैंक की राजनीति करना है।
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‘संविधान से नहीं चलने देंगे शरीया’
भाजपा नेता ने यह भी कहा कि कांग्रेस, राजद और वाम दलों के गठबंधन की असली मंशा संविधान को कमजोर कर शरीया कानून को लाना है। उन्होंने दावा किया कि इन दलों के नेता भारत को एक धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र से इस्लामी कानून की ओर धकेलना चाहते हैं, जो कि न सिर्फ संविधान विरोधी है बल्कि देश की एकता के लिए भी घातक है।
बीजेपी आईटी सेल प्रमुख अमित मालवीय ने भी सोशल मीडिया पर इस रैली पर निशाना साधते हुए कहा, “बिहार संविधान से चलेगा, शरीयत से नहीं।” उन्होंने तेजस्वी यादव पर सवाल उठाया कि क्या वे बिहार को बाबा साहब आंबेडकर के संविधान से नहीं बल्कि शरीया से चलाना चाहते हैं।
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