चीन की अफ्रीका रणनीति: टैरिफ मुक्त आयात, अमेरिका पर निशाना

अमेरिका के साथ टैरिफ विवाद के बीच चीन ने अफ्रीकी देशों के साथ अपने व्यापारिक और कूटनीतिक संबंधों को मजबूत करने की दिशा में बड़ा कदम उठाया है। हाल ही में चीन-अफ्रीका सहयोग की बैठक में घोषणा की गई कि चीन अफ्रीका के 53 देशों से आयात पर लगने वाले टैरिफ को पूरी तरह हटाने की योजना बना रहा है। यह कदम उन देशों के लिए महत्वपूर्ण है, जिनके साथ चीन के राजनयिक संबंध हैं। इस घोषणा का समय इसलिए अहम है, क्योंकि अमेरिका ने अफ्रीकी देशों से आयात पर भारी टैक्स लगाने की नीति अपनाई है, जिससे इन देशों को नुकसान होने की आशंका है।

चीन पिछले 15 वर्षों से अफ्रीका का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार बना हुआ है। 2023 में अफ्रीकी देशों ने चीन को करीब 170 अरब डॉलर का सामान निर्यात किया। चीन विशेष रूप से कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य और गिनी जैसे देशों से कच्चा माल आयात करता है, जिसे प्रोसेस कर वैश्विक बाजार में बेचता है। दूसरी ओर, अमेरिका ने 2024 में अफ्रीका से केवल 39.5 अरब डॉलर का आयात किया, जिसमें से कुछ सामान अफ्रीका ग्रोथ एंड अपॉर्च्युनिटी एक्ट (AGOA) के तहत टैक्स छूट के साथ लाया गया। हालांकि, ट्रंप प्रशासन की नई टैरिफ नीति इस समझौते को खतरे में डाल सकती है।

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अमेरिका की टैरिफ नीति और आलोचना

राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अप्रैल 2025 में कई देशों पर ऊंचे टैरिफ लगाकर वैश्विक व्यापारिक साझेदारों को चौंका दिया था। इसमें लेसोथो पर 50%, दक्षिण अफ्रीका पर 30%, और नाइजीरिया पर 14% टैक्स शामिल था। हालांकि, इसे अगले महीने तक के लिए स्थगित किया गया है। अमेरिकी ट्रेजरी सचिव स्कॉट बेसेंट ने कहा कि जिन देशों के साथ अच्छी मंशा से बातचीत चल रही है, उनके लिए यह स्थगन आगे बढ़ाया जा सकता है। फिर भी, चीन-अफ्रीका सहयोग बैठक में बिना नाम लिए अमेरिका की आलोचना की गई। बैठक के बाद जारी बयान में कहा गया कि कुछ देशों द्वारा एकतरफा टैरिफ लगाकर वैश्विक व्यापार व्यवस्था को नुकसान पहुंचाने की कोशिश की जा रही है। बयान में समानता और आपसी लाभ के आधार पर व्यापारिक विवाद सुलझाने की अपील की गई।

चीन की टैरिफ छूट योजना

चीन ने पिछले साल 33 सबसे कम विकसित अफ्रीकी देशों से आयात पर टैरिफ हटा दिया था। अब इस सूची में दक्षिण अफ्रीका और नाइजीरिया जैसे बड़े व्यापारिक साझेदारों को भी शामिल करने की योजना है। हालांकि, इस्वातिनी को इस छूट से बाहर रखा गया है, क्योंकि वह ताइवान को स्वतंत्र देश मानता है, जिसे चीन अपना हिस्सा मानता है। चीन ने अभी यह स्पष्ट नहीं किया कि यह टैरिफ छूट कब से लागू होगी, लेकिन यह कदम अफ्रीकी देशों के लिए आर्थिक राहत ला सकता है।

वैश्विक व्यापार में चीन की रणनीति

चीन का यह कदम न केवल अफ्रीका के साथ उसके आर्थिक संबंधों को मजबूत करता है, बल्कि वैश्विक व्यापार में उसकी स्थिति को भी सुदृढ़ करता है। अमेरिका की संरक्षणवादी नीतियों के जवाब में चीन की यह रणनीति अफ्रीकी देशों को अपने पक्ष में करने की कोशिश है। यह कदम वैश्विक व्यापार में शक्ति संतुलन को प्रभावित कर सकता है और अफ्रीकी देशों को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने में मदद करेगा।

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