CASTE CENSUS पर कांग्रेस का दावा: “दुनिया झुकती है…” — पोस्टर में राहुल गांधी को बताया केंद्र की घोषणा का श्रेय

नई दिल्ली: केंद्र सरकार द्वारा अगले जनगणना में जातिगत आंकड़ों को दर्ज करने की घोषणा के एक दिन बाद, दिल्ली स्थित कांग्रेस मुख्यालय के बाहर एक पोस्टर लगाकर पार्टी ने इस फैसले का श्रेय राहुल गांधी को दिया है। इस पोस्टर में कांग्रेस नेता और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी की तस्वीर के साथ एक बड़ा दावा किया गया है — “हमने कहा था मोदी जी को जातिगत जनगणना करानी पड़ेगी। हम करवा के रहेंगे। दुनिया झुकती है, झुकाने वाला चाहिए।”

यह पोस्टर कांग्रेस के युवा नेता श्रीनिवास बीवी ने लगाया है, जिसमें राहुल गांधी को जातिगत जनगणना की मांग को राष्ट्रीय बहस का केंद्र बनाने वाला बताया गया है। पोस्टर का उद्देश्य साफ है — यह दर्शाना कि केंद्र सरकार की यह घोषणा, विपक्ष विशेषकर कांग्रेस के दबाव और अभियान का परिणाम है।

राहुल गांधी की मांग और भूमिका

राहुल गांधी ने लगातार जातिगत जनगणना की मांग उठाई है। उन्होंने कई बार यह कहा है कि देश में सामाजिक और आर्थिक असमानताओं को दूर करने के लिए पिछड़े वर्गों की वास्तविक संख्या जानना जरूरी है। उनका तर्क है कि जब तक सही आंकड़े सामने नहीं आएंगे, तब तक ‘सबका साथ, सबका विकास’ केवल नारा बनकर रह जाएगा।

हाल के महीनों में राहुल गांधी और कांग्रेस ने ‘जनगणना में जातिगत विवरण जोड़ने’ को लेकर जन आंदोलन और राजनीतिक दबाव बढ़ाया था। संसद के भीतर और बाहर उन्होंने यह मुद्दा प्रमुखता से उठाया। अब जब केंद्र सरकार ने यह निर्णय लिया है, कांग्रेस इसे अपनी “नीतिगत जीत” मान रही है।

पोस्टर का राजनीतिक संदेश

“दुनिया झुकती है, झुकाने वाला चाहिए” — यह लाइन राहुल गांधी के भाषणों का हिस्सा रही है, और अब इस पोस्टर में इसका उपयोग करते हुए कांग्रेस यह बताने की कोशिश कर रही है कि मोदी सरकार को इस मुद्दे पर झुकना पड़ा है।

इस संदेश का उद्देश्य है — न केवल कांग्रेस कार्यकर्ताओं में जोश भरना, बल्कि यह संदेश आम जनता तक पहुँचाना कि कांग्रेस सामाजिक न्याय के मुद्दों पर गंभीर है और उसने दबाव बनाकर यह निर्णय करवाया है।

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केंद्र सरकार की घोषणा

सरकार ने घोषणा की है कि अगली जनगणना में नागरिकों की जाति से संबंधित जानकारी भी दर्ज की जाएगी। हालांकि अब तक यह स्पष्ट नहीं किया गया है कि डेटा संग्रह का तरीका क्या होगा और इसे सार्वजनिक किया जाएगा या नहीं। लेकिन घोषणा भर से ही देश में राजनीतिक हलचल तेज हो गई है।

बीजेपी ने अभी तक इस मुद्दे पर कांग्रेस के दावे पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी है। लेकिन यह तय है कि आने वाले दिनों में इस विषय पर सियासी बयानबाज़ी और तेज़ होगी।

सामाजिक प्रभाव और राजनीतिक समीकरण

जातिगत जनगणना को लेकर समाज में दो तरह की राय है। एक पक्ष का मानना है कि इससे पिछड़े और वंचित वर्गों को सरकारी योजनाओं में ज्यादा भागीदारी और हक मिलेगा। वहीं दूसरा पक्ष इसे समाज में विभाजन बढ़ाने वाला कदम मानता है।

राजनीतिक रूप से देखें तो जातिगत जनगणना के मुद्दे पर कांग्रेस, क्षेत्रीय दलों जैसे आरजेडी, सपा, डीएमके आदि के साथ खड़ी दिख रही है। ये सभी पार्टियाँ लंबे समय से इस मांग को उठा रही थीं।

जातिगत जनगणना का मुद्दा अब केवल नीति नहीं, बल्कि राजनीतिक प्रतिष्ठा का विषय बन गया है। कांग्रेस ने पोस्टर के माध्यम से यह संदेश देने की कोशिश की है कि केंद्र का फैसला उनके दबाव का नतीजा है और राहुल गांधी इस मुद्दे के असली ‘फेस’ हैं।

इस घोषणा के बाद जातिगत जनगणना एक बार फिर से देश की राजनीति में केन्द्रीय मुद्दा बन चुका है। आने वाले चुनावों में यह किस तरह रंग दिखाएगा, यह देखना बाकी है, लेकिन फिलहाल कांग्रेस ने इसे ‘मास्टरस्ट्रोक’ के रूप में पेश करने में कोई कसर नहीं छोड़ी है।

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