दिल्ली विश्वविद्यालय के लक्ष्मीबाई कॉलेज में क्लासरूम की दीवारों पर गोबर पोतने का मामला अब तूल पकड़ता जा रहा है। इस विवाद में अब दिल्ली यूनिवर्सिटी स्टूडेंट यूनियन (DUSU) के अध्यक्ष रौनक खत्री ने भी कूदते हुए प्रिंसिपल के ऑफिस की दीवारों पर गोबर पोत दिया। छात्रों का गुस्सा अब प्रशासन के खिलाफ और तेज हो गया है।
गोबर पोतने का विवाद
लक्ष्मीबाई कॉलेज में एक प्रोजेक्ट के तहत क्लासरूम की दीवारों पर गोबर पोता गया था, जिससे छात्रों में भारी नाराजगी फैल गई। दावा किया जा रहा है कि कॉलेज की प्रिंसिपल, प्रोफेसर प्रत्युषा वत्सला ने यह कदम उठाया था । जिसे छात्र समुदाय ने अस्वीकार कर दिया। छात्रों का कहना है कि यह कदम न केवल अनुशासनहीन था। बल्कि कॉलेज के शैक्षिक माहौल को भी नुकसान पहुंचाने वाला था।
रौनक खत्री का विरोध
मंगलवार को डूसू अध्यक्ष और NSUI नेता रौनक खत्री प्रिंसिपल के ऑफिस पहुंचे और वहां गोबर पोतने का विरोध किया। छात्रों के साथ वह प्रिंसिपल के कार्यालय में दाखिल हुए और वाइस प्रिंसिपल के साथ तीखी बहस भी की। उनका कहना था कि जब क्लासरूम की दीवारों पर गोबर पोता जा सकता है, तो प्रिंसिपल ऑफिस में क्यों नहीं। यह कदम छात्रों के गुस्से को और बढ़ा गया है।
वायरल वीडियो और बहस
इस घटना का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है, जिसमें रौनक खत्री वाइस प्रिंसिपल प्रोफेसर लता शर्मा से बहस करते हुए दिखाई दे रहे हैं। वीडियो में वाइस प्रिंसिपल कह रही हैं कि प्रिंसिपल ऑफिस में कोई कार्रवाई नहीं की जा सकती क्योंकि प्रिंसिपल वर्तमान में ऑफिस में नहीं हैं। रौनक खत्री इस पर जवाब देते हैं कि अगर क्लासरूम में गोबर लगाया जा सकता है, तो ऑफिस में क्यों नहीं?
प्रशासन की प्रतिक्रिया
कॉलेज प्रशासन ने इस विवाद को गंभीरता से लिया है और जांच शुरू कर दी है। छात्रों के विरोध को देखते हुए कॉलेज प्रशासन ने स्थिति को शांत करने की कोशिश की है, लेकिन छात्रों की नाराजगी और इस मुद्दे पर बढ़ते विवाद से मामला अभी भी गरमाया हुआ है।लक्ष्मीबाई कॉलेज में गोबर पोतने की घटना अब एक बड़े विवाद का रूप ले चुकी है। जहां एक ओर कॉलेज प्रशासन इसे एक प्रोजेक्ट का हिस्सा बता रहा है, वहीं दूसरी ओर छात्र इसे एक गलत और अपमानजनक कदम मान रहे हैं। क्या यह घटना हमारे शिक्षा संस्थानों की वास्तविकता को दर्शाती है, या फिर यह एक और उदाहरण है जब पारंपरिक सोच और आधुनिकता के बीच की खाई को नजरअंदाज किया जाता है? छात्रों की नाराजगी और प्रशासन की चुप्पी इस मुद्दे को और भी पेचीदा बना रही है, और देखना होगा कि यह विवाद कहां तक जाता है।
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