भारत की साइबर सुरक्षा एजेंसियों ने हाल ही में साइबर हमलों को लेकर चौंकाने वाले खुलासे किए हैं। इन खुलासों ने देश की डिजिटल सुरक्षा को लेकर गंभीर चिंताएं पैदा की हैं।
APT ग्रुप्स और साइबर हमले
भारतीय साइबर सुरक्षा अधिकारियों ने सात उन्नत लगातार खतरा समूहों (Advanced Persistent Threat groups) की पहचान की है, जो लगातार साइबर हमले कर रहे हैं। इन समूहों ने देश की महत्वपूर्ण वेबसाइटों और बुनियादी ढांचे को निशाना बनाकर 15 लाख से अधिक साइबर हमले किए। ये हमले विशेष रूप से पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद तेज हो गए। अधिकारियों के अनुसार, इन हमलों में से केवल 150 ही सफल हो पाए, जो पाकिस्तान, बांग्लादेश, इंडोनेशिया, मोरक्को और मध्य पूर्व के देशों से किए गए।
पाकिस्तानी खुफिया ऑपरेटिव्स का खतरा
अधिकारियों ने बताया कि पाकिस्तानी खुफिया ऑपरेटिव्स (PIO) भारतीय पत्रकारों और रक्षा कर्मियों के मोबाइल फोनों को निशाना बना रहे थे। इसके लिए वे ‘डांस ऑफ हिलेरी’ और ‘कॉल्स फ्रॉम मिलिट्री’ नामक मालवेयर का उपयोग कर रहे थे। मालवेयर एक खतरनाक सॉफ्टवेयर है, जो डिवाइस में प्रवेश कर डेटा चुराने, सिस्टम को नुकसान पहुंचाने या संवेदनशील जानकारी लीक करने में सक्षम होता है। इन मालवेयर के जरिए हमलावरों ने व्यक्तिगत और राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरे में डाला।

हमलों के तरीके: DDoS और GPS स्पूफिंग
हमलावरों ने ‘डिस्ट्रीब्यूटेड डिनायल-ऑफ-सर्विस (DDoS)’ और ‘GPS स्पूफिंग’ जैसे उन्नत मालवेयर कैंपेन का सहारा लिया। DDoS हमले में एक साथ हजारों कंप्यूटर एक वेबसाइट पर अनुरोध भेजते हैं, जिससे वह क्रैश हो जाती है। वहीं, GPS स्पूफिंग के जरिए हमलावर गलत स्थान की जानकारी देकर भ्रम पैदा करते हैं। इन तकनीकों का उपयोग सरकारी वेबसाइटों और रक्षा ढांचे को अस्थिर करने के लिए किया गया। कुछ मामलों में, भारतीय वेबसाइटों को हैक कर उनकी सामग्री को भी बदल दिया गया।
भारतीय एजेंसियों की सतर्कता
भारत और पाकिस्तान के बीच सीमा पर गोलीबारी रोकने के समझौते के बाद सरकारी वेबसाइटों पर हमले कम हुए हैं, लेकिन ये पूरी तरह बंद नहीं हुए। भारतीय साइबर सुरक्षा एजेंसियां इन खतरों से निपटने के लिए लगातार काम कर रही हैं। अधिकांश हमलों को नाकाम कर दिया गया, जिससे महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे को सुरक्षित रखा गया। एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि एजेंसियां नए तकनीकी उपायों और रणनीतियों के साथ हमलावरों को जवाब दे रही हैं।
आगे की चुनौतियां और सावधानियां
इन साइबर हमलों ने भारत की डिजिटल सुरक्षा को मजबूत करने की जरूरत को उजागर किया है। विशेषज्ञों का मानना है कि भविष्य में ऐसे हमले और जटिल हो सकते हैं। इसलिए, व्यक्तिगत और राष्ट्रीय स्तर पर साइबर सुरक्षा जागरूकता बढ़ाना जरूरी है। नागरिकों को संदिग्ध लिंक पर क्लिक करने, अनजान ऐप्स डाउनलोड करने और व्यक्तिगत जानकारी साझा करने से बचना चाहिए। साथ ही, सरकार को साइबर सुरक्षा ढांचे को और मजबूत करने के लिए निवेश बढ़ाना होगा।
भारत की साइबर सुरक्षा एजेंसियां इन खतरों से निपटने के लिए पूरी तरह तैयार हैं। उनकी सतर्कता और तकनीकी दक्षता ने देश के डिजिटल ढांचे को बड़े नुकसान से बचाया है। लेकिन, यह एक सतत प्रक्रिया है, जिसमें सभी हितधारकों की भागीदारी जरूरी है।
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