पोप फ्रांसिस के अंतिम संस्कार के अवसर पर शनिवार को रोम में एक महत्वपूर्ण और अप्रत्याशित मुलाकात हुई। यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की और अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने एक-दूसरे से मुलाकात की। इस मुलाकात ने दुनिया भर के राजनीतिक हलकों में चर्चा का विषय बना लिया है, खासकर उस समय जब व्हाइट हाउस द्वारा यह बयान जारी किया गया कि “कीव और मॉस्को एक समझौते के करीब हैं”।
यह मुलाकात खासतौर पर इसलिए महत्वपूर्ण मानी जा रही है क्योंकि कुछ सप्ताह पहले ही व्हाइट हाउस और कीव के बीच टकराव की खबरें आई थीं। ऐसे में यह मुलाकात कई सवालों को जन्म देती है, जैसे क्या दोनों नेताओं के बीच यह वार्ता रूस-यूक्रेन युद्ध की दिशा में कोई नया मोड़ ला सकती है, और क्या यह मुलाकात द्विपक्षीय रिश्तों को बेहतर करने की दिशा में एक कदम हो सकती है?
पोप फ्रांसिस का अंतिम संस्कार और उसकी ऐतिहासिक महत्ता
रोम में पोप फ्रांसिस के अंतिम संस्कार में दुनियाभर के नेताओं और राजनीतिक शख्सियतों ने हिस्सा लिया। पोप फ्रांसिस का निधन दुनिया भर के चर्च और राजनीतिक समुदाय के लिए एक गहरी क्षति के रूप में देखा गया। इस अंतिम संस्कार के दौरान दुनिया के विभिन्न देशों के नेताओं के लिए एक मंच प्रदान हुआ, जहां वे वैश्विक मुद्दों पर चर्चा कर सकते थे।
इसमें एक दिलचस्प पहलू यह भी था कि इसमें डोनाल्ड ट्रम्प और वोलोडिमिर जेलेंस्की की मुलाकात हुई, जिनके बीच व्हाइट हाउस के बाद कुछ तनाव था। यह मुलाकात उस समय हुई जब अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन और यूक्रेनी राष्ट्रपति जेलेंस्की के रिश्ते में कुछ असहमति उत्पन्न हो गई थीं, खासकर यूक्रेन के भविष्य को लेकर।
व्हाइट हाउस का बयान और जेलेंस्की की प्रतिक्रिया
व्हाइट हाउस ने हाल ही में एक बयान जारी किया था जिसमें कहा गया था कि “कीव और मॉस्को एक समझौते के बहुत करीब हैं”, और इसके बाद यूक्रेनी राष्ट्रपति जेलेंस्की ने अमेरिकी अधिकारियों से इस बयान पर अपनी असहमति जताई थी। इस बयान में कहा गया था कि रूस और यूक्रेन के बीच युद्धविराम या शांति समझौते के लिए वार्ता की प्रक्रिया बहुत तेजी से आगे बढ़ रही थी, हालांकि जेलेंस्की ने इसे लेकर खुले तौर पर अपनी स्थिति को स्पष्ट किया।
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जेलेंस्की के प्रवक्ता सर्गेई न्यकीफोरोव ने पत्रकारों से बातचीत में कहा, “मुलाकात हो चुकी है और अब यह खत्म हो चुकी है।” हालांकि, मुलाकात की पूरी स्थिति और उसके परिणामों पर अब तक कोई आधिकारिक जानकारी सामने नहीं आई है। यह मुलाकात एक तरह से रूस-यूक्रेन युद्ध के संदर्भ में दोनों नेताओं के विचारों के आदान-प्रदान का अवसर बनी।
डोनाल्ड ट्रम्प और उनकी भूमिका
राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की भूमिका इस मुलाकात में विशेष रूप से दिलचस्प रही। ट्रम्प, जो 2016 से 2020 तक अमेरिकी राष्ट्रपति रहे, ने रूस-यूक्रेन युद्ध के संदर्भ में कई बार अपनी राय दी है। वह पहले भी रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ अच्छे रिश्तों के लिए चर्चित रहे हैं। यह भी कहा जाता है कि ट्रम्प की प्रशासनिक नीति में रूस के प्रति नरम रुख था, जबकि बाइडन प्रशासन की नीति रूस के खिलाफ सख्त रही है।
ट्रम्प का यूक्रेनी राष्ट्रपति से मिलना इस बात का संकेत हो सकता है कि वे भविष्य में एक महत्वपूर्ण कूटनीतिक भूमिका निभा सकते हैं, खासकर यदि वे आगामी अमेरिकी चुनावों में फिर से राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के रूप में उभरते हैं। ट्रम्प ने यूक्रेन के राष्ट्रपति से मुलाकात के दौरान इस युद्ध के समापन की संभावनाओं पर चर्चा की होगी, जो अमेरिका के लिए भी एक अहम सवाल बन चुका है।
यूक्रेन का भविष्य और युद्ध के संभावित परिणाम
यूक्रेन के लिए यह समय बेहद चुनौतीपूर्ण है। रूस के साथ जारी संघर्ष ने यूक्रेन की अर्थव्यवस्था और समाज पर गहरे प्रभाव डाले हैं। यूक्रेनी सैनिकों और नागरिकों की भारी संख्या में जानें गई हैं, और देश की बुनियादी ढांचा भी बुरी तरह प्रभावित हुआ है। इसके बावजूद, यूक्रेनी राष्ट्रपति जेलेंस्की ने हमेशा यह संदेश दिया है कि उनका देश रूस के खिलाफ लड़ाई जारी रखेगा और किसी भी समझौते से पहले रूस के आक्रमण को पूरी तरह से समाप्त करना चाहिए।
जेलेंस्की और ट्रम्प की मुलाकात से यह भी साफ होता है कि वैश्विक कूटनीति के स्तर पर अब यूक्रेन और रूस के बीच शांति वार्ता की दिशा में विचार-विमर्श की जरूरत है। हालांकि, यह देखना दिलचस्प होगा कि दोनों नेताओं के बीच की बातचीत के क्या परिणाम निकलते हैं और यह रूस-यूक्रेन संघर्ष में किसी निर्णायक मोड़ का कारण बन सकती है या नहीं।
ट्रम्प और जेलेंस्की की रोम में मुलाकात, जो पोप फ्रांसिस के अंतिम संस्कार के दौरान हुई, वह वैश्विक राजनीति में एक अहम पल बन चुकी है। दोनों नेताओं के बीच हुई बातचीत न केवल द्विपक्षीय संबंधों को प्रभावित कर सकती है, बल्कि यह रूस-यूक्रेन संघर्ष में भी एक नया मोड़ ला सकती है। हालांकि, इस मुलाकात के परिणामों का आकलन समय ही करेगा, लेकिन यह स्पष्ट है कि युद्ध और शांति के बीच की रेखाएं अभी भी धुंधली हैं और भविष्य में इसके समाधान के लिए और अधिक वार्ता की आवश्यकता होगी।
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