अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर दुनिया को चौंकाते हुए दावा किया है कि उन्होंने भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध को रोकने में बड़ी भूमिका निभाई थी। इतना ही नहीं, उन्होंने यह भी कहा कि उन्हें इसके लिए नोबेल शांति पुरस्कार मिलना चाहिए था, लेकिन उन्हें “राजनीतिक कारणों” से नजरअंदाज कर दिया गया।
यह बयान तब आया है जब अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव 2024 की सरगर्मी तेज हो रही है और ट्रंप एक बार फिर राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के तौर पर जोरशोर से प्रचार कर रहे हैं।
“भारत-पाक युद्ध मैंने टाला”: ट्रंप का दावा
अपने हालिया इंटरव्यू में ट्रंप ने कहा –
“मैंने भारत और पाकिस्तान के बीच एक बड़ा युद्ध टाल दिया… लेकिन मुझे नोबेल नहीं मिला। कोई बात नहीं। मुझे इसकी ज़रूरत नहीं है। लेकिन लोग जानते हैं कि मैंने क्या किया।”
ट्रंप पहले भी इस तरह के दावे करते रहे हैं, लेकिन इस बार उन्होंने सीधे भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध को लेकर खुद को “शांति का मसीहा” बताया है।
भारत का साफ जवाब: “कोई मध्यस्थ नहीं था”
भारत सरकार ने पहले भी ट्रंप के ऐसे बयानों को बेबुनियाद और भ्रामक बताया है। फरवरी 2021 में भारत और पाकिस्तान के बीच सीज़फायर समझौता हुआ था, जिसे दोनों देशों ने आपसी सहमति और सीमा पर शांति बनाए रखने के लिए किया था।
भारत के विदेश मंत्रालय ने स्पष्ट किया था कि यह निर्णय किसी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता के बिना लिया गया था। भारत की नीति साफ है – “भारत और पाकिस्तान के मुद्दे द्विपक्षीय हैं और हम किसी बाहरी मध्यस्थ को स्वीकार नहीं करते।”
ट्रंप की राजनीति और प्रचार रणनीति
विशेषज्ञों का मानना है कि यह बयान ट्रंप की चुनावी रणनीति का हिस्सा है। वे अपने कार्यकाल की उपलब्धियों को बढ़ा-चढ़ाकर पेश कर रहे हैं ताकि अमेरिकी वोटर्स को यह संदेश मिले कि ट्रंप एक ग्लोबल लीडर हैं, जो शांति कायम कर सकते हैं।
विदेश नीति को लेकर ट्रंप अक्सर “नोबेल के हकदार” होने की बात करते रहे हैं, चाहे वो उत्तर कोरिया के किम जोंग-उन से मुलाकात हो या अफगानिस्तान से अमेरिकी सेनाओं की वापसी।
क्या ये एक पब्लिसिटी स्टंट है?
भारत-पाकिस्तान जैसे संवेदनशील मुद्दों को लेकर बार-बार ऐसा दावा करना केवल राजनीतिक प्रचार का हिस्सा है या पब्लिसिटी स्टंट – इस पर सवाल खड़े हो रहे हैं।
भारत के लोग ट्रंप के इस बयान को गंभीरता से नहीं ले रहे, बल्कि इसे एक और “बड़े-बोल” की तरह देखा जा रहा है।
भारत की नीति और संप्रभुता सर्वोपरि
भारत हमेशा से यह मानता आया है कि हमारे सीमा विवाद और सुरक्षा मुद्दे केवल भारत और पाकिस्तान के बीच सुलझाए जाएंगे। इसमें किसी तीसरे देश की मध्यस्थता या दखल की जरूरत नहीं है।
ट्रंप का यह दावा भले ही अमेरिका के भीतर प्रचार के लिए किया गया हो, लेकिन भारत के लिए यह उसकी संप्रभुता और नीति का प्रश्न है।
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