ईडी की बड़ी कार्रवाई: 190 करोड़ के बैंक ऑफ बड़ौदा घोटाले में छापेमारी

प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने गुरुवार को बैंक ऑफ बड़ौदा से जुड़े 190 करोड़ रुपये के कर्ज घोटाले और मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में बड़ी कार्रवाई की। इस मामले में श्री सिद्धदाता इस्पात, गोवर्धन इंडस्ट्रीज, श्री सिद्धदाता स्टील ट्यूब्स और सुदर्शन ट्यूब्स जैसी कंपनियों के प्रमोटरों और डायरेक्टरों के खिलाफ जांच तेज करते हुए ईडी ने नोएडा, दिल्ली, गाजियाबाद, हापुड़ और पानीपत समेत देश भर के दस से अधिक ठिकानों पर छापेमारी की। इस दौरान एजेंसी को 100 करोड़ रुपये से अधिक की धनराशि विदेश भेजने से संबंधित महत्वपूर्ण डिजिटल सबूत मिले हैं।

यह मामला पिछले साल बैंक ऑफ बड़ौदा की शिकायत पर आधारित है, जिसके बाद केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने इन कंपनियों और उनके प्रमोटरों के खिलाफ केस दर्ज किया था। सीबीआई की शिकायत के आधार पर ईडी ने प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (PMLA) के तहत जांच शुरू की। गुरुवार सुबह से ही नोएडा के विभिन्न सेक्टरों में स्थित इन कंपनियों के प्रमोटरों के ठिकानों पर ईडी की टीमें सक्रिय हो गईं। छापेमारी के दौरान महत्वपूर्ण दस्तावेज, लैपटॉप, हार्ड डिस्क और अन्य डिजिटल डेटा जब्त किए गए हैं।

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ईडी की जांच में सामने आया कि इन कंपनियों ने फर्जी दस्तावेजों और गलत जानकारी के आधार पर बैंक ऑफ बड़ौदा से भारी-भरकम कर्ज लिया और उसे चुकाने में विफल रहीं। इस घोटाले में शामिल प्रमुख व्यक्तियों में ओम प्रकाश गुप्ता, प्रदीप कुमार गुप्ता, राजेश कुमार गुप्ता, सुरेश कुमार गुप्ता और मंजु गुप्ता जैसे नाम शामिल हैं। जांच एजेंसी ने पाया कि इन कंपनियों ने न केवल कर्ज की राशि का दुरुपयोग किया, बल्कि इसे मनी लॉन्ड्रिंग के जरिए विदेश भी स्थानांतरित किया।

ईडी की यह कार्रवाई 2020 से चल रही जांच का हिस्सा है, जिसमें 190.76 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी का मामला सामने आया था। चार साल पहले सीबीआई ने भी दिल्ली-एनसीआर में तीन ठिकानों पर छापेमारी की थी, जिसके बाद यह मामला और गंभीर हो गया। ईडी अब इस मामले में और गहराई से जांच कर रही है ताकि इस घोटाले के पूरे नेटवर्क का खुलासा हो सके। जब्त किए गए डिजिटल डेटा और दस्तावेजों की जांच से उम्मीद है कि मनी लॉन्ड्रिंग के इस मामले में और बड़े खुलासे हो सकते हैं।

यह कार्रवाई न केवल वित्तीय अपराधों के खिलाफ सरकार की सख्ती को दर्शाती है, बल्कि यह भी संदेश देती है कि फर्जीवाड़े और मनी लॉन्ड्रिंग में शामिल लोगों को बख्शा नहीं जाएगा। ईडी की इस ताबड़तोड़ कार्रवाई से प्रभावित कंपनियों और उनके प्रमोटरों पर अब कानूनी शिकंजा और कड़ा होने की संभावना है।

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