भारत विविधताओं से भरा एक ऐसा देश है जहां हर धर्म और संस्कृति के पर्व को प्रेम और सौहार्द के साथ मनाया जाता है। 2025 में ईद-उल-फितर का त्योहार भी इसी भावना के साथ मनाया गया, खासकर उत्तर प्रदेश के संभल में एक अनूठी पहल देखने को मिली। जब मुस्लिम समुदाय के लोग ईदगाह में नमाज अदा करने जा रहे थे, तब स्थानीय लोगों ने उन पर फूल बरसाकर भाईचारे और एकता का संदेश दिया। यह दृश्य सांप्रदायिक सौहार्द और आपसी प्रेम की अद्भुत मिसाल बना।
संभल में ईद का उल्लास और धार्मिक सौहार्द
ईद-उल-फितर इस्लाम धर्म का एक पवित्र पर्व है, जिसे रमज़ान के महीने के रोज़े समाप्त होने के बाद धूमधाम से मनाया जाता है। संभल में इस वर्ष ईद का त्योहार पूरे जोश और उत्साह के साथ मनाया गया। मुस्लिम समुदाय के लोगों ने सुबह-सुबह मस्जिदों और ईदगाह में नमाज अदा की और देश में अमन-चैन के लिए दुआएं मांगी।
ईदगाह जाने वाले नमाजियों का रास्ते में स्थानीय लोगों ने पुष्प वर्षा कर स्वागत किया। यह नज़ारा हर किसी के दिल को छू लेने वाला था और समाज में भाईचारे की भावना को और मजबूत करने वाला साबित हुआ।
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होली पर भी दिखी थी आपसी सौहार्द की मिसाल
इस पहल को और खास बनाता है पिछले दिनों होली पर किया गया एक ऐसा ही प्रयास। होली के मौके पर मुस्लिम समुदाय के लोगों ने स्थानीय हिंदू परिवारों को गुलाल और रंगों के पैकेट भेंट किए थे। उन्होंने पिचकारियां बांटकर यह संदेश दिया था कि त्योहार केवल एक धर्म विशेष के लिए नहीं होते, बल्कि वे सभी के लिए खुशियां और सौहार्द का संदेश लेकर आते हैं।
संभल में यह दृश्य दिखाता है कि जब लोग अपने मतभेदों को भूलकर एक-दूसरे की खुशियों में शामिल होते हैं, तो समाज में प्रेम और भाईचारा और मजबूत होता है।
सामाजिक सद्भाव का संदेश
संभल में हुई इस पहल ने यह संदेश दिया कि सभी धर्मों का सम्मान करना और एक-दूसरे के त्योहारों में भाग लेना ही सही मायने में इंसानियत है। यह कदम न केवल स्थानीय स्तर पर बल्कि पूरे देश में एक सकारात्मक संदेश देने का कार्य करता है।
मुस्लिम समुदाय के एक बुजुर्ग का कहना था, “जब हमने होली पर अपने भाइयों के लिए गुलाल और रंगों के पैकेट दिए, तब हमें लगा कि हमें भी उसी प्रेम और सम्मान के साथ ईद पर कुछ मिलेगा। आज जब हमारे हिंदू भाइयों ने हम पर फूल बरसाए, तो दिल गर्व से भर गया। यह सच्ची गंगा-जमुनी तहज़ीब है।”
राजनीतिक और सामाजिक प्रतिक्रियाएं

इस घटना की चर्चा राजनीतिक और सामाजिक गलियारों में भी हो रही है। स्थानीय प्रशासन ने भी इस पहल की सराहना की और इसे सांप्रदायिक सौहार्द का बेहतरीन उदाहरण बताया। कई राजनीतिक नेताओं और सामाजिक संगठनों ने इस पहल को पूरे देश में अपनाने की अपील की है।
एक स्थानीय समाजसेवी ने कहा, “ऐसी पहल से समाज में फैली दूरियां कम होती हैं और लोग एक-दूसरे के प्रति अधिक संवेदनशील बनते हैं। अगर हर शहर और गांव में इस तरह का भाईचारा देखने को मिले, तो समाज और मजबूत बनेगा।”
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