पश्चिम एशिया में दशकों से जारी संघर्षों के बीच गाज़ा पट्टी एक बार फिर अंतरराष्ट्रीय सुर्खियों में है। इस बार वजह थोड़ी राहत भरी है। अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने गाज़ा में शांति बहाल होने की दिशा में हो रही प्रगति को लेकर एक बड़ा बयान दिया है, जिससे दुनिया भर में उम्मीद की किरण जगी है।
गाज़ा संघर्ष की पृष्ठभूमि
गाज़ा पट्टी लंबे समय से इज़रायल और फिलिस्तीन के बीच संघर्ष का केंद्र रही है। हमास और इज़रायल के बीच बार-बार भड़कती हिंसा ने हजारों लोगों की जान ले ली है और लाखों को बेघर किया है। पिछले 20 महीनों में यह हिंसा अपने चरम पर रही है, जिसमें असंख्य जानें गई हैं।
डोनाल्ड ट्रम्प का बयान
हाल ही में डोनाल्ड ट्रम्प ने मीडिया से बातचीत में कहा, “मुझे लगता है गाज़ा को लेकर बहुत अच्छी प्रगति हो रही है।” उन्होंने यह जानकारी अपने विशेष दूत स्टीव विटकॉफ के हवाले से दी, जिन्होंने उन्हें बताया कि “गाज़ा बहुत करीब है,” यानी अब शांति के प्रयास सफल होने की ओर अग्रसर हैं।
इज़रायल-ईरान सीज़फायर से उम्मीदें
इस बयान के साथ ही ट्रम्प ने हाल ही में इज़रायल और ईरान के बीच हुए युद्धविराम समझौते का जिक्र भी किया। यह समझौता 12 दिनों तक चले संघर्ष के बाद हुआ है। यह विशेष रूप से महत्वपूर्ण इसलिए है क्योंकि ईरान को हमास का सबसे बड़ा समर्थक माना जाता है। ऐसे में इज़रायल-ईरान में बनी सहमति का असर गाज़ा पर भी पड़ सकता है।
संभावित असर और अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया
अगर गाज़ा में युद्धविराम लागू होता है, तो इससे हजारों जानें बचेंगी और लाखों लोगों को स्थायित्व मिलेगा। अमेरिका, यूरोपीय यूनियन और संयुक्त राष्ट्र पहले ही गाज़ा में शांति की अपील कर चुके हैं। ट्रम्प के बयान से इन प्रयासों को नई ऊर्जा मिल सकती है।
गाज़ा के लोगों की स्थिति
गाज़ा के नागरिक लगातार बमबारी, भोजन और पानी की कमी, और बेरोज़गारी जैसी समस्याओं से जूझ रहे हैं। शांति समझौता अगर वास्तव में जमीन पर लागू होता है, तो इससे वहां की आम जनता को राहत मिलेगी।
चुनौतीपूर्ण राह
हालांकि, गाज़ा में स्थाई शांति की राह आसान नहीं है। हमास, इज़रायली सरकार और अन्य अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ियों के हित अलग-अलग हैं। ऐसे में बातचीत और समझौते की प्रक्रिया जटिल हो सकती है।
डोनाल्ड ट्रम्प का यह बयान एक नई उम्मीद का संकेत देता है कि शायद अब गाज़ा में हथियार नहीं, संवाद की भाषा चले। हालांकि अभी बहुत कुछ स्पष्ट नहीं है, लेकिन अगर यह प्रयास सफल होते हैं, तो यह पश्चिम एशिया में शांति की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम होगा।
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