भारत और पाकिस्तान के बीच हाल ही में तनावपूर्ण स्थिति के बाद, दोनों देशों ने शनिवार को एक युद्धविराम समझौते पर हस्ताक्षर किए। यह समझौता चार दिनों तक चले सीमा पार ड्रोन और मिसाइल हमलों को समाप्त करने के लिए किया गया। सूत्रों ने पुष्टि की कि दोनों देशों के डायरेक्टर जनरल्स ऑफ मिलिट्री ऑपरेशंस (डीजीएमओ) ने बिना किसी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता के सभी सैन्य गतिविधियों को तत्काल प्रभाव से रोकने पर सहमति जताई। हालांकि, इस समझौते के बावजूद, भारत ने अपनी सतर्कता कम नहीं की है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को राष्ट्र को संबोधित करते हुए पाकिस्तान को कड़ी चेतावनी दी। उन्होंने कहा, “भारत की जवाबी कार्रवाई केवल स्थगित हुई है, समाप्त नहीं।” पीएम ने स्पष्ट किया कि पाकिस्तान के साथ किसी भी वार्ता का आधार केवल आतंकवाद और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) के मुद्दे होंगे। यह बयान भारत की दृढ़ नीति को दर्शाता है, जो क्षेत्रीय शांति के लिए आतंकवाद के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की मांग करता है।
जम्मू-कश्मीर में आतंकी चुनौती
युद्धविराम के बावजूद, जम्मू-कश्मीर में आतंकी गतिविधियां थमने का नाम नहीं ले रही हैं। शोपियां में सुरक्षाबलों और लश्कर-ए-तैयबा के आतंकियों के बीच मुठभेड़ जारी है। इस ऑपरेशन में सुरक्षा बलों ने एक आतंकी को ढेर कर दिया है। यह घटना दर्शाती है कि सीमा पर शांति के बावजूद, आंतरिक सुरक्षा चुनौतियां अभी भी गंभीर हैं।
अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रियाएं
युद्धविराम समझौते का अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने स्वागत किया है। अमेरिकी स्टेट डिपार्टमेंट के प्रिंसिपल डेप्युटी स्पोक्सपर्सन थॉमस पिगोट ने कहा, “हम भारत और पाकिस्तान के बीच युद्धविराम का स्वागत करते हैं और दोनों देशों के नेताओं को शांति का रास्ता चुनने के लिए बधाई देते हैं।” उन्होंने क्षेत्रीय स्थिरता के लिए दोनों देशों के बीच सीधे संवाद की आवश्यकता पर बल दिया।
ब्रिटिश विदेश सचिव डेविड लैमी ने भी यूनाइटेड किंगडम की ओर से समर्थन जताया। उन्होंने संसद में कहा, “यूके भारत और पाकिस्तान के साथ मिलकर स्थायी युद्धविराम और आतंकवाद के खिलाफ सहयोग करने को तैयार है।” लैमी ने 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले की निंदा की, जिसमें 26 नागरिक मारे गए थे, और आतंकवाद से निपटने के लिए सहयोग की प्रतिबद्धता दोहराई।

संयुक्त राष्ट्र की उम्मीद
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस के प्रवक्ता स्टीफन दुजारिक ने युद्धविराम को सकारात्मक कदम बताया। उन्होंने कहा, “हमें उम्मीद है कि यह समझौता स्थायी शांति की दिशा में योगदान देगा और दोनों देश बकाया मुद्दों को हल करने के लिए इसका उपयोग करेंगे।” यूएन ने क्षेत्रीय शांति को बढ़ावा देने वाली पहलों का समर्थन करने की तत्परता जताई।
आगे की राह
युद्धविराम समझौता निश्चित रूप से एक सकारात्मक कदम है, लेकिन भारत और पाकिस्तान के बीच लंबे समय से चले आ रहे मुद्दों, जैसे आतंकवाद और पीओके, का समाधान अभी बाकी है। भारत ने स्पष्ट कर दिया है कि वह आतंकवाद के खिलाफ अपनी नीति पर अडिग रहेगा। दूसरी ओर, अंतरराष्ट्रीय समुदाय की नजर इस बात पर है कि दोनों देश इस समझौते का उपयोग दीर्घकालिक शांति के लिए कैसे करते हैं।
जम्मू-कश्मीर में चल रही आतंकी घटनाएं और सीमा पर तनाव की संभावना भारत के लिए सतर्क रहने की आवश्यकता को रेखांकित करती है। यह समय दोनों देशों के लिए संयम और कूटनीतिक संवाद के माध्यम से शांति स्थापित करने का है, ताकि दक्षिण एशिया में स्थिरता और समृद्धि का मार्ग प्रशस्त हो सके।
संबंधित पोस्ट
विदेश मंत्री से आदित्य ठाकरे ने पूछे तीखे सवाल
सेना ने जारी किया ऑपरेशन सिंदूर का नया वीडियो, देखिए कैसे दुश्मन के ठिकानों को किया तबाह
BrahMos बनेगी दुश्मनों के लिए और घातक, भारत की ताकत बढ़ी