भारत और बांग्लादेश के बीच कूटनीतिक संबंधों में एक नया मोड़ उस समय आया जब बांग्लादेश ने पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद में वक्फ कानून को लेकर हुई हिंसा पर टिप्पणी की। भारत ने इस टिप्पणी को पूरी तरह से “गलत, बेबुनियाद और भटकाने वाली” करार देते हुए सख्ती से खारिज कर दिया है। विदेश मंत्रालय ने दो टूक कहा है कि बांग्लादेश को भारत की आंतरिक मामलों में दखल देने के बजाय अपने देश में अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित करनी चाहिए।
बांग्लादेश की आपत्ति और भारत की तीखी प्रतिक्रिया
घटना की पृष्ठभूमि में, पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले में वक्फ कानून में संशोधन के विरोध में हिंसा भड़क गई थी, जिसमें 3 लोगों की जान गई और सैकड़ों घायल हुए। इस घटना को लेकर बांग्लादेश के मुख्य सलाहकार मुहम्मद यूनुस के प्रेस सचिव ने भारत से “मुस्लिम अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने” की अपील की।
इसके जवाब में भारत के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा, “बांग्लादेश की टिप्पणी न केवल भ्रामक है, बल्कि भारत की आंतरिक मामलों में अनुचित हस्तक्षेप भी है।” उन्होंने आगे कहा कि यह बयान एक सोची-समझी रणनीति का हिस्सा है, जिससे बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों के खिलाफ हो रहे अत्याचारों से ध्यान हटाया जा सके।
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भारत ने क्यों जताई आपत्ति?
भारत का स्पष्ट कहना है कि
- बंगाल में जो कुछ हुआ, वह राज्य सरकार और देश के कानून के तहत निपटने वाला मामला है।
- भारत एक लोकतांत्रिक और बहुलतावादी देश है, जहां सभी नागरिकों को बराबर अधिकार प्राप्त हैं।
- किसी भी बाहरी देश द्वारा भारत के आंतरिक मामलों पर टिप्पणी करना अस्वीकार्य है।
रणधीर जायसवाल ने बयान में कहा, “बिना वजह टिप्पणी करने और अच्छाई दिखाने की कोशिश करने के बजाय बांग्लादेश को अपने देश में अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा पर ध्यान देना चाहिए।”
बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों की स्थिति पर भारत की चिंता
भारत का यह बयान केवल प्रतिक्रिया नहीं, बल्कि एक गहरी चिंता का भी प्रतिबिंब है। पिछले कुछ वर्षों में बांग्लादेश में हिंदू और अन्य अल्पसंख्यकों पर हमलों की कई घटनाएं सामने आई हैं।
- लगभग 200 मंदिरों में तोड़फोड़ की गई है।
- कई पुजारियों और धार्मिक नेताओं को धमकी और हमले झेलने पड़े हैं।
- धार्मिक त्योहारों के दौरान भीड़ द्वारा हमले, तोड़फोड़ और लूटपाट की घटनाएं दर्ज की गई हैं।
- प्रवासी बांग्लादेशी हिंदू समुदायों और अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठनों ने इन घटनाओं को लेकर चिंता जताई है।
भारत ने इन मामलों में समय-समय पर बांग्लादेश से अपने अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की मांग की है, लेकिन बांग्लादेश सरकार ने अक्सर इन आरोपों को नकार दिया है।
क्या है वक्फ कानून में विवाद?
पश्चिम बंगाल में हाल ही में वक्फ कानून में संशोधन को लेकर विवाद गहराया। संशोधन के बाद समुदाय के कुछ समूहों में नाराजगी देखी गई और इसका विरोध सड़कों पर उतरकर किया गया।
इस विरोध ने हिंसक रूप ले लिया, जिसमें पुलिस और प्रशासन को हालात नियंत्रित करने में खासी मशक्कत करनी पड़ी। कई इलाकों में इंटरनेट सेवा बंद करनी पड़ी और धारा 144 लागू की गई।
हालांकि राज्य सरकार और केंद्रीय एजेंसियों ने स्थिति को काबू में किया, लेकिन इस मामले में बांग्लादेश की ओर से सार्वजनिक टिप्पणी को भारत ने अनुचित और दुर्भावनापूर्ण बताया।
बांग्लादेश की राजनीति और कट्टरपंथ का असर
बांग्लादेश में राजनीतिक अस्थिरता और बढ़ते कट्टरपंथी प्रभाव के चलते अल्पसंख्यक समुदायों की स्थिति चिंताजनक बनी हुई है।
शेख हसीना के सत्ता से बाहर जाने के बाद वहां कट्टरपंथी ताकतों को अधिक बल मिला है, जो अक्सर धार्मिक अल्पसंख्यकों को निशाना बनाते हैं।
भारत का यह भी कहना है कि बांग्लादेश को पहले अपने घर को व्यवस्थित करना चाहिए, फिर किसी अन्य देश को नैतिकता का पाठ पढ़ाना चाहिए।भारत और बांग्लादेश के रिश्ते हमेशा से ऐतिहासिक और सांस्कृतिक रूप से जुड़े रहे हैं, लेकिन हालिया घटनाएं दोनों देशों के बीच विश्वास की डोर को चुनौती दे रही हैं। भारत ने यह स्पष्ट कर दिया है कि वह अपनी आंतरिक नीति और अल्पसंख्यकों के अधिकारों को लेकर जवाबदेह है और किसी बाहरी टिप्पणी को बर्दाश्त नहीं करेगा।
बांग्लादेश को भी यह समझना होगा कि नैतिकता की बुनियाद अपने घर से शुरू होती है – दूसरों पर उंगली उठाने से पहले अपने यहां अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित करना जरूरी है।
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