हाल ही में भारतीय सांसदों का एक प्रतिनिधिमंडल कोलंबिया पहुंचा, जिसका उद्देश्य भारत की आतंकवाद विरोधी नीति और ऑपरेशन सिंदूर को लेकर वैश्विक समुदाय को स्पष्ट जानकारी देना था। इस प्रतिनिधिमंडल में कांग्रेस सांसद शशि थरूर प्रमुख रूप से शामिल थे। उन्होंने कोलंबिया सरकार और वहां की मीडिया के सामने भारत की सुरक्षा नीति और आतंकवाद के प्रति उसकी सख्त नीति को मजबूती से प्रस्तुत किया।
शशि थरूर ने कोलंबिया सरकार की उस प्रतिक्रिया पर गहरा ऐतराज जताया जिसमें उन्होंने ऑपरेशन सिंदूर में मारे गए पाकिस्तानी आतंकियों की मौत पर शोक जताया था। उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा कि आतंकवादियों और देश के सैनिकों के बीच कोई तुलना नहीं की जा सकती। यह बयान भारत की आतंकवाद के प्रति असहिष्णुता और उसकी नीतिगत स्पष्टता को दर्शाता है।
भारत ने आतंकवाद पर लिया सख्त रुख, थरूर का बयान
कोलंबिया की मीडिया से बातचीत में थरूर ने भारत की शांति और संप्रभुता के प्रति प्रतिबद्धता को दोहराया। उन्होंने अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के उस दावे को भी खारिज कर दिया, जिसमें ट्रंप ने भारत-पाकिस्तान के बीच संघर्षविराम का श्रेय खुद को दिया था। थरूर ने साफ किया कि भारत अपने पड़ोसी देशों से सीधे संवाद करता है और किसी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता स्वीकार नहीं करता।
उन्होंने कहा कि भारत आतंकवाद के खिलाफ कठोर कदम उठाने में कभी हिचकिचाएगा नहीं और इसमें कोई समझौता संभव नहीं है। शशि थरूर ने कोलंबिया सरकार से यह अपेक्षा भी जताई कि उन्हें जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के पीड़ितों के प्रति संवेदना व्यक्त करनी चाहिए थी, न कि हमलावरों के लिए शोक।
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भारत की कूटनीति: आतंकवाद के खिलाफ सख्त संदेश
उक्त हमले की जिम्मेदारी द रेजिस्टेंस फ्रंट (TRF) ने ली थी, जो लश्कर-ए-तैयबा जैसे पाकिस्तान आधारित आतंकी संगठन से जुड़ा है। इस संदर्भ में, थरूर ने बताया कि ऑपरेशन सिंदूर भारत की एक आत्मरक्षक कार्रवाई थी, जिसका उद्देश्य देश की जनता और सीमाओं की रक्षा करना था।
भारत के इस कूटनीतिक दौरे का प्रमुख उद्देश्य वैश्विक समुदाय को यह संदेश देना था कि भारत आतंकवाद को किसी भी रूप में स्वीकार नहीं करेगा। साथ ही, भारत इस मुद्दे पर किसी भी प्रकार की गलतफहमी या भ्रामक प्रचार का जवाब तथ्यों के साथ देगा।
शशि थरूर ने यह भी स्पष्ट किया कि भारत हमेशा से शांति, सहयोग और रचनात्मक विकास का पक्षधर रहा है। यह दौरा न केवल भारत की कूटनीतिक दृढ़ता को दर्शाता है, बल्कि वैश्विक मंच पर आतंकवाद के खिलाफ एकजुटता की आवश्यकता पर भी बल देता है।
भारत ने कोलंबिया के साथ संवाद कर यह संदेश दिया कि वह वैश्विक शांति के लिए प्रतिबद्ध है, लेकिन आतंकवाद के मुद्दे पर कोई ढील नहीं देगा। भारत का यह रुख उसके आत्मसम्मान, सुरक्षा और वैश्विक जिम्मेदारी की भावना का परिचायक है।
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