मध्य प्रदेश के निवाड़ी जिले के पृथ्वीपुर नगर में आयोजित देवी अहिल्याबाई नारी सम्मेलन के दौरान एक अप्रत्याशित घटनाक्रम सामने आया है। मुख्यमंत्री मोहन यादव की उपस्थिति में हुए इस कार्यक्रम में केंद्रीय मंत्री और टीकमगढ़ लोकसभा क्षेत्र से सांसद वीरेंद्र खटीक को कथित रूप से मंच पर अपमानजनक स्थिति का सामना करना पड़ा। यह घटना सोशल मीडिया पर वायरल हो गई है और राजनीतिक हलकों में चर्चा का विषय बन गई है।
क्या हुआ था कार्यक्रम में?
शनिवार की दोपहर शासकीय कॉलेज प्रांगण में देवी अहिल्याबाई नारी सम्मेलन आयोजित किया गया था, जिसमें मुख्यमंत्री मोहन यादव मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित थे। उनके साथ मंच पर केंद्रीय मंत्री वीरेंद्र खटीक भी मौजूद थे। जैसे ही मंच संचालक ने वीरेंद्र खटीक को संबोधन के लिए आमंत्रित किया, वे डाइस पर पहुंचे, लेकिन उसी समय पाल समाज के राष्ट्रीय अध्यक्ष शैतान सिंह पाल ने उनका हाथ पकड़कर उन्हें पीछे कर दिया।
इस अप्रत्याशित व्यवहार से वीरेंद्र खटीक असहज हो गए और मंच से नीचे उतर गए। उन्होंने केवल दो मिनट का संक्षिप्त भाषण दिया और फिर नाराज होकर मंच छोड़ दिया। घटना का वीडियो तेजी से सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है।
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भाजपा नेताओं की प्रतिक्रिया
इस मामले पर भाजपा के निवाड़ी जिलाध्यक्ष राजेश ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “हमारा संगठन बहुत बड़ा है और ऐसी छोटी घटनाएं होती रहती हैं। इसे तूल न दें, हम आपस में बैठकर समाधान निकालते हैं।” वहीं, सांसद प्रतिनिधि विवेक चतुर्वेदी ने कहा कि वीरेंद्र खटीक एक गंभीर और अनुभवी नेता हैं, जिन्होंने अपने राजनीतिक जीवन में हमेशा संयम और गरिमा बनाए रखी है। उन्होंने इस पूरे प्रकरण को गंभीरता से न लेने की अपील की।
शैतान सिंह पाल ने दी सफाई
पाल समाज के राष्ट्रीय अध्यक्ष शैतान सिंह पाल ने मामले पर सफाई देते हुए कहा कि उनका किसी तरह का अपमान करने का इरादा नहीं था। उन्होंने कहा, “वीरेंद्र खटीक मेरे बड़े भाई हैं और मैं उनका सम्मान करता हूं। मैं सिर्फ मुख्यमंत्री को पाल समाज की तरफ से पगड़ी पहनाना चाहता था, और इसी कारण मैंने उनसे सहयोग के लिए अनुरोध किया था।”
घटना का राजनीतिक और सामाजिक असर
हालांकि, शैतान सिंह पाल की सफाई के बावजूद यह मामला राजनीतिक रूप से काफी संवेदनशील बन गया है। कार्यक्रम की गरिमा और वरिष्ठ मंत्री के साथ सार्वजनिक मंच पर इस तरह का व्यवहार कई सवाल खड़े करता है। वीडियो वायरल होने के बाद यह चर्चा का विषय बन गया है कि क्या इस तरह की घटनाएं वरिष्ठ नेताओं के सम्मान को ठेस पहुंचा सकती हैं और इससे पार्टी के भीतर अनुशासन को लेकर सवाल उठ सकते हैं।
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