भारत-पाक तनाव पर जयशंकर का बड़ा बयान, चीन की भूमिका उजागर

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने हालिया भारत-पाकिस्तान तनाव पर एक सशक्त बयान जारी किया है, जिसमें उन्होंने ऑपरेशन सिंदूर की सफलता, चीन की भूमिका और पाकिस्तान के साथ भविष्य की बातचीत के रुख को स्पष्ट किया। उन्होंने कहा कि इस संघर्ष में चीन ने अपनी सैटेलाइट तकनीक के जरिए पाकिस्तान का समर्थन किया, लेकिन भारत को वैश्विक समुदाय से व्यापक समर्थन प्राप्त हुआ।

जयशंकर ने जोर देकर कहा कि भारत का लक्ष्य शुरू से ही आतंकवादी ढांचे को नष्ट करना था, न कि पाकिस्तानी सेना पर हमला करना। उन्होंने बताया, “हमने पाकिस्तान को स्पष्ट संदेश दिया था कि हमारा निशाना आतंकवादी ठिकाने हैं। हमने उन्हें सलाह दी थी कि उनकी सेना हस्तक्षेप न करे, लेकिन उन्होंने इस सलाह को नजरअंदाज किया।” 10 मई की सुबह पाकिस्तान को भारी नुकसान हुआ, जिसकी पुष्टि सैटेलाइट तस्वीरों से हुई। इन तस्वीरों ने यह भी स्पष्ट किया कि भारत ने अपने लक्ष्यों को प्रभावी ढंग से हासिल किया, जबकि पाकिस्तान का नुकसान कहीं अधिक था।

द्विपक्षीय बातचीत और आतंकवाद पर कड़ा रुख

विदेश मंत्री ने दोहराया कि पाकिस्तान के साथ किसी भी तरह की बातचीत केवल द्विपक्षीय होगी। उन्होंने कहा, “यह राष्ट्रीय सहमति है कि बातचीत का एकमात्र मुद्दा आतंकवाद होगा। पाकिस्तान को आतंकवादियों की सूची सौंपनी होगी और उनके बुनियादी ढांचे को पूरी तरह बंद करना होगा।” जयशंकर ने यह भी स्पष्ट किया कि जब तक पाकिस्तान सीमा पार आतंकवाद को पूरी तरह नहीं रोकता, तब तक सिंधु जल संधि को स्थगित रखा जाएगा। इसके अलावा, कश्मीर पर किसी भी चर्चा का विषय केवल पाकिस्तान के कब्जे वाला कश्मीर (PoK) को खाली करना होगा।

अंतरराष्ट्रीय समर्थन और भारत की कूटनीतिक जीत

जयशंकर ने बताया कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारत को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) के प्रस्तावों और वैश्विक समुदाय से व्यापक समर्थन मिला। उन्होंने होंडुरास दूतावास के उद्घाटन के अवसर पर कहा, “होंडुरास ने पहलगाम आतंकवादी हमले के समय भारत के प्रति मजबूत एकजुटता दिखाई, जो हमारे लिए बहुत मायने रखता है।” यह समर्थन भारत की कूटनीतिक ताकत को दर्शाता है।

भारत-अमेरिका व्यापार वार्ता पर जयशंकर का बयान

भारत और अमेरिका के बीच चल रही व्यापार वार्ता पर विदेश मंत्री ने कहा कि ये वार्ताएं जटिल हैं और अंतिम सहमति तक कुछ भी तय नहीं माना जा सकता। उन्होंने जोर दिया, “कोई भी व्यापार सौदा दोनों देशों के लिए परस्पर लाभकारी होना चाहिए। हमारी अपेक्षा है कि यह सौदा दोनों पक्षों के हित में हो। जब तक यह सुनिश्चित नहीं होता, कोई निर्णय लेना जल्दबाजी होगी।” यह बयान भारत की व्यापार नीति में संतुलन और सावधानी को दर्शाता है।

भविष्य की रणनीति और भारत का दृढ़ संकल्प

जयशंकर का यह बयान भारत की विदेश नीति की दृढ़ता और स्पष्टता को रेखांकित करता है। उन्होंने न केवल पाकिस्तान को आतंकवाद के खिलाफ कड़ा संदेश दिया, बल्कि वैश्विक मंच पर भारत की बढ़ती कूटनीतिक ताकत को भी प्रदर्शित किया। ऑपरेशन सिंदूर की सफलता ने भारत की सैन्य और रणनीतिक क्षमता को साबित किया है, जबकि अंतरराष्ट्रीय समर्थन ने भारत की नैतिक और कूटनीतिक जीत को और मजबूत किया।

पाकिस्तान के साथ भविष्य की बातचीत के लिए भारत ने अपनी शर्तें स्पष्ट कर दी हैं। आतंकवाद के खिलाफ जीरो टॉलरेंस और द्विपक्षीय बातचीत का रुख भारत की रणनीति का आधार रहेगा। इसके साथ ही, वैश्विक व्यापार और कूटनीति में भारत का संतुलित दृष्टिकोण उसे एक मजबूत और विश्वसनीय शक्ति के रूप में स्थापित करता है।

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