पांच साल के लंबे अंतराल के बाद, सिक्किम के नाथुला दर्रे से कैलाश मानसरोवर यात्रा जून 2025 से फिर शुरू होने जा रही है। भारत-चीन सैन्य तनाव और कोविड-19 महामारी के कारण 2020 में निलंबित इस पवित्र यात्रा को अब नई ऊर्जा और उन्नत बुनियादी ढांचे के साथ पुनर्जनन मिल रहा है। यह खबर तीर्थयात्रियों में आध्यात्मिक उत्साह जगा रही है, जो भगवान शिव के इस पवित्र स्थल की यात्रा के लिए उत्सुक हैं। हिंदू, बौद्ध और जैन धर्मावलंबियों के लिए यह यात्रा अत्यंत महत्वपूर्ण है, जो न केवल आध्यात्मिक बल्कि सांस्कृतिक और भू-राजनीतिक दृष्टिकोण से भी विशेष स्थान रखती है।
उन्नत सुविधाओं के साथ तीर्थयात्रियों की सुरक्षा
यात्रा की सफलता के लिए सिक्किम प्रशासन ने व्यापक तैयारियां की हैं। दो उच्च ऊंचाई वाले अनुकूलन केंद्रों का निर्माण लगभग पूरा हो चुका है। पहला केंद्र 10,000 फीट की ऊंचाई पर और दूसरा कुपुप रोड पर हांगु झील के पास 14,000 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। ये केंद्र तीर्थयात्रियों को कठिन ऊंचाई और मौसम के लिए तैयार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। इन केंद्रों में चिकित्सा सुविधाएं, ऑक्सीजन की व्यवस्था और प्रशिक्षण की सुविधा उपलब्ध होगी। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, “हम तीर्थयात्रियों की सुरक्षा और सुविधा के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध हैं।” इसके अलावा, यात्रा मार्ग पर सड़कों का उन्नयन और आवास सुविधाओं का विस्तार किया गया है।
आध्यात्मिक और सांस्कृतिक महत्व
कैलाश मानसरोवर यात्रा को हिंदू धर्म में मोक्ष का द्वार माना जाता है। भगवान शिव और माता पार्वती का निवास स्थान होने के कारण यह स्थल तीर्थयात्रियों के लिए अत्यंत पवित्र है। बौद्ध धर्म में इसे कांग रिनपोछे के नाम से जाना जाता है, जो आध्यात्मिक जागृति का प्रतीक है। जैन धर्म में यह स्थान ऋषभदेव के निर्वाण से जुड़ा है। यह यात्रा न केवल व्यक्तिगत आस्था को मजबूत करती है, बल्कि विभिन्न धर्मों के बीच सांस्कृतिक एकता को भी बढ़ावा देती है। नाथुला दर्रा मार्ग के दोबारा खुलने से भारत-चीन संबंधों में विश्वास बहाली का संदेश भी जाता है।
स्थानीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा
नाथुला दर्रे से यात्रा के पुनरारंभ से सिक्किम की स्थानीय अर्थव्यवस्था को महत्वपूर्ण बढ़ावा मिलेगा। पर्यटन और आतिथ्य क्षेत्र में रोजगार के नए अवसर सृजित होंगे। स्थानीय होटल, गेस्ट हाउस, परिवहन सेवाएं और दुकानें इस यात्रा से लाभान्वित होंगी। सिक्किम सरकार ने स्थानीय समुदायों को प्रशिक्षण और संसाधन प्रदान करने की योजना बनाई है, ताकि वे तीर्थयात्रियों को बेहतर सेवाएं प्रदान कर सकें। यह कदम न केवल आर्थिक विकास को गति देगा, बल्कि क्षेत्र की सांस्कृतिक विरासत को भी विश्व स्तर पर प्रदर्शित करेगा।
तीर्थयात्रियों का उत्साह
तीर्थयात्री इस खबर से बेहद उत्साहित हैं। दिल्ली के एक तीर्थयात्री, रमेश शर्मा ने कहा, “पांच साल के इंतजार के बाद, हम फिर से इस पवित्र यात्रा पर जाने के लिए तैयार हैं। यह मेरे लिए आध्यात्मिक अनुभव का अवसर है।” सरकार ने यात्रा को सुरक्षित और सुगम बनाने के लिए कड़े दिशानिर्देश जारी किए हैं। तीर्थयात्रियों के लिए ऑनलाइन पंजीकरण, स्वास्थ्य जांच और यात्रा बीमा अनिवार्य किया गया है। इसके अलावा, प्रत्येक बैच के साथ प्रशिक्षित गाइड और चिकित्सा दल भी होंगे।
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