उत्तर भारत के श्रद्धालुओं के लिए एक बड़ी खुशखबरी सामने आई है। प्राचीन और पवित्र कैलाश मानसरोवर यात्रा एक बार फिर से शुरू होने जा रही है। कोरोना महामारी और सीमा पर जारी तनाव के चलते बीते कुछ वर्षों से यह यात्रा प्रभावित रही थी, लेकिन अब केंद्र सरकार की ओर से संकेत मिले हैं कि जल्द ही कैलाश मानसरोवर यात्रा फिर से शुरू की जाएगी। इससे उत्तर भारत के राज्यों — विशेषकर उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, हरियाणा और दिल्ली — के लाखों श्रद्धालुओं में जबरदस्त उत्साह है।
क्या है कैलाश मानसरोवर यात्रा?
कैलाश पर्वत और मानसरोवर झील तिब्बत में स्थित हैं, और यह स्थान हिंदू, बौद्ध, जैन और बोन धर्म के लिए अत्यंत पवित्र माना जाता है। हिंदू मान्यता के अनुसार, कैलाश पर्वत को भगवान शिव का निवास स्थल कहा गया है। मानसरोवर झील के दर्शन मात्र से ही जन्म-जन्मांतर के पाप कट जाते हैं, ऐसा विश्वास है।
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यात्रा पर लगी थी रोक
2019 के बाद से कोरोना महामारी के कारण इस यात्रा को स्थगित कर दिया गया था। इसके बाद भारत-चीन सीमा विवाद और अन्य भू-राजनीतिक कारणों से यह यात्रा दोबारा शुरू नहीं हो सकी। लेकिन अब दोनों देशों के बीच कूटनीतिक संवाद और हालात में सुधार के संकेतों के चलते, सरकार इस वर्ष यात्रा को फिर से शुरू करने की योजना बना रही है।
दो मार्गों से होती है यात्रा
- लिपुलेख दर्रा (उत्तराखंड) के रास्ते:
यह पारंपरिक मार्ग है, जहां से यात्रा उत्तराखंड के धारचूला, गुंजी और लिपुलेख पास होते हुए तिब्बत में प्रवेश करती है। यह मार्ग साहसी और रोमांचकारी माना जाता है। - नाथू ला दर्रा (सिक्किम) के रास्ते:
यह मार्ग अपेक्षाकृत आसान और आधुनिक सड़कों से युक्त है, लेकिन सीमित संख्या में श्रद्धालुओं को ही इस रास्ते से जाने की अनुमति मिलती है।
यात्रा के लिए तैयारी जोरों पर
केंद्र और राज्य सरकारें मिलकर यात्रा के सुचारू संचालन के लिए तैयारियां कर रही हैं। उत्तराखंड सरकार ने सीमावर्ती क्षेत्रों में सड़क, चिकित्सा और सुरक्षा व्यवस्था को बेहतर बनाने का कार्य शुरू कर दिया है। इसके साथ ही आवेदकों की स्वास्थ्य जांच, पासपोर्ट, वीजा और फिटनेस सर्टिफिकेट जैसी औपचारिकताओं की प्रक्रिया भी शुरू होने वाली है।
कौन कर सकता है आवेदन?
कैलाश मानसरोवर यात्रा के लिए आवेदन करने वाले व्यक्ति को
- भारतीय नागरिक होना अनिवार्य है।
- उसकी आयु 18 से 70 वर्ष के बीच होनी चाहिए।
- फिटनेस प्रमाण पत्र देना होगा।
- पासपोर्ट अनिवार्य होगा (कम से कम 6 महीने की वैधता सहित)।
- चिकित्सा परीक्षण में उत्तीर्ण होना आवश्यक है।
यात्रा आम तौर पर जून से सितंबर के बीच आयोजित होती है, और इसकी अवधि लगभग 24 से 28 दिन की होती है।
क्यों है उत्तर भारत के श्रद्धालुओं में विशेष उत्साह?
उत्तर भारत, विशेषकर हरिद्वार, वाराणसी, लखनऊ, अमृतसर, पटियाला, कुरुक्षेत्र और दिल्ली जैसे धार्मिक शहरों में भगवान शिव के प्रति विशेष आस्था है। कैलाश मानसरोवर यात्रा को शिवभक्तों के लिए जीवन का सबसे पवित्र और महत्त्वपूर्ण अनुभव माना जाता है। कई श्रद्धालु वर्षों से इस यात्रा का सपना देखते हैं। यात्रा फिर से शुरू होने की खबर ने उन सभी को नई उम्मीद और उमंग दी है।
सरकार का क्या कहना है?
केंद्रीय विदेश मंत्रालय ने संकेत दिया है कि इस वर्ष के अंत या अगले वर्ष की शुरुआत में यात्रा शुरू की जा सकती है, बशर्ते कि चीन सरकार की ओर से अनुमति मिल जाए। भारत सरकार तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र के प्रशासन के साथ संवाद में है और यात्रियों की सुरक्षा को सर्वोपरि मानते हुए निर्णय ले रही है।
डिजिटल प्लेटफॉर्म से आवेदन की सुविधा
यात्रियों की सुविधा के लिए विदेश मंत्रालय की वेबसाइट पर जल्द ही ऑनलाइन आवेदन प्रक्रिया शुरू की जाएगी। इसके माध्यम से आवेदन करना, स्वास्थ्य प्रमाण पत्र अपलोड करना और यात्रा संबंधित दिशा-निर्देश प्राप्त करना आसान हो जाएगा।
कैलाश मानसरोवर यात्रा का फिर से शुरू होना भारत के धार्मिक और सांस्कृतिक जीवन के लिए एक सकारात्मक संकेत है। इससे न केवल श्रद्धालुओं की आस्था को बल मिलेगा, बल्कि सीमावर्ती क्षेत्रों के विकास को भी गति मिलेगी। उत्तर भारत के श्रद्धालुओं के लिए यह खबर एक नए उत्सव से कम नहीं है। अब सबकी नजरें सरकार की अंतिम घोषणा और तिब्बत प्रशासन की अनुमति पर टिकी हुई हैं।
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