एक बार फिर पाकिस्तान ने कश्मीर को लेकर उकसाने वाली बयानबाज़ी की है। पाकिस्तान सेना प्रमुख जनरल आसिम मुनीर ने कश्मीर को “इस्लामाबाद की शाह रग” बताते हुए कहा कि पाकिस्तान इसे कभी नहीं भूलेगा। उनका यह बयान ऐसे समय में आया है जब भारत-पाक रिश्ते बेहद तनावपूर्ण हैं, और भारत बार-बार यह स्पष्ट करता आया है कि जम्मू-कश्मीर उसका अभिन्न हिस्सा है और रहेगा।
विदेश में बसे पाकिस्तानियों को संबोधन में बयान
जनरल मुनीर ने यह टिप्पणी विदेश में बसे पाकिस्तानियों की एक सभा को संबोधित करते हुए दी। उन्होंने कहा कि विदेश में रहने वाले पाकिस्तानियों को यह नहीं भूलना चाहिए कि वे एक “उच्च विचारधारा और संस्कृति” से ताल्लुक रखते हैं। उन्होंने पाकिस्तानी समुदाय को सलाह दी कि वे अपनी अगली पीढ़ी को पाकिस्तान की कहानी ज़रूर सुनाएं।
“हम हिंदुओं से अलग हैं” – दो-राष्ट्र सिद्धांत का बचाव
अपने भाषण में जनरल मुनीर ने 1947 के विभाजन के आधार रहे दो-राष्ट्र सिद्धांत का भी ज़ोरदार बचाव किया। उन्होंने कहा, “हमारे पूर्वजों ने सोचा कि हम हिंदुओं से जीवन के हर पहलू में अलग हैं – धर्म, परंपराएं, सोच और आकांक्षाएं। यही दो-राष्ट्र सिद्धांत की नींव थी।”
उनका यह बयान भारत की साझा सांस्कृतिक विरासत और धर्मनिरपेक्ष मूल्यों पर सीधा हमला माना जा रहा है। भारतीय विश्लेषकों का मानना है कि पाकिस्तान की सेना बार-बार इस तरह के बयान देकर न केवल अपने राजनीतिक हित साधना चाहती है, बल्कि कश्मीर मुद्दे को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर जिंदा रखने की नाकाम कोशिश कर रही है।
भारत की स्पष्ट नीति – “कश्मीर भारत का अभिन्न अंग”
भारत की तरफ से लगातार यह दोहराया जाता रहा है कि जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न और अविभाज्य हिस्सा है। अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद भारत ने यह साफ कर दिया कि अब पाकिस्तान के पास इस मुद्दे पर कोई अंतरराष्ट्रीय मंच नहीं बचा है। भारत की नीति साफ है – “बातचीत और आतंक एक साथ नहीं चल सकते।”
जनरल मुनीर का यह बयान भारत की संप्रभुता और अखंडता पर एक और अप्रत्यक्ष हमला माना जा रहा है। भारत में इसे लेकर तीव्र प्रतिक्रिया आने की संभावना है।
सेना प्रमुख या सियासी नेता?
विशेषज्ञों का मानना है कि पाकिस्तान में सेना सिर्फ सैन्य शक्ति नहीं, बल्कि राजनीतिक शक्ति भी है। वहां का इतिहास गवाह है कि सेना ने या तो सीधे सत्ता पर कब्जा किया है या परोक्ष रूप से हर सरकार को नियंत्रित किया है। ऐसे में जब सेना प्रमुख खुद दो-राष्ट्र सिद्धांत और कश्मीर पर बयान दे रहे हैं, तो यह सिर्फ एक सैन्य टिप्पणी नहीं मानी जा सकती – इसके गहरे राजनीतिक मायने हैं।
भारत को कैसे देखना चाहिए इस बयान को?
भारत को इस तरह की बयानबाज़ी से भटकने की जरूरत नहीं है। यह पाकिस्तान की अंदरूनी अस्थिरता और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर उसकी असफलता को दर्शाता है। जनरल मुनीर का बयान न तो नया है, न ही अप्रत्याशित। यह वही घिसा-पिटा राग है जिसे पाकिस्तान दशकों से अलापता रहा है।
भारत को अपनी आंतरिक मजबूती, विकास और कूटनीतिक प्रयासों पर ध्यान केंद्रित रखते हुए, इस तरह की बयानबाज़ी को तवज्जो दिए बिना अपनी कूटनीति को मजबूती से आगे बढ़ाना चाहिए।
जनरल मुनीर का “शाह रग” वाला बयान सिर्फ एक भावनात्मक और उकसावे भरा वक्तव्य है, जिसका उद्देश्य पाकिस्तान के अंदरूनी राजनीतिक समीकरणों को साधना है। भारत को चाहिए कि वह इस पर सख्त प्रतिक्रिया देने के बजाय, अपने दृढ़ रुख को बरकरार रखते हुए, अंतरराष्ट्रीय समुदाय को वास्तविकता से अवगत कराता रहे।
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