मध्य-पूर्व संकट ईरान-अमेरिका तनाव और भारत की महत्वपूर्ण कूटनीतिक भूमिका

पूरी दुनिया की नजरें इस समय मध्य-पूर्व में बनते संकट पर टिकी हुई हैं, जहां ईरान और अमेरिका के बीच तनाव अपने चरम पर है। इस गंभीर स्थिति में भारत ने संयम और कूटनीति की भूमिका निभाकर एक महत्वपूर्ण मिसाल कायम की है।

ईरान-अमेरिका के बीच हालिया तनाव का केंद्र

शनिवार की रात को अमेरिकी सेना ने ईरान के तीन प्रमुख परमाणु ठिकानों फोर्डो, नतांज़ और इस्फहान पर बमबारी की। इस हमले में B-2 स्टेल्थ बॉम्बर्स और टॉमहॉक मिसाइलों का इस्तेमाल किया गया। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इसे “भारी सैन्य सफलता” बताया और कहा कि यह कदम ईरान की परमाणु महत्वाकांक्षाओं को रोकने के लिए बेहद जरूरी था।हालांकि, इस हमले के बाद क्षेत्रीय और वैश्विक स्तर पर तनाव की स्थिति पैदा हो गई है। पूरे विश्व में युद्ध की आशंका ने चिंता पैदा कर दी है।

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भारत की कूटनीतिक पहल: पीएम मोदी का ईरान से संवाद

ऐसे संवेदनशील समय में, भारत ने संयम और कूटनीति की नीति अपनाई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को ईरान के नए राष्ट्रपति मसूद पेज़ेश्कियन से करीब 45 मिनट लंबी टेलीफोन वार्ता की। इस बातचीत में दोनों नेताओं ने हालिया घटनाओं और क्षेत्रीय सुरक्षा पर विस्तार से चर्चा की।पीएम मोदी ने स्पष्ट किया कि शांति बनाए रखना और संवाद के जरिए समस्याओं का हल निकालना ही सबसे उचित रास्ता है। उन्होंने तनाव कम करने और क्षेत्र में स्थिरता बहाल करने की तत्काल जरूरत पर जोर दिया।ईरान के राष्ट्रपति ने भी भारत को एक “मित्र और साझेदार” बताते हुए देश की कूटनीतिक भूमिका की सराहना की।

क्षेत्रीय प्रतिक्रिया और भारत की संतुलित नीति

मध्य-पूर्व में बढ़ते तनाव पर भारत का रुख काफी संतुलित रहा है। जबकि पाकिस्तान ने इस हमले की कड़ी निंदा की और क्षेत्रीय तनाव बढ़ने की आशंका जताई, भारत ने सभी पक्षों से संयम बरतने की अपील की।भारत की इस नीति को विश्वभर में सम्मान मिला है क्योंकि वह युद्ध के बजाय संवाद के जरिए शांति स्थापित करना चाहता है।

भारत का मध्य-पूर्व में बढ़ता कूटनीतिक प्रभाव

भारत ने सदैव अपने पड़ोसी देशों और वैश्विक महाशक्तियों के साथ संवाद और सहयोग को प्राथमिकता दी है। खासकर मध्य-पूर्व जैसे संवेदनशील क्षेत्र में भारत का संतुलित रुख उसकी बढ़ती वैश्विक कूटनीतिक छवि को दर्शाता है।पीएम मोदी और ईरान के राष्ट्रपति के बीच हुई बातचीत इस बात का सबूत है कि भारत संकट के समय शांति और स्थिरता के लिए मध्यस्थ की भूमिका निभा सकता है।

निष्कर्ष

मध्य-पूर्व में ईरान-अमेरिका तनाव ने पूरी दुनिया को चिंतित कर दिया है। ऐसे समय में भारत ने शांति, संवाद और संयम की नीति अपनाकर एक जिम्मेदार वैश्विक खिलाड़ी के रूप में अपनी भूमिका निभाई है।आने वाले समय में यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या कूटनीति युद्ध की गूंज पर भारी पड़ती है और क्या भारत की यह पहल क्षेत्रीय शांति कायम करने में सफल होती हैमध्य-पूर्व संकट, ईरान अमेरिका तनाव, पीएम मोदी ईरान बातचीत, भारत की कूटनीति, ईरान परमाणु हमला, क्षेत्रीय शांति भारत, भारत पाकिस्तान तनाव, वैश्विक सुरक्षा।

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