पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले में वक्फ संशोधन कानून के खिलाफ प्रदर्शन के नाम पर शुरू हुई हिंसा ने अब राष्ट्रीय सुरक्षा का मुद्दा बना लिया है। हाल ही में सामने आई खुफिया रिपोर्ट ने इस मामले को और गंभीर बना दिया है, जिसमें दावा किया गया है कि इस हिंसा के पीछे बांग्लादेशी आतंकी संगठनों का हाथ है। इससे देश की सुरक्षा एजेंसाएं सतर्क हो गई हैं और भारत-बांग्लादेश-पाकिस्तान के बीच बढ़ते संवाद को भी शक की निगाह से देखा जा रहा है।
कैसे भड़की थी हिंसा?
मुर्शिदाबाद के सुती, जंगीपुर और धुलियान इलाकों में वक्फ संशोधन कानून के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के दौरान हिंसा भड़क उठी। यह प्रदर्शन जल्द ही सांप्रदायिक रूप ले बैठा और हिंदू समुदाय को विशेष रूप से निशाना बनाया गया। दर्जनों घरों में आगजनी हुई, दुकानें लूटी गईं और हिंसा में कम से कम तीन लोगों की मौत हो गई जबकि कई घायल हुए।
हिंसा के बाद डर का माहौल इतना बढ़ गया कि सैकड़ों हिंदू परिवारों ने अपने घर छोड़कर सुरक्षित स्थानों की ओर रुख किया। स्थानीय प्रशासन और पुलिस को हालात काबू में लाने के लिए BSF, CRPF और RAF की टुकड़ियों को तैनात करना पड़ा।
खुफिया रिपोर्ट का बड़ा खुलासा
इस हिंसा के बाद अब एक खुफिया रिपोर्ट ने चौकाने वाला खुलासा किया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि इस हिंसा में बांग्लादेश के दो कट्टरपंथी आतंकी संगठनों – जमात-उल-मुजाहिदीन बांग्लादेश (JMB) और अंसारुल्लाह बांग्ला टीम (ABT) – के सदस्य शामिल थे।
सूत्रों का कहना है कि ये आतंकी बांग्लादेश से अवैध रूप से भारत में घुसे थे और उन्हें एक स्थानीय राजनीतिक पार्टी के कुछ नेताओं का समर्थन प्राप्त था। इसका मकसद सिर्फ कानून विरोध नहीं, बल्कि साम्प्रदायिक तनाव भड़काना और भारत की आंतरिक सुरक्षा को कमजोर करना था।
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पाकिस्तान की संदिग्ध सक्रियता
इस हिंसा के पीछे विदेशी हाथ की पुष्टि के बाद अब पाकिस्तान की संदिग्ध भूमिका पर भी सवाल उठ रहे हैं। रिपोर्ट्स के अनुसार, पाकिस्तान की विदेश मंत्री अम्मना बलोच इस सप्ताह बांग्लादेश की राजधानी ढाका के दौरे पर हैं। इससे कुछ सप्ताह पहले पाकिस्तानी सेना और खुफिया एजेंसी ISI के अधिकारी भी बांग्लादेश का दौरा कर चुके हैं।
अब बांग्लादेश और पाकिस्तान के बीच लगभग 15 वर्षों बाद विदेश सचिव स्तर की बातचीत होने जा रही है। इस बैठक को “विदेश कार्यालय परामर्श (FOC)” कहा जा रहा है, जिसमें दोनों देशों के बीच सहयोग को लेकर चर्चा होगी। हालांकि आधिकारिक तौर पर बातचीत के एजेंडे का खुलासा नहीं किया गया है, लेकिन खुफिया सूत्रों का दावा है कि इसमें भारत के खिलाफ रणनीतिक गठजोड़ की आशंका है।
भारत की सुरक्षा एजेंसियां सतर्क
हिंसा के बाद देश की सुरक्षा एजेंसियां पूरी तरह सतर्क हो गई हैं। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने मुर्शिदाबाद की स्थिति पर लगातार नजर रखी हुई है और BSF को भारत-बांग्लादेश सीमा पर गश्त और चौकसी बढ़ाने के निर्देश दिए गए हैं।
इसके अलावा, संदिग्ध आतंकी नेटवर्क की पहचान करने और राजनीतिक समर्थन प्राप्त करने वालों के खिलाफ भी जांच तेज कर दी गई है। राज्य पुलिस और NIA मिलकर यह जानने की कोशिश कर रहे हैं कि बांग्लादेशी आतंकियों को किस तरह से प्रवेश मिला और किसने उन्हें समर्थन दिया।
क्या कहता है स्थानीय समाज?
हिंसा से प्रभावित एक स्थानीय निवासी रामप्रसाद मंडल कहते हैं,
“हमने कभी सोचा नहीं था कि हमारे गांव में बाहर से आकर कोई हमला करेगा। जो कुछ भी हुआ वो सोची-समझी साजिश लगती है। लोग अब भी डरे हुए हैं।”
वहीं, एक मुस्लिम बुजुर्ग निवासी हबीबुल्लाह शेख ने कहा,
“हम सब शांति से रहते थे। यह जो कुछ भी हुआ, वो बाहर से आए लोगों का काम है। हमारा गांव ऐसा नहीं था।”
विपक्षी दलों की चुप्पी पर सवाल
इस मुद्दे पर अभी तक राज्य की सत्ताधारी पार्टी तृणमूल कांग्रेस (TMC) की ओर से कोई स्पष्ट बयान सामने नहीं आया है। वहीं, विपक्षी दलों ने भी इस मुद्दे को ज्यादा नहीं उठाया, जिससे स्थानीय जनता में असंतोष है।
भारतीय जनता पार्टी (BJP) के प्रदेश अध्यक्ष ने कहा,
“बांग्लादेशी घुसपैठिये अब आतंकी हमले कर रहे हैं और ममता सरकार आंख मूंदे बैठी है। ये हिंसा एक बड़ा खतरा है, जिसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।”
मुर्शिदाबाद की यह घटना भारत की आंतरिक सुरक्षा और सीमावर्ती इलाकों में विदेशी हस्तक्षेप की गंभीर चेतावनी है। जहां एक ओर सांप्रदायिक सौहार्द को बिगाड़ने की कोशिशें हो रही हैं, वहीं दूसरी ओर भारत को बांग्लादेश और पाकिस्तान के बढ़ते संबंधों पर भी सतर्क रहना होगा।
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