पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद में पिछले महीने वक्फ संशोधन कानून के विरोध के नाम पर हुई हिंसा की सच्चाई अब सामने आ चुकी है। कलकत्ता हाईकोर्ट द्वारा गठित तीन सदस्यीय जांच समिति की रिपोर्ट ने तृणमूल कांग्रेस (TMC) सरकार और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की कार्यशैली पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं। इस रिपोर्ट ने साफ कर दिया है कि हिंसा सुनियोजित थी और इसमें TMC के स्थानीय नेता और बंगाल पुलिस सक्रिय रूप से शामिल थे। यह घटना भारतीय लोकतंत्र के लिए एक काला धब्बा है, जिसने ममता सरकार की विश्वसनीयता को पूरी तरह से हिला दिया है।
सत्ताधारी नेताओं ने रची हिंसा की साजिश
जांच समिति की रिपोर्ट में मुर्शिदाबाद के बेतबोना गांव की घटना का जिक्र है, जहां 11 अप्रैल को TMC के स्थानीय पार्षद महबूब आलम और विधायक अमिरुल इस्लाम दंगाइयों के साथ मौजूद थे। रिपोर्ट के अनुसार, यह हिंसा कोई आकस्मिक घटना नहीं थी, बल्कि पूरी तरह से योजनाबद्ध थी। दंगाइयों ने चुन-चुनकर पीड़ितों, उनके घरों और संपत्तियों को निशाना बनाया। एक घटना में पानी के टैंकों और पंपों को पहले ही नष्ट कर दिया गया ताकि आगजनी के दौरान पीड़ितों को बचाने के लिए पानी उपलब्ध न हो। एक अन्य मामले में, दंगाइयों ने एक परिवार की महिलाओं के कपड़ों पर मिट्टी का तेल छिड़ककर आग लगा दी, जिससे उनके पास पहनने को कुछ भी न बचे।
बंगाल पुलिस की आपराधिक चुप्पी
रिपोर्ट ने बंगाल पुलिस की भूमिका को भी बेनकाब किया है। हिंसा के दौरान पुलिस पूरी तरह निष्क्रिय रही और पीड़ितों को उनके हाल पर छोड़ दिया गया। 12 अप्रैल की एक घटना में स्थानीय विधायकों ने उपद्रव देखा, लेकिन कोई कार्रवाई करने के बजाय वहां से चुपचाप चले गए। पीड़ितों ने बताया कि पुलिस उनकी शिकायतें सुनने को तैयार नहीं थी। एक जगह लिखा गया है कि स्थानीय पार्षद महबूब आलम ने हमलों को निर्देशित किया, जबकि पुलिस पूरी तरह गायब थी। यह साफ है कि दंगाइयों को सत्ताधारी नेताओं का खुला समर्थन प्राप्त था।
लोग बने शरणार्थी, सरकार करती रही राजनीति
मुर्शिदाबाद के बेतबोना गांव में करीब 113 घर तोड़ दिए गए, जो अब रहने लायक नहीं हैं। लाखों की संपत्ति, आभूषण, नकदी और मवेशी लूट लिए गए। तीन लोगों की मौत हुई, और सैकड़ों लोग बेघर हो गए। कई परिवारों को जान बचाने के लिए नावों के जरिए गंगा पार कर सरकारी इमारतों में शरण लेनी पड़ी। जांच समिति ने पाया कि हिंसा को सुनियोजित तरीके से अंजाम दिया गया, जिसमें TMC नेताओं का सक्रिय समर्थन था। बंगाल पुलिस ने भी आपराधिक चुप्पी साधकर दंगाइयों का साथ दिया।
ममता बनर्जी की जिम्मेदारी
5 मई, 2025 को मुर्शिदाबाद दौरे पर ममता बनर्जी ने BSF और BJP पर हिंसा का ठीकरा फोड़ने की कोशिश की थी। उन्होंने दावा किया कि यह एक सुनियोजित साजिश थी, लेकिन जांच समिति की रिपोर्ट ने उनकी सरकार और पार्टी को ही कठघरे में खड़ा कर दिया। यह साफ है कि ममता बनर्जी को हिंसा की पूरी जानकारी थी, लेकिन उन्होंने वोट बैंक की राजनीति को प्राथमिकता दी। मुर्शिदाबाद हिंसा में मारे गए लोगों की जिम्मेदारी से वह बच नहीं सकतीं। बंगाल की जनता को इसका जवाब चाहिए, और ममता बनर्जी को अपनी सरकार की नाकामी का हिसाब देना होगा।
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