नीरज चोपड़ा ने दोहा डायमंड लीग में रचा इतिहास, 90 मीटर पार किया भाला

भारत के ‘गोल्डन बॉय’ नीरज चोपड़ा ने शुक्रवार को दोहा डायमंड लीग 2025 में एक नया कीर्तिमान स्थापित किया। उन्होंने अपने तीसरे प्रयास में 90.23 मीटर भाला फेंककर न केवल अपना पर्सनल बेस्ट बनाया, बल्कि 90 मीटर की उस जादुई रेखा को भी पार किया, जो उनके लिए लंबे समय से एक चुनौती बनी हुई थी। इससे पहले उनका सर्वश्रेष्ठ थ्रो 89.94 मीटर था, जो उन्होंने 30 जून 2022 को स्टॉकहोम डायमंड लीग में दर्ज किया था। नीरज का यह ऐतिहासिक प्रदर्शन पूरे देश के लिए गर्व का क्षण है, हालांकि वह इस प्रतियोगिता में दूसरे स्थान पर रहे।

दोहा डायमंड लीग में नीरज की शुरुआत शानदार रही। उनके पहले थ्रो से ही यह साफ हो गया था कि वह इस बार कुछ खास करने के इरादे से मैदान में उतरे हैं। छह में से पांच थ्रो तक वह शीर्ष स्थान पर बने रहे, लेकिन अंतिम और छठे थ्रो में जर्मनी के जूलियन वेबर ने 91.06 मीटर की दूरी के साथ खिताब अपने नाम कर लिया। नीरज के लिए यह हार निराशाजनक हो सकती है, लेकिन 90 मीटर का आंकड़ा पार करना उनके करियर का एक महत्वपूर्ण पड़ाव है। यह थ्रो न केवल उनकी तकनीकी दक्षता को दर्शाता है, बल्कि उनके अथक परिश्रम, समर्पण और मानसिक दृढ़ता का भी प्रतीक है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नीरज के इस शानदार प्रदर्शन की सराहना की। उन्होंने अपने एक्स हैंडल पर लिखा, “शानदार उपलब्धि! दोहा डायमंड लीग 2025 में 90 मीटर का आंकड़ा पार करने और अपना सर्वश्रेष्ठ व्यक्तिगत थ्रो हासिल करने के लिए नीरज चोपड़ा को बधाई। यह उनके अथक समर्पण, अनुशासन और जुनून का नतीजा है। भारत को खुशी और गर्व है।” पीएम मोदी का यह संदेश नीरज के लिए प्रेरणा का स्रोत है और यह दर्शाता है कि उनकी उपलब्धियां पूरे देश के लिए कितनी महत्वपूर्ण हैं।

नीरज के लिए 90 मीटर की दूरी केवल एक संख्या नहीं थी, बल्कि यह एक ऐसी मंजिल थी, जिसे हासिल करने के लिए उन्होंने वर्षों तक मेहनत की। टोक्यो ओलंपिक 2020 में स्वर्ण पदक और बुडापेस्ट वर्ल्ड चैंपियनशिप 2023 में गोल्ड जीतने के बावजूद, 90 मीटर का आंकड़ा उनके लिए एक अनसुलझी पहेली बना हुआ था। वह कई बार 88 या 89 मीटर के करीब पहुंचे, लेकिन हर बार यह लक्ष्य उनकी पहुंच से कुछ दूरी पर रह जाता था। दोहा में जब नीरज ने तीसरे प्रयास में यह ऐतिहासिक थ्रो किया, तो स्टेडियम में मौजूद दर्शकों का उत्साह देखते ही बनता था। पूरा मैदान तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा।

इस उपलब्धि में नीरज के नए कोच जान जेलेज्नी की भूमिका भी महत्वपूर्ण रही है। जेलेज्नी, जो खुद एक महान भाला फेंक खिलाड़ी रह चुके हैं, ने नीरज की तकनीक और मानसिक तैयारी को और निखारा। उनके मार्गदर्शन में नीरज ने न केवल अपनी शारीरिक क्षमता को बढ़ाया, बल्कि प्रतियोगिता के दबाव में भी शांत रहकर प्रदर्शन करने की कला सीखी। नीरज का यह प्रदर्शन भारतीय एथलेटिक्स के लिए एक नया अध्याय है, जो आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करेगा।

नीरज चोपड़ा की यह उपलब्धि भारतीय खेल इतिहास में स्वर्णिम अक्षरों में दर्ज हो गई है। दोहा डायमंड लीग में उनका यह प्रदर्शन न केवल उनके व्यक्तिगत विकास को दर्शाता है, बल्कि यह भी साबित करता है कि भारतीय खिलाड़ी वैश्विक मंच पर किसी से कम नहीं हैं। नीरज की इस उपलब्धि ने एक बार फिर सिद्ध किया कि मेहनत, लगन और सही मार्गदर्शन के साथ कोई भी लक्ष्य असंभव नहीं है।

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